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बच्चू कडू की महत्वाकांक्षा को लगे पर

महायुति में पूछ परख बढाने अभी से प्रयत्न

अमरावती/दि. 30- विधायक बच्चू कडू को दिव्यांग कल्याण विभाग का अध्यक्ष पद देकर राज्य मंत्री की श्रेणी से उनकी नाराजगी शिंदे सरकार ने दूर करने का प्रयत्न किया था. किंतु बच्चू कडू अभी भी समाधानी नहीं है. उन्होंने भाजपा को साफ संकेत दिया है. यह कहा है कि एकनाथ शिंदे ममुख्यमंत्री रहने तक वे अन्य किसी आघाडी में जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. इससे जानकार उनकी बढती महत्वाकांक्षा अधोरेखित कर रहे हैं. यह भी कहा जा रहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रथापित विरोधी की भावना दूर करने की उनकी कोशिश है.
विधायकों की भूमिका को 2019 के चुनाव पश्चात भाजपा एवं शिवसेना के सत्ता संघर्ष से महत्व प्राप्त हो गया. विशेषकर खींचतान के दौर में विधायक कडू ने अपना पाला उद्धव ठाकरे के पलडे में डाला. सत्ता स्थापना से पहले ही वे मातोश्री पहुंच ठाकरे को समर्थन घोषित कर चुके थे. जिससे उन्हें महाविकास आघाडी सरकार में मंत्री पद प्राप्त हुआ.
जून 2022 के एकनाथ शिंदे के ठाकरे के विरुद्ध बगावत में वे शिंदे के साथ हो लिए. शिंदे सीएम बने. किंतु कडू को पुन: मंत्री पद प्राप्त नहीं हो सका. वे खुल्लमखुल्ला नाराजगी घोषित करते रहे. फिर मंत्री पद का दावा पीछे लेने की भी घोषणा कर डाली. उनकी जनशक्ति पार्टी के दो विधायक है. चुनाव के समय महायुति में पार्टी की अहमियत बढाने के लिए उन्होंने अभी से प्रयास शुरु कर दिए, ऐसा लगता है.
सत्ता में रहने पर भी विरोध में वक्तव्य देने से कई बार बच्चू कडू के महायुति से बाहर निकलने की चर्चा शुरु हो जाती. इस बीच राकांपा नेता शरद पवार अमरावती पधारे तो कडू ने पवार को अपने घर जलपान के लिए आमंत्रित किया. स्वाभाविक रुप से चर्चा शुरु हो गई कि कडू महाविकास आघाडी में लौट सकते हैं. पवार से मुलाकात पश्चात उन्होंने महायुति से बाहर निकलने की अटकलों को खारीज किया. उन्होंने अपने अंदाज में कह दिया कि नेताओं की आपसी बातचीत का पूरा ब्यौरा नहीं दिया जा सकता.
कडू चार बार अचलपुर सीट से चुने जा रहे हैं. वे अपने प्रहार जनशक्ति पक्ष के विस्तार की जुगत में है. अब भाजपा व्दारा कौनसी गुगली डाली जाती है और उसे महायुति से कैसा प्रतिसाद मिलता है, यह देखने वाली बात होगी.

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