* भाजपा उम्मीदवार को 26 हजार की लीड
* शहरी-ग्रामीण क्षेत्र में समसमान विस्तार
* भारतीय के घर बैठने के बावजूद आगे
बडनेरा/दि. 5– लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होते ही प्रदेश में सर्वत्र विधानसभा चुनाव की चर्चा छिड गई है. ऐसे में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत विधानसभा में किस प्रत्याशी या पार्टी को मताधिक्य मिला इसके कैलक्युलेशन शुरु हो गए हैं. अमरावती की आरक्षित लोकसभा सीट अंतर्गत 6 विधानसभा आती है. जिसमें बडनेरा क्षेत्र ने पुन: सिद्ध किया कि, यह भाजपा और शिवसेना का गढ है.
इस बार भी यहां नवनीत राणा को भाजपा-शिवसेना के वोटर्स ने बडी लीड दी. आंकडो के अनुसार 26 हजार 763 वोटो से नवनीत राणा यहां अपने प्रतिस्पर्धी कांग्रेस के बलवंत वानखडे के मुकाबले में आगे रही. उल्लेखनीय है कि, पिछली बार जीत के बावजूद राणा को बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में ही प्रतिस्पर्धी अडसूल के मुकाबले काफी कम वोट मिले थे. अडसूल 2014 की अपनी विजय के समय भी बडनेरा क्षेत्र से आगे रहे थे. उस समय भी उनकी टक्कर नवनीत राणा से ही हुई थी. राणा ने तब का इलेक्शन राकांपा प्रत्याशी के रुप में घडी निशानी पर लडा था.
बडनेरा क्षेत्र में शहरी और देहाती दोनों ही भाग समाहित है. यहां सभी समाज के वोटर्स है. शहरी भागो में देशभर का अनुभव है कि, भाजपा का मताधिक्य रहता ही है. गांव-देहात में शिवसेना की पकड घट्ट है. जिससे विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो नवनीत राणा ने देहातो में भी काफी वोट प्राप्त किए.
बडनेरा क्षेत्र से अधिकांश नगरसेवक भी भाजपा और शिवसेना के है. उसी प्रकार साई नगर, रवि नगर, रुक्मिनी नगर, दस्तूर नगर, सूतगिरणी जैसे प्रभाग इस विधानसभा में समाहित है. भाजपा के तुषार भारतीय और पूर्व महापौर चेतन गावंडे यही से मनपा सदन पहुंचे है. भारतीय ने नवनीत राणा को पार्टी की उम्मीदवारी दिए जाने का खुलकर विरोध किया था. इतनाही नहीं तो भारतीय पूरे चुनाव में अलिप्त रहे. हालांकि इस बात का नवनीत राणा के वोटो पर खास असर नहीं पडा. जिसकी विधानसभा क्षेत्र में चर्चा हो रही है. भारतीय 2014 में इस क्षेत्र से पार्टी टिकट पर चुनाव लड चुके हैं. जिससे माना जा रहा था कि, यहां राणा पिछड सकती है. मगर ऐसा हुआ नहीं. राणा ने मेलघाट के बाद सर्वाधिक लीड बडनेरा में ही प्राप्त की. स्पष्ट है कि, बडनेरा भाजपा और शिवसेना का दुर्ग है.
महाविकास आघाडी के लिए बडनेरा में शिवसेना उबाठा की प्रीती बंड, पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने और जिला प्रमुख सुनील खराटे ने काफी जोर लगाया. किंतु नतीजो से परिलक्षित हो रहा है कि, शिवसेना का वोट कांग्रेस उम्मीदवार को पूरी तरह दिलाने में उपरोक्त लीडरान बहुत अधिक सफल नहीं हुए. जिसके कारण अमरावती महानगर पालिका चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण रहने पर भी बडनेरा में बलवंत वानखडे 73361 वोट प्राप्त कर सके. जबकि पिछले चुनाव में आघाडी समर्थित उम्मीदवार ने इससे 3 हजार वोट अधिक लिए थे. उस समय 86 हजार 439 वोट लेकर अडसूल ने यहां बढत बनाई थी.
भाजपा शिवसेना के परंपरागत वोटर्स की बदौलत मेलघाट के बाद नवनीत राणा कही 1 लाख से अधिक वोट प्राप्त कर सकी है तो वह बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र ही है. बेशक नवनीत राणा के इस भाग में तगडे जनसंपर्क को इसका श्रेय दिया जा सकता है. मगर यह बात भी उतनी ही सच है कि, भातकुली, उत्तमसरा, आसरा, निंभा, मलकापुर, लोणटेक, पांढरी जैसे देहातो में भी भाजपा-शिवसेना समर्थको ने मोदी के कैंडीडेट को समर्थन दिया. दबे स्वर में कहा जाता है कि, विधायक महोदय ने बडी कोशिशे कर बौद्ध मतो में कुछ प्रमाण में सेंध लगा ली थी.
* खराटे और धाने की चकमक
चुनाव प्रचार दौरान शिवसेना उबाठा के नेताओं के बीच रार भी चर्चा का विषय बनी थी. जिला प्रमुख सुनील खराटे और पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने ने एक भरी सभा दौरान एक-दूसरे के गाल सेंक देने का खुल्लमखुल्ला दावा किया था. इसके बावजूद प्रदीप वडनेरे के घर फिर एक बैठक आहूत की गई. पूर्व विधायक वडनेरे के निवास पर हुई बैठक में 200 पदाधिकारी सहभागी होने की जानकारी है. शिवसेना उबाठा के जिले के अधिकांश हैवीवेट नेता बडनेरा क्षेत्र में पकड रखने के बावजूद यहां सभी फेल होने की चर्चा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद जमकर हो रही है.
* भाजपा-कांग्रेस को प्राप्त वोट
नवनीत राणा 100124
बलवंत वानखडे 73361