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बहिरम बाबा को लकडे से बनी गदा सहित दो बकरी व एक मूर्गी की गई अर्पित
परतवाडा/दि.15 – प्रतिवर्ष जनवरी माह के दौरान समीपस्थ श्री क्षेत्र बहिरम में एक महिने तक चलनेवाली बहिरम यात्रा की धुम रहती है. किंतु विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए बहिरम यात्रा का आयोजन नहीं हुआ और अंबाडी की सब्जी और भाकरी का भोग लगाते हुए इस बार बहिरम यात्रा का समापन किया गया. इससे पहले बहिरम बाबा को नींबू और शक्कर के पानी से स्नान कराया गया. साथ ही पाखर यानी प्रक्षाल पूजा की विधि भी पूर्ण की गई.
बता दें कि, प्रतिवर्ष 20 दिसंबर को होम-हवन के साथ ही रोडगे व बैगन की सब्जी का भोग लगाकर बहिरम यात्रा का शुभारंभ होता है और विधिवत शुरू होनेवाली इस यात्रा का समापन फरवरी माह के पहले सप्ताह में किया जाता है. जिसमें अंबाडी की सब्जी का अनन्य साधारण महत्व होता है. इस यात्रा में जिले के विभिन्न इलाकों सहित दूरदराज के क्षेत्रों से भाविक श्रध्दालुओं का श्री क्षेत्र बहिरम आना होता है. जिनमें मध्यप्रदेश के भी कई भाविक श्रध्दालुओं का समावेश रहता है. ऐसे में यहां पर पूरे एक माह तक अच्छी-खासी भीडभाड और गहमा-गहमी रहती है. साथ ही इस यात्रा में विभिन्न वस्तुओं की दुकाने भी सजती है. जिनमें दैनिक जीवन से संबंधित साहित्य की दुकानों सहित खाने-पीने और मनोरंजनात्मक साहित्य की दुकानों का समावेश रहता है. किंतु इस वर्ष कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन द्वारा बहिरम यात्रा के आयोजन को अनुमति ही नहीं दी गई. जिसके चलते यहां पर यात्रा का आयोजन नहीं हुआ. हालांकि इसके बावजूद यात्रा काल के दौरान बहिरम बाबा के दर्शनों हेतु कम-अधिक प्रमाण में भाविक श्रध्दालुओं का आना-जाना लगा रहा और भक्तों ने बहिरम बाबा के नाम पर दो बकरे व एक मूर्गे को मंदिर परिसर में छोड दिया. साथ ही कई भाविक भक्तों ने इससे पहले मानी गई मन्नत के पूर्ण होने पर बहिरम बाबा को चांदी के झूले, छाते व टोप सहित चांदी से बनी आंखे भी अर्पित की.
लकडी से बनी गदा अर्पित
बहिरम बाबा की मूर्ति के पास विगत अनेक वर्षों से एक भाविक भक्त द्वारा अर्पित की गई लकडी से बनी गदा रखी हुई थी, जो कुछ हद तक भग्न अवस्था में पहुंच गई थी. ऐसे में इस वर्ष अमरावती के एक भाविक श्रध्दालु ने लकडी से बनी नई गदा बहिरम बाबा को अर्पित की.
घंटीवाले बाबा ने ली विदाई
मोर्शी के श्री संत मारोती महाराज उर्फ घंटीवाले बाबा के भक्तोें ने कोविड नियमों का पालन करते हुए प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी बहिरम बाबा को गेंदे के फुल अर्पित किये और बहिरम की परीक्रमा पूर्ण करने के साथ भजन-पूजन संपन्न करते हुए बहिरम बाबा को नमस्कार कर बहिरम से अगले साल तक के लिए विदाई ली. बता दें कि, श्री संत मारोती महाराज उर्फ घंटीवाले बाबा प्रतिवर्ष बिना नागा बहिरम यात्रा में आया करते थे और बहिरम बाबा को गेंदे के फूल अर्पित करते हुए बहिरम की परिक्रमा पूर्ण किया करते थे. इसके साथ ही वे इस यात्रा में घंटी बजाते हुए दान के तौर पर भाविक श्रध्दालुओं से एक पैसे का दान मांगते हुए यही एक पैसे का दान और घंटी बजाना उनकी पहचान बन गये. महाराज द्वारा शरीर त्याग देने के बाद उनके भक्तों ने इस परंपरा को आगे भी कायम रखा है.
यात्रा खत्म होने के बाद लग रही भोजन की पंगतें
रोडगे व आलू-बैंगन की सब्जी को इस यात्रा का मुख्य आकर्षण माना जाता है. यात्रा के दौरान हंडी का एक अलग ही आकर्षण व स्वाद होता है. किंतु इस वर्ष कोविड संक्रमण के चलते यहां आनेवाले यात्रियों व भाविकों को हंडी व रोडगे का स्वाद नहीं मिला. यात्रा काल के दौरान इस परिसर में पुलिस की कडी नजर थी. ऐसे में प्रतिवर्ष दिखाई देनेवाले भोजन की पंगतें इस बार कहीं नहीं दिखी, लेकिन यात्राकाल समाप्त हो जाने के चलते पांच दिन पहले यहां से पुलिस चौकी हटते ही विगत पांच दिनों से यात्रा परिसर में रोडगा पार्टी शुरू हो गई है और कई लोगों द्वारा अपने परिवारों व मित्रजनों के साथ यहां सहभोजन का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में यात्राकाल खत्म होने के बावजूद इस परिसर में अच्छी-खासी भीडभाड दिखाई दे रही है.