सातुर्णा एमआईडीसी मॉल पर रोक, जांच के आदेश
बलवंत वानखडे के सवाल पर उद्योग मंत्री सामंत की घोषणा
* संचालक मंडल की भी होगी पडताल
अमरावती/दि.9- बडनेरा रोड पर स्थित सातुर्णा एमआईडीसी की करीब 57 हजार वर्ग फीट जमीन पर प्रस्तावित मॉल के निर्माण पर एमआईडीसी कमिश्नर व्दारा रोक लगा दी गई है. इस मामले में प्रशासन और सातुर्णा औद्योगिक संस्था के संचालक मंडल पर लगे आरोपो की जांच होगी और दोषी पाए गए व्यक्तियों पर कार्रवाई करने की घोषणा उद्योग मंत्री उदय सामंत ने आज दोपहर विधानसभा में की. इस बारे में कांगे्रस विधायक बलवंत वानखडे ने मुद्दा उठाया था और जिलाधीश सहित संचालक मंडल पर अनियमितता के आरोप किए थे. उनके प्रश्नों का उत्तर देते हुए मंत्री महोदय ने जांच की घोषणा की.
* उद्योेग आयुक्त ने दिया स्टे
बलवंत वानखडे व्दारा उठाए गए विषय पर जवाब देते हुए उद्योग मंत्री सामंत ने कहा कि, वस्तुस्थिति सही है. सातुर्णा प्रकरण में उद्योग आयुक्त ने स्टे दे दिया है. जिससे मॉल के निर्माण पर रोक लगी है. ऐसे ही इस प्रकरण में प्राप्त शिकायतों की जांच के भी आदेश दिए गए है. विभागीय आयुक्त इस बारे में जांच करेंगे. दोषी पाए जाने पर सभी पर कार्रवाई करने की बात भी मंत्री महोदय ने सदन में कही.
* तहसीलदार की भी जांच
मंत्री महोदय ने वानखडे व्दारा उपस्थित मुद्दे को वस्तुस्थिति बताते हुए तहसीलदार और संस्था के संचालकों की भी जांच की घोषणा कर डाली. यह भी कहा कि जो कोई अधिकारी अथवा संचालक दोषी पाया जाएगा उन पर अवश्य कानून के अनुसार कार्रवाई होगी. वानखडे ने औद्योगिक संस्था के संचालक मंडल पर भी आरोप लगाए और उनकी अन्य निर्णयों पर भी जांच की मांग की थी.
* वानखडे ने उठाया मसला
बलवंत वानखडे ने प्रश्नकाल में सातुर्णा औद्योगिक वसाहत सहकारी संस्था का 115 करोड का भूखंड 16 करोड रुपए में बिल्डर को देने का विषय उपस्थित करते हुए प्रश्न और उपप्रश्न किए. उन्होंने सदन को बताया कि 1958 में 26 एकड 15 गूंठे जमीन औद्योगिक विकास हेतु दी गई थी. जिसके विविध आकार के 147 प्लॉट दिए गए थे. जिसमें से केवल 68 उद्योग शुरु हुए. उसमें भी 31 उद्योग बंद है. 1 लाख 40 हजार वर्गफीट जगह शहर का प्रदूषण टालने की दृष्टि से आरक्षित कर संस्था को लीज पर दिया गया था. वानखडे ने सदन को बताया कि, प्लॉट क्रमांक सी 21 की 57652 वर्गफीट जगह पर एक डेवलपर मार्फत 2 लाख वर्गफीट का निर्माण प्रस्तावित है. औद्योगिक प्रयोजन की खुली जगह का वाणिज्य प्रयोजन उपयोग करने की मंजूरी शासन से दिए जाने की बात कही जा रही है. वानखडे ने कहा कि, बिल्डर को दी जाती जगह का बाजार भाव आज 115 करोड रुपए है. उसे औद्योगिक वसाहत सहकारी संस्था ने विकासक को केवल 16 करोड में दी है. इस मामले में जांच व कार्रवाई की जानकारी उन्होंने सदन में जाननी चाही.
* उद्योग मंत्री का उत्तर
मंत्री उदय सामंत ने सदन को बताया कि, 9 अप्रैल 1958 को जिलाधिकारी अमरावती के आदेश पर ई-क्लास जमीन औद्योगिक प्रयोजन हेतु हस्तांतरित की गई. फिर 20 नवंबर 1986 को जिलाधिकारी ने 16 एकड 38 गूंठे जमीन औद्योगिक वसाहत सहाकारी संस्था को 90 वर्ष की लीज पर हस्तांतरित की. जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक ने 19 अक्तूबर 1988 को 9 एकड 18 गूृंठे जगह इसी संस्था को 90 साल की लीज पर दी. मंत्री महोदय ने मान्य किया कि उक्त जगह के 148 प्लॉट उद्योजकों को दिए गए. जिसमें से 31 उद्योग यूनिट अभी बंद है. औद्योगिक वस्ती में उक्त संस्था ने 118238 वर्गफीट जगह खुली जगह के रुप में आरक्षित की है. उसमें भी 86945 वर्गफीट जगह पर पौधे लगाए गए है.
मंत्री महोदय ने बताया कि, उक्त औद्योगिक संस्था सातुर्णा ने शीट क्रमांक 16 भूखंड क्रमांक 692 क्षेत्रफल 5356 वर्ग मीटर का भोगवटदार वर्ग 2 से भोगवटदार वर्ग 1 करने के लिए जिलाधीश के पास पिछले वर्ष 9 मार्च 2022 को आवेदन किया गया था. तहसीलदार अमरावती ने 5 अप्रैल 2022 को आदेश देकर उक्त क्षेत्रफल भोगवटदार वर्ग 1 कर दिया है. उसे सातबारा और रजिस्टर में दर्ज किया गया.
* 5 भूखंड पिछडा वर्ग के पास
मंत्री महोदय ने सदन को यह भी बताया कि, 13 प्रतिशत प्लॉट अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्योजकों को दिए गए थे. 8 उद्योजकों ने अपने प्लॉट अन्य उद्यमियों को हस्तांतरित कर दिए. फिलहाल 5 प्लॉट अनुसूचित जाति, जनजाति प्रवर्ग के उद्योजक के ताबे में है.
* वर्क ऑर्डर नहीं
मंत्री महोदय ने बताया कि, संस्था में संबंधित प्लॉट पर व्यवसायिक काम के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण की थी. प्रक्रिया को आमसभा में मंजूरी दी गई. किंतु चयनित बिल्डर को कोई ऑर्डर अभी जारी नहीं हुए है. मंत्री महोदय ने बिल्डर को 240 करोड रुपए का फायदा पहुंचाने के आरोप को भी खारीज कर कहा कि, बिल्डर को आदेश जारी नहीं हुए है. जगह हस्तांतरित अथवा बेची नहीं गई है. उसी प्रकार संबंधित संस्था को पत्र देकर शिकायत के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है.