अमरावतीमहाराष्ट्र

बांध में मिली विठ्ठल-रुक्मिणी की आकर्षक मूर्ति

अखंडित इस मूर्ति की आषाढी एकादशी के बाद विधिवत की जाएगी स्थापना

यवतमाल/दि.21– वारकरी संप्रदाय की पंढरपुर की लगन व आस्था गांव-गांव के निकलनेवाली पैदल दिंडी के माध्यम से दिखाई देती है. यह आस्था आषाढी एकादशी को पंढरपुर में विठ्ठल दर्शन लिए बगैर पूर्ण नहीं होती. निष्पाप भक्ति का सबसे सुंदर नजारा पंढरपुर में दिखाई देता है. उसी पांडुरंग की शिला के दर्शन इसापुर बांध के जलाशय में हुए. साडे तीन फुट के काले पत्थर से तैयार हुई विठ्ठल-रुक्मिणी की मूर्ति आकर्षण का केंद्र साबित हो रही है.

उर्ध्व पैनगंगा प्रकल्प का विस्तारित पुसद तहसील का इसापुर बांध यह मिट्टी के निर्माण का राज्य का बडा बांध है. वर्तमान में जलस्तर कम होने से बांध क्षेत्र में गया पुरातन मंदिर व अन्य निशान इस बांध में दिखाई देने लगे है. ऐसे में बांध का जायजा करने के लिए गए अधिकारियों को किचड में भरी विठ्ठल-रुक्मिणी की आकर्षक मूर्ति दिखाई दी. उन्होंने उसे सुरक्षित बाहर निकालकर सुरक्षित स्थल पर रखा है. दोनों मूर्ति एकसाथ दिखाई देने से वह विसर्जित की गई होगी, ऐसा अनुमान है. लेकिन खंडित हुई मूर्ति ही विसर्जित की जाती है, ऐसी धार्मिक आस्था है. बांध से बरामद हुई यह दोनों मूर्ति काफी सुंदर और खंडित हुई नहीं है, यह विशेष. मूर्ति की सुरक्षा और धार्मिक महत्व अबाधित रहने के लिए शेंबालपिंपरी के माऊली मंदिर के लिखित अनुरोध पर उसे वर्तमान स्थिति में परंपरा व मान्यता के मुताबिक रखा गया है. आषाढी एकादशी के बाद धार्मिक रितिरिवाज से उसे मंदिर में स्थापित किया जाएगा, ऐसी जानकारी है.

* मूर्ति के सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा
यह मूर्ति बांध निर्मिती के समय विस्थापित हुए गांव की है क्या, इस बाबत पुराने जानकारो से ब्यौरा लिया जा रहा है. लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है. इस मूर्ति का धार्मिक महत्व देखते हुए उसकी पूरी तरह सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है.
– हनुमंत धुलगुंडे
उपविभागीय अभियंता, जलसंपदा विभाग.

* मूर्ति पूरी तरह अखंडित
यह मूर्ति पूरी तरह अखंडित है. वह स्थापित करनेलायक है. ऐसी शानदार मूर्ति वर्तमान समय में तैयार नहीं हुई है. बांध से बरामद होना यह सकारात्मक बात है और उसकी विधिवत स्थापना होना आवश्यक है.
– ऋषिकेश महाराज
शेंबालपिंपरी.

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