बच्चू कडू भले ही चुनाव हारा किंतु रहेगा सक्रिय
राजमाता जीजाउ जयंती पर स्वयंसिद्ध महिलाओं का सत्कार
* प्रहार जनशक्ति पार्टी का आयोजन
अमरावती /दि.13– बच्चू कडू के लिए सत्ता कभी सर्वस्व नहीं रही. जबकि आज के अनेक लोगों के लिए केवल सत्ता ही साध्य है. बच्चू कडू भले ही चुनाव में पराजित हो गया, किंतु वह दोबारा उठ खडा हो सकता है. अपनी रयत को हमेशा ही जाति-धर्म और प्रांत से अधिक समझा है. सदैव सक्रिय रहकर लोगों के काम करते रहेंगे. इस प्रकार की घोषणा पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने की, वे राजमाता जीजाउ की जयंती उपलक्ष्य आरटीओ कार्यालय के पास स्थित जीजा माता के प्रतिमा परिसर में स्वावलंबी महिलाओं के सत्कार समारोह में बोल रहे थे. यह सत्कार उनकी प्रहार जनशक्ति पार्टी ने आयोजित किया.
बच्चू कडू ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि, जो कभी भाषण नहीं देते थे, उन्हें लोगों ने अपनाया. जबकि हम जनता के बीच रहकर काम करने वाले है. दोबारा उठ खडे होकर दिखाएंगे. स्वयंसिद्धा उद्योजकता विकास अभियान की संयोजक प्राचार्य डॉ. स्मीता देशमुख ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस समय क्षीप्रा मानकर, प्रा. डॉ. मोनिका उमक, गुंजन गोले, सीमा पाखरे आदि उपस्थित थी. कार्यक्रम में राष्ट्रीय बाल शौर्य पुरस्कार विजेता करीना थापा का सत्कार किया गया.
उसी प्रकार अंबाय बहुद्देशीय संस्था की अध्यक्ष माधुरी चव्हाण, दाल मिल संचालिका पूजा रडके, निशांत संस्था कीअध्यक्षा पद्मा पुरी, सोनी बचत गट की अध्यक्ष सफिया बानो दिलशाद अली, ज्ञानेश्वरी संस्था की शारद अंभोरे, अनिता पारसे, वर्षा गावंडे, अनाथ और दिव्यांगों हेतु काम करने वाली मंजू वासनिक, कुमूद पाचपोर, डॉ. भारती जाधव, श्वेता पाटिल, कांचन मीना, करुणा बोबडे, नंदा राउत, ज्योति शेलके, अर्चना मंडनकर, लता म्हाला, संघ मित्रा खोब्रागडे, आरती काले, अलका घोडेस्वार, सुनंदा पाटिल, मालती वर आदि के साथ ही बॉक्सींग की राज्य स्पर्धा के स्वर्णपदक विजेता सूर्यकांत देव का भी सत्कार किया गया. शाल, श्रीफल, स्मृतिचिन्ह और प्रमाणपत्र पूर्व विधायक बच्चू कडू ने प्रदान किये.
बच्चू कडू ने कहा कि, एक पराजय से किसी का जीवन खत्म नहीं हो जाता. उस दौर में राजमाता जीजाउ ने सत्ता की लालसा के विचार कुचल दिये थे. आज हमें छत्रपति की तलवार और संविधान का नाता निर्माण करने की आवश्यकता है. समाज मेें बुरी बातें बढ रही है. उनका नाश करना है. श्रमिकों का प्रबंधन करना है. केवल भाषण देकर कुछ नहीं पाया जा सकता. हमेशा कल्पना व्यक्त करने से अधिक उसे क्रियान्वित करना महत्वपूर्ण है.
अध्यक्षीय संबोधन में प्रा. डॉ. देशमुख ने कहा कि, लिंग समानता के लिए हमें महिलाओं के विचारों को सुनना होगा. महिलाओं को बोलने का अवसर दिया गया, तो समाज में महिला सक्षमीकरण और समानता की लफ्फाजी की आवश्यकता ही नहीं होगी. उन्होंने कहा कि, जिम्मेदारी दोनों की है पुरुष और महिला की. घर में रहने वाली महिलाओं को बोलने एवं सुनने की मानसिकता तैयार करनी चाहिए. महिलाओं पर अधिक जिम्मेदारी है, वे ही समाज और राष्ट्र का भविष्य तैयार करती है. इसलिए समय पर आयी दिक्कतों का प्रबंधन और कुशलता से पार करना चाहिए. संचालन और आभार प्रदर्शन जीतू दुधाने ने किया. आरंभ में बच्चू कडू और प्रहारियों ने राजमाता जीजाउ की प्रतिमा को माल्यार्पण कर नतमस्तक हुए.