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आदिवासी क्षेत्र में पेसा भर्ती पर रोक

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर लगा ब्रेक

* ट्रायबल फोरम ने जताया आक्रोश
अमरावती/दि.13 – सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का गलत अर्थ निकालते हुए राज्य सरकार ने अनुसूचित क्षेत्र में भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है. इस आशय का आक्रोश व्यक्त करते हुए भर्ती प्रक्रिया को शुरु करने की मांग ट्रायबल फोरम संगठन ने राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से की है.
इस संदर्भ में ट्रायबल फोरम द्वारा बताया गया कि, राजस्व एवं वन मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग ने 13 अक्तूबर 2023 के पत्र के आधार पर 17 अक्तूबर को पत्र जारी कर अनुसूचित क्षेत्र की पूरी भर्ती प्रक्रिया को रुकवा दिया है. राज्यपाल ने 29 अगस्त 2019 को पांचवी अनुसूचि के पैरा 5 (1) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जमाति के भर्ती के संदर्भ में जनजातिय सलाहकार परिषद की सिफारिश के अनुसार अध्यादेश जारी कर उसमें जनसंख्या के प्रमाण में 100 फीसद, 50 फीसद व 25 फीसद (कोतवाल व पुलिस पाटिल को छोडकर) आरक्षण दिया है. इस अधिसूचना पर अमल हेतु राज्य सरकार ने 1 फरवरी व 28 फरवरी 2030 के शासन निर्णयानुसार मार्गदर्शक निर्देश जारी किए है. परंतु इस अधिसूचना व शासन निर्णय को गैर आदिवासियों ने मुंबई उच्च न्यायालय में आवाहन दिया था. जिसमें दावा किया गया था कि, अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले गैर आदिवासियों को नौकरी से वंचित रखने के चलते मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में राज्यपाल की अधिसूचना और राज्य सरकार का शासन निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 से 16 का उल्लंघन करने वाले रहने के चलते उन्हें रद्द किया जाना चाहिए.
आदिवासी व गैर आदिवासी ऐसे दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने 27 सितंबर 2023 को दिए गए निर्णयानुसार यह याचिका नौकरी से संबंधित रहने के चलते याचिकाकर्ताओं को सबसे पहले मैट में जाने हेतु कहा था और मैट का निर्णय अपने खिलाफ आने पर हाईकोर्ट आने हेतु कहा था. चूंकि याचिकाकर्ताओं ने पहले मैट में अपील नहीं की थी. ऐसे में हाईकोर्ट ने अंतरिम याचिकाओं सहित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इन तमाम बातों के मद्देनजर ट्रायबल फोरम ने आक्रोश व्यक्त करते हुए आदिवासी क्षेत्र में पेसा भर्ती की प्रकिया को पूर्ण करने की मांग उठाई है तथा आगे चलकर नियुक्ति देने हेतु कहा है.

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