बारिश के दिनों में बाहर के खाद्यपदार्थ खाना टाले
मानसून में रोग प्रतिकार शक्ति होती है कम
* पचनशक्ति भी कम होने से बढते है पेट के विकार
अमरावती/दि.15– ग्रीष्मकाल के बाद मानसून की शुरुआत होते ही वातावरण में बदलाव होता जाता है. वातावरण में ठंडक निर्माण होती है. यही मानसून अपने साथ अनेक बीमारी लेकर आता है. इस कारण आपको यदि बाहर का चटपटा खाने की लत होगी तो मानसून में इन बातो से दूर रहना अच्छा है. बारिश के दिनों में खाया हुआ पचता नहीं है. इस कारण पेट के विकार होते रहने से बारीश के दिनों में खुले खाद्यपदार्थ खाना टाले, ऐसा डॉक्टरो का कहना है.
मानसून में रोग प्रतिकार शक्ति कम होती है. बैक्टेरिया, विषाणू का बढा प्रमाण मानसून में अधिक रहता है. बारिश की बीमारियों में मलेरिया, डेंगू का समावेश रहा तो भी पेट के विकार में प्रमुख रुप से मरोड, उलटी, जुलाब, पेट दर्द, अतडियों में सुजन आना, पचन नहीं होना, बढते पित्त आदि बीमारी का सामना करना पडता है. बीमार होने के कारण यानि खाद्यपदार्थ और पानी से हुए संसर्ग है.
* बारिश में इन बीमारियों का खतरा
ग्रीष्मकाल के बाद वातावरण में बदलाव होकर ठंडक निर्माण होना सभी को अच्छा लगता है. लेकिन इस बारिश के साथ अनेक बीमारी भी आती है. सर्दी, खांसी, बुखार, दूषित पानी अथवा अनाज के कारण होनेवाली बीमारी मलेरिया, डेंगू, डायरिया जैसी बीमारी के कारण लोग परेशान रहते है. मानसून के दिनों में अपनी पचनशक्ति भ थोडी कम हो जाती है. इस कारण पानी के अथवा खुले में रखे खाद्यपदार्थ के कारण भी परेशानी हो सकती है.
* खुले में रखे खाद्यपदार्थ का खतरा
खुले में रखे खाद्यपदार्थ पर मख्खियां बैठने से वह पदार्थ को दूषित करती है. यह पदार्थ यानि गंभीर बीमारी को निमंत्रण देनेवाले रहते है. ऐसे खाद्यपदार्थ पर विषाणू, जीवजंतू, मख्खियां बैठी रहती है. बारिश के दिनों में घर के बाहर का खाद्यपदार्थ खाने से लोग उलटी, जुलाब, पेट दर्द, बुखार आदि जैसी शिकायतो से त्रस्त रहते है. जिसका मुख्य कारण यानि बाहर का खाना है.
* बाहर का खाना टालें
मानसून शुरु होने पर पहले उमस जैसा वातावरण रहता है. इस कारण मख्खियों का प्रमाण भी बढता है. यही मख्खियां खुले में रखे खाद्यपदार्थ पर जाकर बैठती है और यही पदार्थ हम खाते है और इसी से हम खुद विविध बीमारियों को निमंत्रण देते है. इस कारण खुले में रखे खाद्यपदार्थ खाने से टालना चाहिए.
* प्रतिकार शक्ति बढानेवाले पदार्थ उपयुक्त
आहार में फल, हरी सब्जी, बीट, गाजर, हलदी, आवला जैसे पदार्थ अपनी त्वचा और बाल सहित रोग प्रतिकार शक्ति मजबूत करने में सहायता करते है. सर्दी और खांसी के लिए लहसून काफी गुणकारी है. लहसून के सेवन के कारण वायरल, फंगस संसर्ग होते है. ताजे लहसून के सेवन से अनाज से विषबाधा होने का खतरा कम रहता है.
* कौनसी सावधानी बरते?
मानसून में अनाज पूरी तरह पकाना और उसे खाना उत्तम पर्याय है. साथ ही फल और सब्जी पूरी तरह धोकर स्वच्छ कर सेवन करना चाहिए. यदि हम मानसून में फल और सब्जी खाते होगे तो पहले उसे पूरी तरह स्वच्छ करें. क्योंकि मानसून में विषाणू और बैक्टेरिया इस पर आसानी से जाकर बैठ जाते है.
– डॉ. आशीष येवतीकर
* होटल व्यवसायी स्वच्छता रखें
बारिश के दिनों में नागरिकों को बाहर का खाद्यपदार्थ खाते समय सावधानी बरतनी चाहिए. शहर के होटल व्यवसायियों को स्वच्छता रखनेबाबत बार-बार सूचना दी जाती है. कहीं अस्वच्छता दिखाई देने पर अन्न व औषधी प्रशासन की तरफ से होटल व्यवसायियों पर कार्रवाई की जाएगी.
– भाऊराव चव्हाण
सहआयुक्त, औषधी प्रशासन.