आनन-फानन में महाटेंडर से हटाये बायोमायनिंग के टेंडर
‘जेम’ पोर्टल पर निविदा जारी करने पर उठ रहे सवाल
* किसी नियोजित एजेंसी को काम सौंपने का षडयंत्र?
* मनपा के अधिकारी को ही पता नहीं नियम!
अमरावती/दि.10- शहर के सुकली कंपोस्ट डिपो पर जो कचरे के पहाड खडे है, उस कचरे पर प्रक्रिया करने के लिए 19 करोड रुपए लागत मूल्य का बायोमायनिंग का प्रोजेक्ट मनपा ने मंजूर कर इस प्रकल्प के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरु की है. सबसे पहले 26 अप्रैल को महाटेंडर पोर्टल पर बायोमायनिंग की निविदा प्रकाशित की गई थी. जो 6 मई को खुलने वाली थी. लेकिन अचानक मनपा प्रशासन ने 6 मई से पहले बायोमायनिंग के टेंडर बायोमायनिंग के पोर्टल से हटाकर जेम पोर्टल पर जारी किये. जिससे महाटेंडर पर जारी निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाली एजेंसियों को दुबारा टेंडर भरने की नौबत आयी. जिस पर महानगरपालिका प्रशासन द्बारा आनन-फानन में महाटेंडर पर जारी निविदा हटाकर जेम पोर्टल पर क्यों जाहीर की, इसका जवाब मनपा प्रशासन से मांगा जा रहा है. मनपा गलियारे में चर्चा है कि, बायोमायनिंग के टेंडर किसी विशिष्ट एजेंसी को मिले. इसी कारण यह निविदा महाटेंडर से हटाकर जेम पोर्टल पर प्रकाशित करने का कारणामा मनपा ने कर दिखाया है. किसी नियोजित एजेंसी को यह 19 करोड का टेंडर देने का षडयंत्र मनपा में शुरु रहने की चर्चा है.
बायोमायनिंग के टेंडर को लेकर पहले ही कई विवादों का सामना हुआ है. मनपा प्रशासन द्बारा तत्कालीन कार्यकारिणी को विश्वास में नहीं लेते हुए संबंधित प्रकल्प को मंजूरी प्रदान की गई थी. जिस पर सदन में खुब हंगामा भी हुआ. विरोधी खेमे की मांग को दरकिनार रखते हुए तत्कालीन प्रशासन ने बायोमायनिंग के ठेके को मंजूरी प्रदान कर दी. लेकिन इस प्रक्रिया पर सवाल उठने के बाद मनपा प्रशासन द्बारा बायोमायनिंग के टेंडर नये सिरे से जारी कर पुरानी प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी. जिससे अब यह प्रक्रिया नये सिरे से की जा रही है. लेकिन इसमें भी मनपा प्रशासन द्बारा गडबडी करने के आरोप लग रहे है.
* अधिकारियों को समय पर याद आये नियम
मनपा प्रशासन द्बारा बायोमायनिंग के टेेंडर सर्व प्रथम महाटेंडर पोर्टल पर जारी किये गये थे. जिसे प्रतिसाद भी मिल रहा था. लेकिन अचानक मनपा के सिटी इंजिनिअर रविंद्र पवार को नियमों की याद आयी और उन्हें अचानक साक्षात्कार हुआ कि, संबंधित टेंडर जेम पोर्टल पर जारी करने का नियम मनपा ने पहले ही बना रखा था. जिस पर जब संबंधित टेंडर महाटेंडर पर जारी किया तब यह नियम अधिकारियों को याद क्यों नहीं रहा. समय पर ही सारे नियम क्यों याद आये. इन सवालों का जवाब देने से सिटी इंजिनिअर बच रहे है. जिससे मनपा गलियारे में चर्चा है कि, यदि महाटेंडर पर संबंधित निविदा प्रक्रिया पूर्ण की जाती, तो उसे अधिक प्रतिसाद मिलकर स्पर्धा बढती. लेकिन मनपा प्रशासन द्बारा किसी नियोजन के तहत यह टेंडर ऐन वक्त पर महाटेंडर पोर्टल से हटाकर जेम पोर्टल पर डाले गये है.