डॉ. पोतदार व धर्मा वानखडे को बालासाहब ठाकरे आरोग्यरत्न पुरस्कार
अमरावती/ दि. 23– सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस वर्ष हेतु वंदनीय बालासाहब ठाकरे आरोग्यरत्न पुरस्कार की घोषणा गत रोज की गई. जिसके तहत अमरावती जिला अंतर्गत वरुड के ग्रामीण अस्पताल में वैद्यकीय अधिक्षक के तौर पर कार्यरत डॉ. प्रमोद पोतदार तथा स्वास्थ्य सहायक धर्मा विश्वासराव वानखडे को यह पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई. साथ ही आज सोमवार 23 जनवरी की शाम 4 बजे मुंबई के बांद्रा स्थित रंग शारदा सभागार में समारोहपूर्वक इन दोनों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया. इस समय राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विधानसभा अध्यक्ष एड. राहुल नार्वेकर, स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत, सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार मुंबई शहर के जिला पालकमंत्री दीपक केसरकर, मुंबई उपनगर के जिला पालकमंत्री मंगल प्रभात लोढा बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे.
बता दे कि, स्वास्थ्य सेवा आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति व्दारा इस पुरस्कार के विजेता का चयन किया गया. जनसहभागिता के जरिये विविध स्वास्थ्य उपक्रमों व कार्यक्रमों को सफल बनाने के उद्देश्य से यह पुरस्कार शुरु किया गया है. जिसके तहत इस वर्ष स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ठ कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्था के तौर पर उस्मानाबाद के हैलो मेडिकल फाउंडेशन का चयन किया गया है. वहीं स्वास्थ्य अधिकारी वाली श्रेणी में अमरावती जिले के वरुड में वैद्यकीय अधिक्षक के तौर पर कार्यरत डॉ. प्रमोद पोतदार तथा स्वास्थ्य कर्मी वाली श्रेणी में अमरावती के स्वास्थ्य सहायक धर्मा वानखडे का वंदनीय बालासाहब ठाकरे आरोग्यरत्न पुरस्कार के लिए चयन हुआ है.
अपने आप मेें प्रेरणादायी व्यक्ति है डॉ. पोतदार
वर्ष 1997 में एमबीबीएस व पश्चात एमडी की पदवी प्राप्त करने के उपरांत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आये डॉ. प्रमोद पोतदार जब 6 वर्ष के थे, तब पोलियो की वजह से उनके दोनों पैर नाकाम हो गए और वे स्थायी तौर पर दिव्यांगता के शिकार हो गए, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढाई पूरी करते हुए डॉक्टर बनने में सफलता हासिल की. इसके साथ ही सर्वसामान्यों को सेवा देने हेतु वे सरकारी स्वास्थ्य सेवा में आये और विगत 16 वर्षों से वरुड के ग्रामीण अस्पताल में वैद्यकीय अधिक्षक के तौर पर कार्यरत है. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2017 में वरुड तहसील की एक गर्भवती महिला को दुर्लभ माने जाते बॉम्बे रक्तगुट वाले रक्त की जरुरत थी. उस समय खुद डॉ. पोतदार ने अपनी ओर से पहल करते हुए विमान के जरिये सीधे मुंबई से इस दुर्लभ रक्तगुट वाले रक्त की यूनिट मंगवाकर इस महिला के लिए रक्त उपलब्ध करवाया था. इस घटना से साबित होता है कि, डॉ. पोतदार व्दारा अपने मरीजों का इलाज करने और उनकी जान बचाने के लिए किस हद तक समर्पण भाव से काम किया जाता है.
ड्युटी के साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा को लेकर प्रबोधन करते है धर्मा वानखडे
वंदनीय बालासाहब ठाकरे आरोग्यरत्न पुरस्कार के लिए चुने गए स्वास्थ्य सहायक धर्मा वानखडे अपनी नियमित ड्युटी करने के साथ ही ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ जाकर एक बडा अनुठा काम करते है. ताकि आम नागरिकों के बीच स्वास्थ्य शिक्षा के संदर्भ में प्रभावी तौर पर प्रबोधन किया जा सके. धर्मा वानखडे व्दारा विगत अनेक वर्षों से अपने व्दारा स्थापित धर्मा फिल्मस् के अंतर्गत कई लघुपट व रिडल्स का निर्माण किया गया. जिसके तहत लाल खून, एनसीबी, फुग्गा, मैं झुकेगा नहीं व रानी बेटी जैसी लघु फिल्मों का प्रमुख रुप से समावेश है. धर्मा वानखडे व्दारा बनाई गई लघु फिल्म को विविध स्तरों पर काफी सराहना मिली. साथ ही उनके व्दारा निर्मित फुग्गा लघु फिल्म को कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए. अपनी सभी फिल्मों में धर्मा वानखडे ने स्वास्थ्य शिक्षा व प्रबोधन को मुख्य विषय वस्तु बनाया है. साथ ही उनकी सभी फिल्में इसी विषय पर केंद्रीत है. ऐसे में उनके व्दारा की जा रही अनुठी स्वास्थ्य सेवा को देखते हुए राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग व्दारा उन्हें वंदनीय बालासाहब ठाकरे आरोग्यरत्न पुरस्कार के लिए चुना गया है.