बाबासाहब का संविधान, छत्रपति का अभिमान और सामान्य आदमी का स्वाभिमान है दिनेश बूब-कडू
एक हनुमान चालिसा में टिकट फायनल, सच्चे भाजपाई सतरंजी उठा रहे
* ना बिकने वाली गोडावुन में सड रही साडियां बांट रही नवनीत राणा
* 500 करोड के मालिक राणा जनता की अदालत में नहीं टिक पायेंगे
* ‘भूखे को खाना, मरीज को इलाज’ यही सेवा है दिनेश बूब की
* हम सत्ता के नहीं, जनता के गुलाम है, एक वोट किसान के लिए मांग रहे
* राणा सभी न्यायालय में जीतेंगे लेकिन जनता की अदालत में जरुर हारेंगे
अमरावती/दि.03 – सत्ता और पैसे के बल पर पति-पत्नी सांसद और विधायक है, लेकिन अब उसकी पुनरावृत्ती नहीं होगी. जब अमरावती लोकसभा का परिणाम सामने आएगा तो पैसा और सत्ता की मस्ती खत्म हो जाएगी. जनता इन्हें सबक सीखाएगी. दो करोड की गाडी में फिरने वाले लोग गोडाऊन में सड रही साडियां गरीबों को बांट कर उनका मजाक उडा रहे है. आप भले ही कितनी भी न्यायालयीन लडाई जीत लो लेकिन जनता की अदालत में नहीं टिक पाओगे. हमारा दिनेश बूब गरीब, शोषित, वंचित, पिडित, किसान, मजदुर और आम लोगों का उम्मीदवार है. यह बाबासाहब आंबेडकर का संविधान, छत्रपति का अभिमान और आम आदमी का स्वाभिमान है. इसे हर हाल में जीता कर भेजना होगा. इस तरह का आवाहन प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक बच्चू कडू ने किया. आज का चुनावी नामांकन भरने के लिए आयोजित विशाल जाहिर सभा को संबोधित करते हुए बच्चू कडू ने प्रधानमंत्री मोदी से लेकर नवनीत राणा और रवी राणा सबको जमकर लताडा. अपने लगभग 40 मीनट तक दिए भाषण में बच्चू कडू ने भाजपाईयों को आडे हाथों लिया. उन्होनें रहस्योद्घाटन किया कि चिट्ठी भेज कर विरोधी उन्हें (बच्चू कडू) जेल में डालने की धमकी दे रहे है. लेकिन वे डरने वाले नहीं. जमकर लडेगें और जीतेगें भी.
नेहरु मैदान की विशाल सभा को संबोधित करते हुए बच्चू कडू ने राणा दंपत्ती पर जमकर प्रहार किए. उन्होनें कहा यह जाती धर्म का मुद्दा नहीं. किसान और खेती का विषय है. बेरोजगारों के प्रश्न महत्वपूर्ण है. अमरावती का चुनाव महाराष्ट्र को दिशा देगा. बच्चू बोले पती विधायक पत्नी सांसद… क्यों ! क्योंकि सत्ता और पैसा है… क्या हम केवल मतदान करते रहेगें? राणा दंपत्ती हल्दी कुंकू का कार्यक्रम ले रहे है, लेकिन उसी समय केंद्र सरकार व्दारा बंद की गई कपडा मिलो के मजदुर आत्महत्या करने पर मजबूर है. इससे हमें बचना होगा.
तानाशाही नहीं चलेगी. हम उखाड कर फेकेंगे. हम तो शांत बैठे थे. यदि चाहते तो सत्ता के साथ जा सकते थे. लेकिन हमने भूखे को खाना और मरिजों को इलाज देने वाले कार्यकर्ता दिनेश बूब को अपना उम्मीदवार बनाया. दिनेश बारहों महिने सेवा करते रहते है. यह पैसे के खिलाफ जनता की लडाई है. जब मैने हमारी पार्टी के राजकुमार से पुछा कि क्या करना चाहिए? राजकुमार बोले- लगा दो ! घोडा साले को. बच्चू ने कहा कार्यकर्ता हद पार नहीं होना चाहिए.
भाजपा को लताडा
बच्चू ने अपने भाषण मेें भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी जमकर लताडा. जो नेता पालकमंत्री को बालकमंत्री कहता है, तुषार भारतीय के घर पर हमला करता है, भाजपा का कार्यालय फोडता है. उसके घर में भाजपा की उम्मीदवारी दी जा रही है. सच्चे भाजपाईयों को अब सतरंजी उठाने के अलावा कोई काम नहीं. भाजपा का स्वाभिमानी कार्यकर्ता वोट नहीे देगा. केवल भाजपा के नेता मैनेज हो रहे है. कार्यकर्ता का स्वाभिमान अभी भी जिंदा है. हम जिस तरह बैलों के शंकरपट में बैलों की जोडी हकालते है, उसी तरह सामने वाले उम्मीदवारों की जोडी भी हकालेगें. हमारी विचार धारा खून बहाने वालों की नहीं खून दान देने वालों की है.
एक वोट एक रुपया
बच्चू कडू ने जब लोकसभा का चुनाव लडा था, तब एक वोट एक रुपया का नारा दिया था. आज भी बच्चू ने वही यादें ताजा की, उन्होनें कहा कि गांव-गांव दानपेटियां ले जाओ. दिनेश को वोट के साथ साथ इस लडाई में हर संभव मदद करों. सामने वाला उम्मीदवार 500 करोड का मालिक है. हम कुछ मदद कर दिनेश का काम हलका कर सकते है. बच्चू के इस भाषण के समय मंच पर कुछ दान पेटियां भी बना कर रखी गयी थी.
चिट्ठी भेज कर बच्चू को जेल में डालने की धमकी, हटा सावन की घटा
इस अवसर पर बच्चू कडू ने कहा कि उनके घर एक चिट्ठी भेजी गई है. जिसमें कहा गया है कि ज्यादा बजोगे तो अंदर जाओगें. बच्चू ने कहा हम डरते नहीं. दिव्यांगो और जनता के लिए लडते हुए 350 अपराध उन पर दर्ज है. वे चार महिने जेल में रहे है. 115 बार रक्तदान किया है. लडना भिडना उनकी आदत है. बच्चू ने कहा हटा सावन की घटा. एक ओर किसान के लिए मांगते है. यदि जेल में डालना है तो डाल दो. वहां से भी चिल्लाएगें.
मुद्दो पर बोलो, जात पर नहीं
बच्चू ने कहा जात और धर्म सबको प्यारी है. लेकिन यह व्यक्तिगत विषय है. देश का भविष्य जात और धर्म पर तय नहीं हो सकता. यह देश के भविष्य और जनता का विषय है. यहां मुद्दो पर बोलो. दस पंद्रह कंपनियों के हाथ में देश बेच रहे है. रामदेव बाबा नमक, मिर्ची बना रहा है. बचत गट मर रहे है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट किसान हित में थी. मंजुर नहीं की गई. वो गया ये आया, बस यही चल रहा है. ध्यान रखों अंत में चुनाव जात और धर्म पर ले जाएगें. यह उनकी अंतिम हरामखोरी होगी. लेकिन इससे बचना होगा. हमारी लडाई, दलित, वंचित, शोषित, पिडित, गोर गरीब, जनता, किसान की है. हमें जेल में भी डालेगें तो हम वहां से चिल्लाएगें.