सात दिनों का अनशन खत्म करते ही बच्चू कडू को मिला जबरदस्त झटका
बच्चू कडू जिला बैंक के संचालक पद से अपात्र, अध्यक्ष पद पर भी गिरी गाज

* विभागीय सहनिबंधक ने जारी किया आदेश
* 13 मई को ही जारी हो चुका था आदेश
* संबंधित पक्षों को अब मिली आदेश की कॉपी
* जानकारी सामने आते ही मचा हंगामा
* सहकार सहित राजनीतिक क्षेत्र में हडकंप
* नाशिक कोर्ट से एक साल के सजायाप्ता रहने के मामले में आया फैसला
* हरीभाऊ मोहोड तथा 11 विपक्षी संचालकों ने दायर की थी याचिका
अमरावती/दि.16 – स्थानीय जिला मध्यवर्ती बैंक के अध्यक्ष रहनेवाले पूर्व मंत्री बच्चू कडू को विभागीय सहनिबंधक द्वारा 13 मई 2025 को जारी आदेशानुसार अध्यक्ष पद सहित बैंक के संचालक पद हेतु अपात्र ठहरा दिया गया है. साथ ही उनके बैंक की व्यवस्थापन समिति के शेष कार्यकाल हेतु दुबारा नामनिर्देशित, स्वीकृत, नियुक्त व निर्वाचित होने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. विभागीय सहनिबंधक सहकारी संस्था द्वारा जारी इस आदेश की जानकारी के आज सामने आते ही सहकारिता सहित राजनीतिक क्षेत्र में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया है, तथा इसे अभी विगत सप्ताह ही सात दिनों तक आमरण अनशन करते हुए सरकार को घेरनेवाले बच्चू कडू के लिए जबरदस्त झटका माना जा रहा है.
बता दें कि, बच्चू कडू के खिलाफ नाशिक के सकरवाडा पुलिस थाने में भादंवि की धारा 353 व 504 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया गया था. जिसकी सुनवाई करते हुए नाशिक की विशेष अदालत ने तत्कालीन राज्यमंत्री व विधायक बच्चू कडू को एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ बच्चू कडू ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. जिसके चलते खंडपीठ ने सजा के अमल पर रोक लगाई थी और यह मामला अब भी न्यायप्रविष्ठ है. इसी बात को आधार बनाते हुए अमरावती जिला मध्यवर्ती बैंक के संचालक हरीभाऊ मोहोड सहित अन्य 11 संचालकों ने विभागीय सहनिबंधक के समक्ष याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि, बैंक की विधि व उपविधि सहित महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 की धाराओं के मुताबिक यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी कानून के तहत किसी अपराध के लिए कम से कम एक वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए कारावास की सजा प्राप्त करता है तो उसे व्यवस्थापकीय समिति के सदस्य एवं किसी पद पर नियुक्त व नामनिर्देशित होने के लिए पात्र नहीं माना जाए. परंतु वर्ष 2021 में अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के व्यवस्थापन समिति सदस्यों के चुनाव में बच्चू कडू ने हिस्सा लिया था और वे अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए थे. जबकि उसी बच्चू कडू को नाशिक कोर्ट द्वारा एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई जा चुकी थी. ऐसे में वे अध्यक्ष पद एवं व्यवस्थापन समिति सदस्य पद के लिए पूरी तरह से अपात्र है. इस मामले में विपक्षी संचालकों की ओर से एड. नीलेश गावंडे ने पैरवी की थी. वहीं अध्यक्ष बच्चू कडू की ओर से एड. एस. एस. गोहाड व एड. वि. वि. काले ने युक्तिवाद करते हुए बताया था कि, यद्यपि नाशिक कोर्ट ने बच्चू कडू को एक साल के कारावास की सजा सुनाई है, लेकिन नाशिक कोर्ट के आदेश को बच्चू कडू द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद हाईकोर्ट ने इस सजा पर रोक लगा दी थी. अत: बच्चू कडू उस वक्त जिला बैंक के अध्यक्ष पद का चुनाव लडने हेतु अपात्र नहीं थे. वहीं विपक्षी संचालकों की ओर से दावा किया गया कि, हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाई थी, सजा को स्थगित नहीं किया था. अत: बच्चू कडू उस समय सजायाप्ता ही थे. जिसके चलते वे व्यवस्थापन समिति सदस्य का चुनाव लडने हेतु पात्र नहीं थे.
इस मामले में दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद विभागीय सहनिबंधक ने 9 मई को अंतिम सुनवाई की थी और जल्द फैसला सुनाए जाने की बात कही थी. जिसके उपरांत 13 मई 2025 को विभागीय सहनिबंधक चैतन्य नासरे ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए बच्चू कडू को जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक के तौर पर अपात्र घोषित किया. साथ ही कहा कि, बच्चू कडू के संचालक के तौर पर अपात्र घोषित होते ही उनके बैंक के व्यवस्थापन समिति की सदस्यता भी निरस्त हो गई है, तथा उनका स्थान रिक्त घोषित किया जाता है. साथ ही अब समिति के अगले पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म होने तक बच्चू कडू दुबारा समिति सदस्य के तौर पर नियुक्त, नामनिर्देशित, स्वीकृत व निर्वाचित होने के लिए पात्र नहीं रहेंगे.
इस आदेश के सामने आते ही शहर सहित जिले के राजनीतिक व सहकारिता क्षेत्र में अच्छी-खासी सनसनी व्याप्त हो गई है. उल्लेखनीय है कि, अभी दो दिन पहले ही शनिवार 14 जून को पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने किसान कर्जमाफी की मांग को लेकर सात दिन चले अपने आमरण अनशन को खत्म किया था. जिसके दो ही दिन बाद विभागीय सहनिबंधक का फैसला सामने आया है. जिसे बच्चू कडू के लिए काफी बडा और जबरदस्त झटका माना जा रहा है. * अभी तो शुरुआत, जल्द ही हमारे पीछे ईडी और सीबीआई लगेंगे
– बच्चू कडू ने खुद को घेरे जाने का आरोप लगाया
– कहा – मुझे जेल भेजने की हो रही तैयारी
इस पूरे मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू ने कहा कि, अभी हाल ही में उन्होंने सात दिनों का अनशन करते हुए सरकार को जमकर घेरने का काम किया. जिसकी वजह से सरकार की मुश्किले काफी बढ गई थी. साथ ही उन्होंने सरकार को 2 अक्तूबर का अल्टीमेटम देते हुए अपना अनशन खत्म किया था. जिसके तुरंत बाद अब उनके जिला बैंक अध्यक्ष पद के संदर्भ में उनके विरुद्ध फैसला आ गया. जिसे देखकर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ है. बल्कि अब उन्हें पूरी उम्मीद है कि, उनके खिलाफ जल्द ही ईडी व सीबीआई को भी काम पर लगाया जाएगा, ताकी उन्हें जल्द से जल्द जेल में डाला जा सके.
सात दिन के अनशन पश्चात इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चू कडू ने अस्पताल में ही पत्रकारों से संवाद साधते हुए कहा कि, हाल ही में राज्य के एक प्रमुख व्यक्ति के दालान में अमरावती जिले के दो विधायकों की मुलाकात और चर्चा हुई. जहां पर उपस्थित एक अधिकारी के मुताबिक बच्चू कडू को सितंबर माह तक जेल में भेजने के इंतजाम करने के निर्देश जारी हो चुके है. जिसके लिए प्रशासकीय स्तर पर आनेवाली दिक्कतों को अभी से ही खोजने हेतु कहा गया है. बच्चू कडू ने यद्यपि किसी पार्टी या नेता का नाम नहीं लिया. लेकिन उनका सीधा इशारा सत्ताधारी दल भाजपा की ओर था.
इसके साथ ही बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, अनशन पर बैठने से पहले से ही उन पर काफी अधिक दबाव डाला जा रहा था और उन्हें जिला बैंक के उनके कुछ सहयोगी संचालकों ने चुप रहने की सलाह भी दी थी, ताकि उनकी दिक्कते न बढे. चूंकि उन्होंने सात दिन अनशन करते हुए सरकार की दिक्कते बढाई है, तो अब सरकार द्वारा उन्हें घेरने का निश्चित तौर पर प्रयास किया जाएगा. चूंकि उन्होंने 2 अक्तूबर को गांधी जयंती वाले दिन मुंबई मंत्रालय में घुसने का अल्टीमेटम दिया है. ऐसे में अब सरकार द्वारा उन्हें सितंबर माह तक किसी न किसी तरह गिरफ्तार कर जेल में डालने का षडयंत्र रचा जा रहा है. जिसकी शुरुआत शनिवार को अनशन खत्म होने के बाद आज सोमवार को विभागीय सहनिबंधक की ओर से जारी आदेश के जरिए हो गई है.
बच्चू कडू ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि, उन्हें जिला बैंक के संचालक पद हेतु अपात्र घोषित कर दिया गया है. इसकी जानकारी उन्हें मीडिया के जरिए हासिल हुई. जबकि एक माह पहले जारी हुए आदेश की उन्हें अब तक कोई नोटिस भी नहीं दी गई है. जिससे स्पष्ट है कि, यह कार्रवाई बदले की भावना के तहत की गई है. बच्चू कडू के मुताबिक यद्यपि उन्हें अपात्र ठहराए जाने की मांग कांग्रेस के कुछ संचालकों द्वारा की गई थी. लेकिन उनकी आड लेकर भाजपा ने अपनी चाल चल दी. ताकि बच्चू कडू का ‘गेम’ किया जा सके.
* भाजपा का पूरे मामले से कोई लेना-देना नहीं
वहीं इस पूरे मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अचलपुर के भाजपा विधायक प्रवीण तायडे ने कहा कि, बच्चू कडू को जिला बैंक के संचालक पद से अपात्र ठहराने का निर्णय जिला विभागीय सहनिबंधक द्वारा लिया गया है. यह काफी पुराना मामला है और कांग्रेस संचालकों ने बच्चू कडू के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. जिसका भाजपा के साथ कोई संबंध नहीं है. साथ ही साथ इसका बच्चू कडू द्वारा किए गए अनशन के साथ भी कोई संबंध नहीं है.
* आदेश की टाईमिंग ही सबकुछ बता रही है
जिला बैंक में अध्यक्ष बच्चू कडू के साथ उपाध्यक्ष रहनेवाले अभिजीत ढेपे के मुताबिक इस आदेश के सार्वजनिक होकर सबके सामने आने की टाईमिंग भी अपने-आप में पूरी कहानी बयान कर देती है. ढेपे के मुताबिक एक ओर तो यह आदेश 13 मई को जारी किए जाने कि, बात कही जा रही है. जिसमें बच्चू कडू को संचालक व व्यवस्थापन समिति सदस्य पद से अपात्र ठहराया गया. वहीं दूसरी ओर 22 मई तथा 6 व 9 जून को विभागीय सहनिबंधक कार्यालय द्वारा जिला बैंक के नाम जारी पत्र में बच्चू कडू को ही अध्यक्ष संबोधित किया गया है. यह दोनों ही बाते परस्पर विरोधी है. इसके अलावा बैंक के उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने 13 मई वाला आदेश जारी करनेवाले अधिकारी की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि, जो व्यक्ति जलगांव में पदस्थ रहते समय रिश्वत लेने के मामले में एसीबी द्वारा धरा गया हो, वह बच्चू कडू जैसे स्वच्छ छवी वाले व्यक्ति के बारे में फैसला देता है, इससे बडी मजाक की बात क्या होगी?
* आखिर सच की जीत हुई, हम कैवेट दाखिल करेंगे
उधर इस पूरे मामले को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए जिला बैंक के विपक्षी संचालक हरीभाऊ मोहोड व रवींद्र गायगोले का कहना रहा कि, लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इस मामले में सच की जीत हुई और चूंकि उनके विरोधियों द्वारा उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दी जा सकती है. अत: वे अपनी ओर से कैवेट दाखिल करेंगे. ताकि उनका पक्ष सुने बिना कोई अगला फैला न हो. इसके साथ ही इन दोनों विपक्षी संचालकों का यह भी कहना रहा कि, जिला बैंक के मौजूदा सत्ता पक्ष ने धनबल के दम पर इस पूरे मामले को दबाए रखने का जबरदस्त प्रयास किया. यहां तक की 13 मई को इस मामले का फैसला विभागीय सहनिबंधक द्वारा सुनाए जाने के बाद जारी हुई नोटिसों को भी जानबुझकर स्वीकार नहीं किया गया और इस फसले की जानकारी को भी बाहर नहीं आने दिया गया. लेकिन अब जैसे ही याचिकाकर्ता संचालकों को इस आदेश की प्रतिलिपी मिली, तो इसकी जानकारी सार्वजनिक हुई है.