अमरावती

सिख परिवारों द्बारा घर-घर में मनाया गया बैसाखी पर्व

कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए की अरदास

अमरावती/दि.14 – सिख परिवार द्बारा घर-घर में बैसाखी का पर्व मनाया गया. सिख भाईयों के लिए यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. सिखों के दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंह ने 321 साल पूर्व बैसाखी के दिन ही खालसा पंत की स्थापना की थी. इसी दिन पंचप्यारों को अमृतपान चखाया था, आज भी जो पुरुष खालसा बनता है तो उसे सिंह और जो महिला खालसा बनती है तो उसे कौर उपनाम दिया जाता है.
गुरुगोबिंद सिंहजी ने दो नारे दिए है जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल, और वाहे गुरुजी का खालसा, वाहे गुरुजी की फत्तेह. गुरुद्बारा गुरुसिंघ सभा में बैसाखी तथा सिंघ साजना दिवस बडे सम्मान के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर निशान साहब को बदला जाता है इस बार भी यह सेवा अमरजित सिंह जुनेजा तथा वकील सिंह के माध्यम से की गई. इस साल कोरोना संक्रमण के बढते प्रादुर्भाव को देखते हुए सभी धार्मिक स्थल बंद है.
कोरोना की पार्श्वभूमि पर प्रबंध कमेटी की चुनिंदा सदस्यों की उपस्थिती में मंगलवार की शाम 4 बजे सुखमणी साहब तथा दुखभंजनी साहब का पाठ किया गया. शाम 5 बजे सभी समाज बंधुओं ने अपने-अपने घरों में कोरोना मुक्ति हेतु अरदास की. वहीं गुुरुद्बारा गुुरुसिंघ सभा में अध्यक्ष राजेंद्रसिंह सलुजा, निक्कूसिहं खलसा, अमरजितसिंह जग्गी, गुुरुविंदरसिंह बेदी, रविंद्र सिंह सलुजा, दिलीपसिंह बग्गा, हरविंदरसिंह राजपूत, राजसिंह छाबडा, तेजेन्दरसिंह उपवेजा, गुरुचरणसिंह बग्गा, रतनदिपसिंह बग्गा, हरमिन्दरसिंह पोपली, रवींद्रपालसिंह अरोरा, जगविन्दरसिंह सलुजा सहित समाजबंधु की उपस्थित में प्रार्थना की गई. सभी सिख बंधुओं ने अपने-अपने घरों में भी पाठ व अरदास कर कोरोना मुक्ति की कामना की.

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