आयुर्वेद से दूर हो सकती है डायबीटिज की समस्या
माधवबाग के अनुसंधान को ‘जापी’ रिसर्च पेपर ने दी मान्यता
* पत्रवार्ता में डॉ. राहुल मांडोले द्वारा दी गई जानकारी
अमरावती/दि.25- आयुर्वेद में दी गई पंचकर्म पध्दति की सहायता से टाईप-2 डायबीटिज पूरी तरह से ठीक हो सकता है. माधवबाग द्वारा पंचकर्म पध्दति की सहायता से कई मरीजों के डायबीटिज को ठीक किया गया है और इलाज के तीन-चार वर्ष बाद भी उन मरीजों के शरीर में रक्तशर्करा का प्रमाण सामान्य है तथा वे दवाईयों से मुक्त जीवन जी रहे है. माधवबाग द्वारा आयुर्वेद की पंचकर्म पध्दति के जरिये किये गये इलाज और अनुसंधान को जर्नल ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन्स ऑफ इंडिया (जापी) द्वारा भी मान्यता दी गई है तथा इसे अपने रिसर्च पेपर में प्रकाशित किया गया है. इस आशय की जानकारी माधवबाग के मुंबई स्थित रिसर्च एन्ड डेवलपमेंट हेड डॉ. राहुल मांडोले द्वारा यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में की गई है.
वर्ल्ड डाईबीटीज डे के मौके पर स्थानीय जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कंपाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में डॉ. राहुल मांडोले ने बताया कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में डाईबीटिज की बीमारी बडी तेजी से पांव पसार रही है और आज हर घर में डाईबीटिज का कम से कम एक मरीज है. साथ ही समाज में यह धारणा भी घर कर गई है कि, एक बार डाईबीटिज हो जाने पर वह कभी ठीक नहीं हो सकता, बल्कि जिंदगीभर दवाईया और इन्सुलिन लेते हुए इस बीमारी को केवल नियंत्रण में रखा जा सकता है. ऐसे में आयुर्वेदिक पंचकर्म पध्दति एक तरह से डाईबीटिज के मरीजों के लिए संजीवनी है.
इस अवसर पर माधवबाग के विदर्भ रिजनल हेड डॉ. उन्मेष पनवेलकर ने बताया कि, पहले जहां 40 वर्ष व उससे अधिक आयुवाले लोग ही डाईबीटिज की बीमारी के चपेट में आते थे, वहीं अब 30 वर्ष से कम आयुवाली युवा पीढी भी अनियमित व अनियंत्रित जीवनशैली के चलते इस बीमारी की चपेट में आ रही है. जिसकी वजह से कम उम्र में ही हार्टअटैक, किडनी फेल्युवर व नजर कमजोर होने जैसी जटिलताओं का सामना करना पड रहा है. ऐसे में आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दति के जरिये बीमारी का इलाज करवाने के साथ-साथ नियमित व संतुलित जीवन पध्दति को अंगीकार करना भी बेहद जरूरी है. जिसे लेकर माधवबाग द्वारा कई वर्षों के अनुसंधान पश्चात बेहतरीन चिकित्सा पध्दति खोजी गई है. जिसके परिणाम और असर बेहद शानदार प्राप्त हुए है. माधवबाग द्वारा विगत तीन वर्षों के दौरान पूरे भारत में 10 हजार से अधिक मरीजों को डाईबीटिज से मुक्ति दिलाई गई है, जो अब किसी भी तरह की दवाओं के बिना शानदार जिंदगी जी रहे है.
इस पत्रवार्ता के दौरान डॉ. राहुल मांडोले व डॉ. उन्मेश पनवेलकर सहित डॉ. रूपाली कावरे, डॉ. पंकज कावरे, डॉ. वृषाली राजगुरे, डॉ. शैेलेंद्र खुशवा, डॉ. अनूजा गोबरे भी उपस्थित थे.