खगोलीय घटना : 7 को ‘बृहस्पति’ की प्रतियुति
मानव जीवन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पडेगा
अमरावती/दि.5-सौर मंडल का सबसे बडा ग्रह बृहस्पति 7 दिसंबर को सूर्य के सामने आ रहा है. इस घटना को खगोलशास्त्र में प्रतियुति कहा जाता है. इस दिन बृहस्पति सूर्य एक दूसरे के सामने होंगे. प्रतियुति के दौरान ग्रह की पृथ्वी से औसत दूरी कम होती है. इसलिए यह खगोलविदों और अभ्यासकों के लिए बृहस्पति का अवलोकन और अध्ययन करने का एक अच्छा अवसर है. खगोलविदों ने बताया कि, इस घटना का मानव जीवन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पडेगा.
क्रमिक बृहस्पति के बीच की अवधि लगभग तेरह महीने है. इसके पूर्व 3 नवंबर 2023 को बृहस्पति और सूर्य के बीच प्रति युति बनी. बृहस्पति की पृथ्वी से औसत दूरी 93 करोड किमी है. बृहस्पति का व्यास 1,42,800 किमी है. इस ग्रह को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 11.86 वर्ष लगते हैं. बृहस्पति को कुल 79 चंद्रमा है. जब बृहस्पति को दूरबीन से देखा जाता है तो बृहस्पति की बेल्ट और 4 चंद्रमा दिखाई देते हैं. 7 दिसंबर 1995 को मानवरहित अंतरिक्ष यान गैलीलियो बृहस्पति ग्रह पर पहुंचा. अभी तक बृहस्पति पर जीवसृष्टि का कोई प्रमाण नहीं मिला है. बृहस्पति पृथ्वी से 11.25 गुना बडा है. रक्तरंगी बिंदू गुरु का विशेष लक्षण है. इस स्थान को ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ के नाम से जाना जाता है. यह स्थान 40,000 किमी लंबा और 14,000 किमी चौडा है. इस बिंदु में पृथ्वी जैसे 3 ग्रहों को एक दूसरे के आगे में रखा जा सकता है. खगोलशास्त्री न्यूटन के समय से लगभग 300 वर्षों से इस स्थान का अवलोकन कर रहे हैं. इस स्थान को देखने से यह आसानी से पता चल जाता है कि यह एक बहुत बडा चक्रवात है. हालांकि, बृहस्पति पर लगातार गरजने वाले चक्रवात एक विशेष स्थान पर क्यों बनते हैं, इसका कारण अभी भी अस्पष्ट है.
बृहस्पति 7 दिसंबर को सूर्यास्त के तुरंत बाद पूर्वी क्षितिज पर उदय होगा और सुबह-सुबह पश्चिम में अस्त हो जाएगा. चूंकि यह ग्रह बहुत तेजस्वी दिखता है इसलिए इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. और खुली आंखों से देखा जा सकता है. लेकिन बृहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट और बृहस्पति के चार चंद्रमाओं यूरोपा, गेनीमीड, आयो और कैलिस्टो को खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है. इसके लिए एक दूरबीन की आवश्यकता होती है. यह जानकारी मराठी विज्ञान परिषद, अमरावती विभाग के अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने और हौशी खगोल अभ्यासक विजय गिरुलकर ने दी.