जिला बैंक के अध्यक्षपद पर बने रहेंगे बच्चू कडू
मुंबई हाईकोर्ट ने दी बडी राहत, विरोधियों की याचिका खारिज

अमरावती/दि.19– मुंबई हाईकोर्ट ने गत रोज अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहनेवाले पूर्व मंत्री बच्चू कडू को बडी राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर अपात्रता की याचिका को खारिज कर दिया. जिसके चलते अब बच्चू कडू ही जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष बने रहेंगे. दिव्यांगो हेतु आंदोलन किए जाने के मामले में बच्चू कडू को स्थानीय अदालत द्वारा 2 साल की सजा सुनाई गई थी. ऐसे में बच्चू कडू के सजायाफ्ता रहने का मुद्दा उठाते हुए जिला बैंक के विपक्षी संचालकों ने बच्चू कडू को बैंक का अध्यक्ष बने रहने हेतु अपात्र ठहराए जाने की मांग करने के साथ ही इस मुद्दे को लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जहां पर हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विपक्षी संचालकों की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि, बच्चू कडू खिलाफ अपात्रता का कोई भी मामला नहीं बनता है. ऐसे में हाईकोर्ट के इस फैसले को बच्चू कडू के लिए बडी राहत माना जा रहा है. वहीं इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बच्चू कडू ने कहा कि, अब अदालत के फैसले से सत्य की जीत हुई है और उन्हें पद से हटाने के विपक्षी मनसूबों पर पानी फिर गया है.
बता दें कि, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के विपक्षी संचालकों ने बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. इसके बाद विभागीय सह निबंधक ने बैंक के अध्यक्ष पूर्व विधायक बच्चू कडू को बैंक के संचालक पद से अयोग्य घोषित करने का नोटिस जारी किया और उन्हें व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर 18 मार्च तक जवाब देने का भी निर्देश दिया गया. हालांकि, बच्चू कडू ने मुंबई उच्च न्यायालय से सजा पर स्थगन प्राप्त कर लिया है, यह वही मामला है जिसने राजनीति को गरमा दिया था. इसलिए अब यह सुनवाई निरर्थक हो गई है और विपक्ष को बडा झटका लगा है. उल्लेखनीय है कि, इस संबंध में सुनवाई मंगलवार को होनी थी, लेकिन विभागीय सह निबंधक के अवकाश पर चले जाने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई. उधर हाईकोर्ट ने भी बच्चू कडू को राहत दे दी है.
उल्लेखनीय है कि, जिला मध्यवर्ती बैंक में सत्ता संघर्ष जोरों पर है. बबलू देशमुख गुट के संचालक हरिभाऊ मोहोड सहित ग्यारह संचालकों ने बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू को बैंक के संचालक पद से अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिका दायर की. उन्होंने सबूत पेश किए हैं कि, नाशिक जिला न्यायालय ने उन्हें एक मामले में एक साल की जेल की सजा सुनाई है. चूंकि बैंक के उपनियमों में कहा गया है कि, जिन निदेशकों को एक वर्ष से अधिक कारावास की सजा सुनाई गई है, वे इस पद के लिए अयोग्य हैं, इन नियमों के आधार पर विभागीय सह निबंधक ने 7 फरवरी को एक पत्र जारी कर पूछा कि उन्हें अयोग्य क्यों न घोषित कर दिया जाए. इसके लिए बच्चू कडू को सोमवार 24 फरवरी को दोपहर 3 बजे व्यक्तिगत रुप से या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होकर अपनी गवाही दर्ज कराने और अपना बयान प्रस्तुत करने की सलाह दी गई. हालांकि, सुनवाई के दौरान उन्होंने अपना पक्ष रखने के लिए 10 मार्च तक का समय मांगा. उनकी मांग को स्वीकार करते हुए संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने अंतिम तिथि 10 मार्च तक बढा दी थी तथा उन्हें अपनी अयोग्यता के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. लेकिन चूंकि उन्हें आगे भी विस्तार की उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने अंतत: उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने उसे अंतिम मौका देते हुए अपना पक्ष रखने के लिए आठ दिन यानी मंगलवार 18 मार्च तक का समय दिया. 18 मार्च को अंतिम सुनवाई होने के कारण इस सुनवाई पर सभी की निगाहें लगी थी. समय की इस बढोतरी का फायदा उठाते हुए बच्चू कडू ने इन आठ दिनों के भीतर ही बॉम्बे हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ याचिका दायर कर दी और स्टे लेने की कोशिश शुरु कर दी. बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को उनकी सजा पर रोक लगा दी, जो विपक्ष के लिए बडा झटका है, क्योंकि इस स्थिति ने मामले को सुनवाई के लिए अयोग्य और निरर्थक बना दिया है.
* अन्यथा बच्चू कडू अयोग्य घोषित हो जाते
हाईकोर्ट ने बच्चू कडू की अयोग्यता पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए 18 मार्च को अंतिम सुनवाई का आदेश दिया था. अगर मंगलवार 18 मार्च को सुनवाई होती तो यह तय है कि, बच्चू कडू को संचालक पद से अयोग्य घोषित कर दिया जाता. चूंकि बच्चू कडू को बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थगन आदेश नहीं मिला था, इसलिए वे इसे आज सुनवाई के दौरान प्रस्तुत नहीं कर सकते थे. लेकिन संयोग से विभागीय सह निबंधक सही समय पर छुट्टी पर चले गए. इसलिए सुनवाई स्थगित हो गई और बच्चू कडू भाग्यशाली रहे. अब यदि वे बुधवार तक विभागीय सह निबंधक को आदेश देते हैं, तो यह तय है कि सुनवाई का कोई मतलब नहीं होगा. विभागीय सह निबंधक की छुट्टी महज संयोग थी या कुछ और, ऐसी चर्चाएं अब सहकारी क्षेत्र में शुरु हो गई हैं.
* विरोधियों की योजना विफल हुई
जब दिव्यांगों की विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किया गया तो मामला दर्ज हुआ और अदालत ने उन्हें सजा सुनाई. हमने अच्छे उद्देश्य के लिए विरोध किया. लेकिन विरोधियों ने इसका फायदा उठाया और हमें अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर कर दी. लेकिन उच्च न्यायालय ने हमें स्थगन दे दिया है, विपक्ष की योजना विफल हो गई है.
– बच्चू कडू
अध्यक्ष जिला बैंक.