अमरावती

गाली गलौच व धमकी देने के आरोप से बाईज्जत बरी

अमरावती न्यायालय का फैसला

अमरावती/दि.12-हाल ही में 14 वीं प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी रोहिणी पाटील ने गाली गलौच व धमकी देने के आरोपी से रमेश नामदेवराव साकुरे, सचिन रमेश साकुरे व गौरव रमेश साकुरे (अंजनगांव बारी निवासी) को बाईज्जत बरी किया. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एड. दीपक चौधरी ने पैरवी की.
इस्तगासे के मुताबिक 19 जून 2017 की दोपहर 3 बजे ग्राम वडगांव बडनेरा में आरोपियों में आपस में मिलीभगत कर शिकायतकर्ता कमल महादेवराव अवसार और उसके पति महादेव किसनराव अवसार से खेत में डाली गई पाईप लाईन निकालने की बात कर आरोपियों ने शिकायतकर्ता और उसके पति से अभद्र भाषा में गाली गलौच की और साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी. शिकायतकर्ता की लिखित रिपोर्ट के आधार पर बडनेरा पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 294, 506 व 34 के तहत मामला दर्ज किया. जांच के बाद बडनेरा पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशिट दाखल की.
इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से पांच गवाहों की जांच की गई. आरोपियों के वकील द्वारा उलट जांच की गई. साक्षीदार सुनील कालबांडे ने सरकारी पक्ष को कोई सहयोग नहीं किया व घटनास्थल पंचनामा और उसमें लिखे मजकुर को मानने से इनकार कर दिया. साक्षीदार क्र. 2 शिकायतकर्ता कमल ने यह माना कि उसने अपने पति के कहने पर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दी और रिपोर्ट लिखने का काम उसके पति ने किया. उसी प्रकार उलट जांच में उसने यह कबुल किया कि घटना की रिपोर्ट देर से क्यों दी गई. शिकायतकर्ता के अनुसार घटना 19 जून 2017 को घटी थी लेकिन घटना की रिपोर्ट 24 जून 2017 को विलंब से दी गई. तीसरे साक्षीदार महादेव ने उलट जांच के दौरान यह माना कि उसने आरोपी रमेश साकुरे के खिलाफ 2002, 2011 व 2015 में शिकायत दी थी. उसी प्रकार उसने यह भी माना कि वहराज्य उत्पादन शुल्क विभाग में निरीक्षक पद पर कार्यरत है और उसकी पुलिस स्टेशन से हमेशा संपर्क रहता है. उसने यह भी माना कि दीवानी कोर्ट द्वारा दिए गए मनाही हुकुम में पाईप लाईन निकालने का आदेश नहीं था, फिर भी वे पाईप लाईन निकाल रहे थे. चौथे साक्षीदार तुलसा ने भी यह कबुल किया कि उसके और अवसार साहब के अच्छे संबंध है और अवसार ने ही उसे सबूत देने के लिए कहा था. इसलिए वह पुरावा देेने के लिए कोर्ट में आयी. पांचवें साक्षीदार राजु ने जांच के दौरान यह कबुल किया कि उसके शिकायतकर्ता के साथ व्यवसायिक संबंध है और उसने पुलिस को यह नहीं बताया था कि घटना के दिन शिकायतकर्ता खेत में मौजूद थी.
उलट जांच के दौरान आरोपियों के वकील ने शिकायतकर्ता व अन्य गवाहों का झुठ कोर्ट के सामने लाया औड़ यह सिद्ध करने में सफल रहे कि आरोपियों व शिकायककर्ता के पति के बीच दीवाणी कोर्ट में दीवाणी मामला खेत को लेकर चल रहा है. और इसी बात को लेकर शिकायतकर्ता ने बदले की कार्यवाही से आरोपियों के खिलाफ झुठी रिपोर्ट दी और आरोपियों को शिकायतकर्ता के पति ने सोची समझी साजीश के तहत झुठे मामले में फसा दिया. कोर्ट ने सरकारी गवाहों के बयान को भरोसेलायक नहीं माना और आरोपियों के वकील की दलीलों को मान्य करते हुए आरोपियों को बाईज्जत बरी किया. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एड. दीपक चौधरी ने सफल पैरवी की. एड. दीपक चौधरी को एड. एम.एन. भाटिया ने सहयोग किया.

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