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आग के समय बच्चे जान बचाने के लिए छत पर भागे थे

छह कोचिंग क्लास के विद्यार्थियों की जान के साथ खिलवाड

* शिवाजी कॉम्प्लेक्स में आग के वक्त दमकल विभाग सतर्कता नहीं दिखाता तो बडी अनहोनी तय थी
* कॉम्प्लेक्स में ज्वलनशील 20 फर्निचर की दुकानें है
* इतने बडे कॉम्प्लेक्स में ना ही फायर ऑडिट और ना ही आग से बचाव की कोई सुविधा
* इससे पहले भी महानगर पालिका ने थमाया था फायर ऑडिट का नोटीस
* सैकडों बच्चों को पढाने वाले कोचिंग क्लास ने नहीं लिया गंभीरता से
अमरावती/ दि.9- कल दोपहर के वक्त रेलवे स्टेशन से एसटी बस डिपो रोड उस्मानिया मस्जिद के सामने स्थित शिवाजी कॉम्प्लेक्स दूसरे माले पर होमियो क्लिनिक में भीषण आग लगी. इसी होमियो क्लिनिक के ठिक उपर सैकडों बच्चों को पढाने वाली छह कोचिंग क्लासेस है. घटना के वक्त दमकल विभाग की टीम ने सतर्कता बताते हुए कोचिंग क्लासेस के 200 से अधिक बच्चों की जान बचाई. आग के वक्त कोचिंग क्लासेस चलाने वालों को आग की भनक तक नहीं थी. सैकडों बच्चों को पढाने वाले इन कोचिंग क्लासेस के संचालकों को महापालिका ने फायर ऑडिट कराने के लिए नोटीस भी थमाया था. परंतु केवल रुपए बटोरने के चक्कर में रहने वाले कोचिंग क्लासेस के संचालकों ने विद्यार्थियों की जिंदगी से खिलवाड करते हुए फायर ऑडिट की ओर नजर अंदाज किया. अब निश्चित ही इन संचालकों को कार्रवाई का खामियाजा भुगतना ही होगा. महापालिका ने इसकी तैयारी शुरु कर दी है. इस बारे में एक पालक ने बताया कि, आग के समय बच्चे छत की ओर जाने वाले गेट का ताला तोडकर अपनी जान बचाने के लिए छत पर भागे थे.
शिवाजी कॉम्प्लेक्स में अलग-अलग विषय पर चलाई जाने वाली 6 कोचिंग क्लासेस सबसे उपर तीसरे माले पर है. जिस होमियो क्लिनिक में आग लगी. उस क्लिनिक के ठिक बगल में घातक फोम की दुकान है. उस दुकान में एक आग की छोटीसी चिंगारी भी बडी आग का रुप धारण कर सकती थी. होमियो क्लिनिक के दूसरी ओर इंटेरियल डेकोरेट का कार्यालय है. नीचे तल मजले और पहले माले पर मिलाकर 20 फर्निचर की दुकानें हैं. एक स्टील फर्निचर की दुकान, इस तरह सभी दुकानें ज्वलनशील पदार्थ से भरे हुए हैं. मनपा के नोटीस के बाद भी इतने महत्वपूर्ण कॉम्प्लेक्स में अब तक किसी ने फायर ऑडिट नहीं कराया. आग से बचाव के कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है. खासतौर पर सैकडों बच्चों की बैच लेने वाले इन 6 कोचिंग क्लासों में भी किसी तरह के आग से बचाव के संसाधन उपलब्ध नहीं है.
शिवाजी कॉम्प्लेक्स चार माले का हैं. सबसे उपरी माले पर एसीएलए तपुल्त नामक कोचिंग क्लास है. इस कोचिंग में वकालत की क्लासेस, एलएलयू गे्रडस्, एमएच-सीईटी, एआईएलईटी की क्लासेस ली जाती है. इसी माले पर ग्रेटफुल इंजीनियरिंग सक्सेस नामक इंजीनियरिंग पढने वाले बच्चों की क्लासेस, उसके बाजू में 7, 8, 9 और 10 नंबर के गाले में बन्सल क्लासेस प्राईवेट लिमिटेड अपनी ट्युशन क्लासेस चलाते है. इस कोचिंग में आईआईटी-जीईई मेन्स एण्ड एडवॉन्सेस, मेडिकल, एनईटी एण्ड एएलएलएमएस के बच्चे पढते है. इसी तरह मुंबई लैंडिंग टेस्ट ट्रिप फॉर सीएटी, सीईटी, बीबीए, जीआरई, सीएलएटी की कोचिंग है. उसके बाद आईडीएस फैशन एण्ड इंटेरियल डिजाईनिंग कोर्स की कोचिंग है. उसी के ठिक बगल में निंबुस कैटलयस्ट इस तरह छह कोचिंग क्लासेस चलती है. तो सवाल यह उठता है कि, इन छह कोचिंग क्लासेस में कितने बच्चे बढते होंगे और वे सभी क्लास में उपस्थित होते और बगैर आग से बचाव के संसाधन के वक्त यहां आग लगती तो शहर का सबसे बडा आग का हादसा कहलाता. इन सब लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन, ऐसे सवाल पालकों व्दारा भी उठाए जा रहे है. अब जल्द ही इस लापरवाही के लिए इन संचालकों के खिलाफ महापालिका कदम उठाते हुए उचित कारण नहीं बताए जाने पर कार्रवाई करेगी.

बच्चे ताला तोडकर जान बचाने के लिए छतपर भागे थे
मेरी बच्ची भी उसी कोचिंग क्लासेस में एनडीए की पढाई कर रही है. कोचिंग क्लासेस वाले लाखों रुपयों की फीस लेने के बाद भी बच्चों की सुरक्षा के लिए फायर ऑडिट नहीं कराते. बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड करने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होना ही चाहिए. कल आग के समय एक बच्चे ने जैसे ही कोचिंग क्लास की खिडकी खोला आग की लपटे अंदर आने लगी. यह देखकर सभी बच्चे घबरा गए. आग को देखकर क्लास के संचालक बच्चों को छोडकर अपनी बीबी और बच्चे के साथ क्लास सेे भाग गए. बच्चे अपनी जान बचाने की ओर गए. वहां गेट पर लगा ताला तोडकर छत पर भागे थे. ऐन मोके पर दमकल विभाग की टीम वहां पहुंची और उन्होंने बच्चों की जान बचाई.
– शितलसिंग चव्हाण, पालक

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