महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता सभी की नैतिक जिम्मेदारी
प्राचार्य डॉ.वर्षा देशमुख का कथन, कार्यशाला में किया मार्गदर्शन
अमरावती / दि.२९- संवैधानिक अधिकारों, महिला अधिकार कानूनों के प्रति जागरूकता पैदा करना हम सभी का नैतिक दायित्व है, यह आह्वान डॉ. पंजाबराव देशमुख विधि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉॅ. वर्षा देशमुख ने किया. नवतेजस्विनी महाराष्ट्र ग्रामीण महिला उद्यम विकास परियोजना के तहत महिला आर्थिक विकास महामंडल (माविम) की ओर से विभागीय क्रीडा संकुल के सभागृह में पुरुषों और महिलाओं के संयुक्त स्वामित्व अधिकारों पर लोक संचालित साधन केंद्र के प्रबंधकों और सहयोगियों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला का उद्घाटन करते समय वे बोल रही थी. इस अवसर पर जिला आपूर्ति अधिकारी डी.के. वानखेड़े, महामंडल के जिला समन्वयक अधिकारी सुनील सोसे आदि मौजूद रहे. महिलाएं सशक्त होंगी तो पूरे समाज का विकास होगा. इसलिए हमें अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, यह बात वानखेडे ने कही. उन्होंने राशन की दुकानों को उपलब्ध कराने के प्रावधानों की जानकारी दी. कार्यशाला के द्वितीय सत्र में तहसीलदार निकिता जावरकर ने भाग लिया एवं मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि कानून की जानकारी न होने के कारण अक्सर महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. उन्होंने हिंदू विरासत अधिनियम, लक्ष्मी मुक्ति योजना, पति के जीवन काल में पत्नी के संपत्ति में अधिकार संबंधी संकल्प, सातबारा में महिला नामकरण की प्रक्रिया, आवश्यक आवेदन प्रक्रिया पर मार्गदर्शन दिया.
पूर्व नायब तहसीलदार एड. खडसे ने महिलाओं के अधिकारों से जुड़े कानून को आसान भाषा में समझाया. पंजीयन एवं स्टाम्प शुल्क विभाग की योजना के अनुसार महिलाओं के क्रय-विक्रय के लेन-देन पर एक प्रतिशत की स्टाम्प शुल्क छूट उपलब्ध है. उन्होंने अनेक स्थानीय स्वशासी निकायों द्वारा दी जाने वाली विशेष रियायतों, ऋण रियायतों आदि की जानकारी दी. प्रस्तावना सुनील सोसे ने रखी. संचालन लिपिक अंजू गणवीर ने किया. कार्यशाला को सफल बनाने महामंडल के सहनियंत्रण अधिकारी वैभव कालमेघ, व्यवस्थापक प्रीति भैसे, सहयोगिनी स्मिता दुबे, प्रगति दुबे, क्षमा खरड़, सुजाता धुर्वे प्रयास किए.