मेलघाट के भूतखोरा पुल के निर्माण हेतु पीएम की समिति के आदेश की प्रतिक्षा
ब्रिटीशकालीन पुल हो चुका है खतरनाक
* कभी भी टूटकर हो सकता है कोई हादसा
अमरावती/दि.19 – मेलघाट की धारणी व चिखलदरा तहसील अंतर्गत मुख्य मार्गों पर लगभग 118 ब्रिटिशकालीन पुल है. जिनका निर्माण हुए 100 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है. जिसमें से लगभग 20 पुल वाहनों की आवाजाही के लिए खतरनाक साबित हो रहे है. इसी में से एक सेमाडोह स्थित भूतखोरा का पुल है. जहां पर अब तक कई हादसे घटित हो चुके है और अनेकों जाने जा चुकी है. ऐसे में इस पुल का नये सिरे से निर्माण किया जाना बेहद जरुरी है. जिसके लिए व्याघ्र प्रकल्प के नये नियमों के अनुसार केंद्र सरकार की सीएसटी समिति से अनुमति मिलना जरुरी है. इस समिति के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है. ऐसे में इस समिति से अनुमति मिलने की प्रतिक्षा सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा की जा रही है.
अमरावती-इंदौर अंतरराज्यिय महामार्ग पर सेमाडोह स्थित भूतखोरा का पुल विगत कई वर्षों से निर्मिति की प्रतिक्षा में है. जहां पर अब तक कई प्राणांतिक हादसे घटित हो चुके है. बारिश के मौसम दौरान यह रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है. जिसके चलते आवाजाही अवरुद्ध हो जाती है. व्याघ्र प्रकल्प की अनुमति की जरुरत को देखते हुए परतवाडा, अमरावती, नागपुर से लेकर दिल्ली व मुंबई तक करीब 2 बार सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने व्याघ्र प्रकल्प के पास प्रस्ताव भेजा है. ऐसी जानकारी चिखलदरा के सार्वजनिक निर्माण विभाग उप अभियंता नीलेश चौधरी द्वारा दी गई है.
* पुलों के लिए करोडो रुपयों के निधि की आवश्यकता
सेमाडोह (भूतखोरा), दीया, हरिसाल, अकोट मार्ग, गडगा नदी पर बैरागड, रोहिणीखेडा, शिरपुर व रानी गांव के पास स्थित पुल सहित धारणी व चिखलदरा तहसील क्षेत्र में कई पुल खतरनाक साबित हो रहे है. इसमें से प्रत्येक पुल के दुरुस्ती व निर्माण हेतु 18 से 20 करोड रुपयों की निधि अपेक्षित है और बारिश के समय आदिवासी गांवों का एक दूसरे के साथ संपर्क टूटने से पहले राज्य सरकार द्वारा इसकी ओर ध्यान दिए जाने की मांग की जा रही है. जिसे देखते हुए धारणी के उपविभागीय अभियंता आर. आर. मालवे ने बताया कि, पुलों के कामों का प्रस्ताव वरिष्ठस्तर से भेजा गया है.
* अनुमति की केंद्र से प्रतिक्षा
सेमाडोह स्थित भूतखोरा पुल के निर्माण हेतु अनुमति का प्रस्ताव 20 अप्रैल 2023 को नैशनल बोर्ड ऑफ वाईल्ड लाइफ इस केंद्र सरकार की समिति के पास भेजा गया है. पुल के काम की निविदा जारी होने के साथ ही काम की शुुरुआत होते ही नये नियमों के चलते काम को रुकवा दिया गया. चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक 6 माह से एक बार ही होती है. ऐसे में इस समिति से अनुमति मिलने की प्रतिक्षा की जा रही है.