बच्चू कडू का अनशन हुआ खत्म

सात दिन चले अन्नत्याग आंदोलन पश्चात

* मंत्री उदय सामंत व जिलाधीश येरेकर की मध्यस्थता रही सफल
* बच्चू कडू ने दिव्यांग व्यक्ति व विधवा महिला के हाथों शरबत पीकर छोडा अनशन
* सरकार को किसान कर्जमाफी हेतु दिया 2 अक्तूबर तक अल्टीमेटम
* अन्यथा गांधी जयंती पर मंत्रालय में घुसकर भगतसिंहगीरी करने की चेतावनी
* बच्चू ने आंदोलन को कार्यकर्ताओं के लिए फिलहाल स्थगित करने की बात कही
* किसानों व खेतिहर मजदूरों को जाति व धर्म की राजनीति से दूर रहकर एकजुट रहने कहा
अमरावती/दि.14 – किसानों के लिए संपूर्ण कर्जमाफी व दिव्यांगों के मानधन में वृद्धि की प्रमुख मांग सहित किसानों, दिव्यांगोें, निराधारों व विधवा महिलाओं की विभिन्न मांगों के लिए विगत रविवार 8 जून से गुरुकुंज मोझरी मे आमरण अनशन कर रहे प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने आखिरकार आज अपने आंदोलन के सातवें दिन सरकार एवं प्रशासन की ओर से अपनी मांगे पूर्ण किए जाने के संदर्भ में लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद अपने आमरण अनशन को पीछे लिया. इस समय राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत सहित विधायक अमोल मिटकरी व पूर्व लेडी गवर्नर प्रा. कमल गवई भी प्रमुख रुप से उपस्थित थे. जिनकी उपस्थिति के बीच पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने एक विधवा महिला व एक दिव्यांग व्यक्ति के हाथों नीबू शरबत पीते हुए अपना अनशन तोडा. साथ ही इस समय बच्चू कडू ने यह हुंकार भी भरी कि, वे अपने आंदोलन को खत्म नहीं कर रहे बल्कि स्थगित कर रहे है और यदि सरकार ने अपने वायदे को नहीं निभाया तो वे आगामी 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर भगतसिंहगीरी करते हुए अपने समर्थकों व किसानों के साथ सीधे मंत्रालय में घुसेंगे. इसके अलावा बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, इस वक्त बारिश और बुआई शुरु होने का समय है और किसानों को अपने-अपने खेतो में काम भी करना है. वर्ना खरीफ सीजन हाथ से निकल जाएगा, इस बात को भी ध्यान में रखते हुए वे फिलहाल अपने अनशन को पीछे ले रहे है. ताकि उनके साथ मौजूद सभी किसान व खेतिहर मजदूर अपने-अपने खेतो में जाकर काम कर सके.
बता दें कि, विगत सात दिनों से गुरुकुंज मोझरी में आमरण अनशन कर रहे बच्चू कडू से गत रोज ही राज्य के राजस्व मंत्री व जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले तथा राज्य के मृदा व जलसंवर्धन मंत्री संजय राठोड ने अनशन स्थल पर पहुंचकर मुलाकात की थी और उनसे अनशन पीछे लेने का निवेदन भी किया था. वहीं आज राज्य के उद्योगमंत्री उदय सामंत ने भी अनशन स्थल पर पहुंचकर बच्चू कडू से अन्नत्याग आंदोलन को पीछे लेने का निवेदन करते हुए उन्हें बताया कि, राज्य सरकार द्वारा सभी मांगों की गंभीरतापूर्वक दखल ली जा रही है और अधिकांश मांगों पर सकारात्मक निर्णय हो चुका है. साथ ही साथ शेष मांगों पर भी बहुत जल्द निर्णय लिया जाएगा. ऐसे में अपने खुद के और अपने कार्यकर्ताओं के स्वास्थ का ध्यान रखते हुए बच्चू कडू ने यह अनशन समाप्त करना चाहिए. जिसके उपरांत बच्चू कडू का स्वास्थ सुद़ृढ हो जाने पर मुंबई में बैठक आयोजित कर उनके साथ ही उनकी मांगों के बारे में विस्तृत चर्चा की जाएगी.
उद्योगमंत्री उदय सामंत द्वारा किए गए निवेदन के उपरांत विगत सात दिनों से आमरण अनशन कर रहे पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि, वे आज तक कभी भी सरकार और सत्ता पक्ष के सामने कभी भी नहीं झुके और आगे भी नहीं झुकेंगे. यदि आज सरकार व प्रशासन की ओर से मांगे पूर्ण करने के संदर्भ में लिखित पत्र नहीं मिलता, तो वे सोमवार 16 जून से अन्न के साथ-साथ जल त्याग आंदोलन भी शुरु करनेवाले थे. लेकिन विगत सात दिनों के दौरान उनके साथ अन्नत्याग आंदोलन कर रहे कुछ अनशनकारियों की तबियत लगातार बिगडती चली गई. साथ ही साथ उनके कई कार्यकर्ताओं द्वारा अब उग्र भूमिका भी अपनाई जाने लगी है. जिसके तहत उनके किसी कार्यकर्ता ने जहर गटक लिया, तो कुछ कार्यकर्ता मोबाइल टॉवरों पर चढकर कुदने के लिए तैयार हो गए. ऐसे में अपने कार्यकर्ताओं की ओर से खुद पर लगातार बढते दबाव को देखते हुए वे राज्य सरकार को थोडा वक्त देने के लिए तैयार हुए है. जिसके तहत वे अपने आंदोलन को खत्म नहीं बल्कि स्थगित कर रहे है. यह कहने के साथ ही बच्चू कडू ने मंच पर अपने साथ मौजूद एक विधवा महिला व एक दिव्यांग व्यक्ति के हाथों शरबत के दो घुंट पीकर अपना अनशन समाप्त किया.
इसके साथ ही पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, भले ही राज्य सरकार ने किसान कर्जमाफी के लिए किसी निश्चित तारीख की घोषणा नहीं की है. लेकिन वे अपनी ओर से 2 अक्तूबर की डेडलाइन तय कर रहे है. यदि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा किसान कर्जमाफी और दिव्यांगों के मानधन वृद्धि को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो वे अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं व किसानों को साथ लेकर 2 अक्तूबर को गांधी जयंती वाले दिन मंत्रालय में घुसकर भगतसिंह वाली स्टाइल में आंदोलन करेंगे. बच्चू कडू की इस घोषणा का अनशन स्थल पर मौजूद उनके सभी समर्थकों ने जोरदार ढंग से स्वागत किया.
* बच्चू और प्रहार अभी जिंदा है
इस समय अपने संबोधन में पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, विधानसभा चुनाव में उनकी हार के बाद कई लोग यह मान बैठे थे कि, बच्चू कडू और प्रहार पार्टी अब खत्म हो चुके. लेकिन इस आंदोलन ने यह दिखा दिया है कि, बच्चू कडू और प्रहार पार्टी अभी जिंदा है तथा हमारा अस्तित्व और भी मजबूत हुआ है. बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, पिछले कुछ समय से राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र की जनता विशेषकर किसानों को हिंदू-मुस्लिम तथा ओबीसी व मराठा जैसे मुद्दों की आड लेकर बांट दिया था. परंतु आज किसानों व खेतिहर मजदूरों के लिए प्रहार पार्टी ने पूरे महाराष्ट्र को एक मंच पर लाकर खडा कर दिया है. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि, उनके इस आमरण अनशन से अब महाराष्ट्र में किसानों व खेतिहर मजदूरों के लिए नई चेतना पैदा होगी.
* साढे तीन लाख किसान आत्महत्याओं के समय संवेदना कहां सो रही थी
इस समय बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, दो दिन पूर्व गुजरात के अहमदाबाद में घटित विमान हादसे का हवाला देते हुए उनसे अनशन खत्म करवाने का भावनात्मक प्रयास किया गया. उक्त विमान हादसे में मारे गए सभी लोगों के प्रति हमारी भी संवेदनाएं है. लेकिन हमें इमोशनल ब्लैकमेल करनेवालों से हम पूछना चाहते है कि, महाराष्ट्र में अब तक साढे तीन लाख किसानों द्वारा आत्महत्या कर ली गई, उन किसानों और उनके परिवारों के प्रति ऐसे लोगों ने अब तक कोई संवेदना क्यों नहीं दिखाई. साथ ही बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, लाखों रुपयों के वेतन लेनेवाले मंत्रियों व अधिकारियों को इस बात के लिए शर्म कैसे नहीं आती कि, समाज के अंतिम घटक रहनेवाले दिव्यांगों, निराधारों व विधवाओं को 6-6 माह तक अनुदान व मानधन नहीं मिलता. साथ ही साथ किसानों को पुरक धंधा करने की सलाह देनेवाले लोगों को जमकर आडेहाथ लेते हुए बच्चू कडू ने कहा कि, सबसे पहले मंत्रियों तथा अधिकारियों के भारी-भरकम वेतन में कटौती करते हुए उनसे पुरक धंधे करवाएं जाए. जिसके बाद किसानों को इस बारे में सलाह दी जाए.
* जो अब तक चुप बैठे थे, हमने उनका मुंह खुलवा दिया
इस समय बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, किसान कर्जमाफी का वादा करते हुए राज्य की सत्ता हासिल करनेवाले महायुति के नेता सत्ता में आते ही अपने वायदे से साफ मुकर गए और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेलते हुए उन्होंने किसान कर्जमाफी को मजाक का विषय बना दिया था. लेकिन अब जैसे ही उनके अन्नत्याग आंदोलन की वजह से पूरे राज्य में हंगामा मचना शुरु हुआ तो सीएम देवेंद्र फडणवीस व डेप्युटी सीएम अजीत पवार की जुबान खुलने लगी, तथा वे दोनों जल्द से जल्द किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर विचार करने की बात कहने लगे
* पुराने कर्ज की वसूली में न हो सख्ती, नया कर्ज भी मिले
अपना अनशन खत्म करने के लिए तैयार हुए पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने उद्योगमंत्री उदय सामंत से यह भी निवेदन किया कि, जब तक किसान कर्जमाफी को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं होता, तब तक किसानों से पुराने कर्ज की वसूली को लेकर कोई सख्ती न की जाए. साथ ही साथ उन्हें नया फसल कर्ज भी मुहैया कराए जाए, ताकि किसानों को निजी साहूकारों के दरवाजे पर जाकर उंची ब्याज दरों पर कर्ज न लेना पडे. साथ ही बच्चू कडू ने किसानों से भी आवाहन किया कि, यदि किसी बैंक के अधिकारियों द्वारा उनके साथ बकाया कर्ज की वसूली के लिए किसी भी तरह की कोई सख्ती की जाती है, तो ऐसे वसूली अधिकारियों को गांव में बांधकर रखा जाए और उनकी जमकर सुताई भी की जाए.
* जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक की जमकर की प्रशंसा
अपना अनशन खत्म करते समय उपस्थितों को संबोधित करते हुए बच्चू कडू ने अमरावती के नवनियुक्त जिलाधीश आशीष येरेकर का दो से तीन बार नामोल्लेख करते हुए उनकी जमकर प्रशंसा की. साथ ही साथ ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद की भी सराहना की. इस समय बच्चू कडू ने खुद से मिलने आए सभी नेताओं व राज्य सरकार के मंत्रियों के प्रति आभार ज्ञापित करने के साथ-साथ आंदोलन के दौरान साथ रहनेवाले अपने सभी समर्थकों व कार्यकर्ताओं के प्रति भी कृतज्ञता दर्शायी और 25 में से 20 मांगे राज्य सरकार द्वारा मान्य किए जाने को इस आंदोलन व अनशन की बडी जीत बताया.

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