बाबा का नन्हा जम्मा गायक हार्दिक व्यास
अमरावती/ दि. 18-छत्तीसगढ की संस्कारधानी राजनांदगांव की पावन भूमि पर जन्मा एक ओजस्वी जम्मा गायक जिसमें बचपन से ही बाबा रामशाह पीर की भक्ति का पर्चा स्पष्ट दिखाई दे रहा है. हम बात कर रहे है संस्कारधानी के एक प्रतिष्ठित पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में जन्मे हार्दिक श्याम सुंदर व्यास की जिसके सुमधुर कंठ का आज पूरा शहर दीवाना है जब कही भी बाबा रामदेव जी के जम्मा जागरण का जिक्र होता है तो सबसे पहले मस्तिष्क में जो छवि उभर के सामने आती है वो है हार्दिक व्यास की, बचपन से ही अपनी माता श्रीमती हीना व्यास के श्रीमुख से बाबा रामदेव जी के पर्चो की अमर कथाएं सुन-सुन के और घर के निकट ही बाबा के मंदिर में आयोजित सभी अनुष्ठानों से जुड कर हार्दिक की बाबा रामदेवजी के प्रति एक गहरी आस्था जागृत हुई और साथ ही यह भी आभास हुआ कि उसमें एक और विलक्षण प्रतिभा भी करवट ले रही है वह थी गायन की प्रतिभा बस फिर क्या था वक्त ने उडान भरी ओर बाबा की अनन्य आस्था और भक्ति के परिणामस्वरूप इस नन्हीं प्रतिभा ने अपना स्वरूप लेना आरंभ कर दिया.
बालक हार्दिक का यह सफर 2020 से आरंभ हुआ जब उसने बाबा रामदेव जी की बीज के पावन उत्सव पर अपनी बेजोड प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर दरबार में उपस्थित समस्त भक्तवृंद को अंचभित कर दिया और फिर आरंभ हुआ जम्मा जागरण की मनमोहक प्रस्तुतियों का दौर जिसके चलते उसने नवकार परिसर, भाटापारा, धमतरी, गोंदिया जैसे शहरों में अपने बाबा की जम्मा जागरण की प्रस्तुतियांं की जब वह अपने सुमधुर कंठ से बाबा रामापीर के पर्चो की प्रस्तुति करता है तो सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है.
हार्दिक का यह मानना है कि जब वह नवकार परिसर के पावन धाम में रामदेव सोहनलाल बाप जी एवं शांतिदेवी जी के समक्ष अपनी जम्मा जागरण की प्रस्तुति दे रहा था तब उसको बाबा का साक्षात पर्चा महसूस हुआ और जम्मा जागरण के प्रति एक गहन आस्था जागृत हो गई मन ने ये अटल निर्णय ले लिया कि अब वह अनवरत इस यात्रा में आगे बढता रहेगा और जहां जहां उसे अवसर मिलेगा अपने सुरीले जम्मो के माध्यम से लोगों तक बाबा के पर्चो को पहुंचायेगा और सबको उनके चरित्र से परिचित करवाएगा. आज 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में ना केवल छत्तीसगढ वरन पूरे मध्य भारत में एक ओजस्वी जम्मा गायक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है.