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महिलाओं का अपमान करने वाले अपशब्दों के प्रयोग पर लगे प्रतिबंध

गालीमुक्त समाज अभियान समिति ने पत्रवार्ता में उठाई मांग

अमरावती/दि.8 – समृद्ध संस्कृति एवं विविधताओं से सजे भारत देश में हमेशा से ही सभी धर्मों व संप्रदायों में महिलाओं का आदर करने के मूल्य बताये जाते है. साथ ही हिंदू धर्म में तो देविओं की भी पूजा की स्तुति की जाती है. साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महापुरुषों ने भी महिलाओं के सम्मान का उदाहरण पेश किया और भारतीय परंपरा में माताओं व बहनों का सम्मान करने हेतु मातृत्व दिवस, भाईदूज व रक्षाबंधन जैसे पर्व मनाये जाते है. वहीं दूसरी ओर इन दिनों माताओं व बहनों से संबंधित स्त्रीत्व का अपमान करने वाले अपशब्दों व अश्लील गालियों का प्रयोग झगडों के साथ-साथ आम बातचीत के दौरान भी समाज के आम वर्गों द्वारा किया जाता है, जो कि, विकृत मानसिकता को दर्शाने वाली बात है. ऐसे में स्त्रीत्व का अपमान करने वाले अपशब्दों के प्रयोग पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इस आशय की मांग गालीमुक्त समाज अभियान समिति द्वारा आज यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में की गई है.
इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, इन दिनों ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली वेब सीरिज और फिल्मों में बेहद हिंसक दृश्यों को दिखाई के साथ-साथ बेहद ही आपत्तिजनक व अश्लील गालियों का प्रयोग किया जाता है. जिससे आम सामाजिक जनमानस पर विपरित परिणाम पडता है. साथ ही आम लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर भी धडल्ले के साथ स्त्रीत्व का अपमान करने वाली गालियों एवं अपशब्दों का प्रयोग करते है. जिन्हें सुनकर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति भीतर तक हिल जाता है. विशेष तौर पर ऐसी गालियों व अपशब्दों को सुनने की वजह से आसपास स्थित महिलाओं को शर्मनाक स्थिति का सामना भी करना पडता है. इसके अलावा कई बार ऐसी गालीगलौज की वजह से मारपीट एवं हत्या जैसी घटनाएं भी घटित हुई है. इन तमाम बातों के मद्देनजर सरकार द्वारा समाज को गालीमुक्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिए तथा अश्लील गालियों के प्रयोग पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का निर्णय घोषित करना चाहिए.
इस पत्रकार परिषद में गालीमुक्त समाज अभियान समिति के प्रा. डॉ. अंबादास मोहिते, डॉ. वैशाली गुडधे, डॉ. भगवान फालके, डॉ. अनुराधा वैद्य, डॉ. अलका गायकवाड, डॉ. महेंद्र मेटे, पंडित पंडागले, डॉ. वर्षा देशमुख, शीतल मेटकर, रजिया सुलताना, डॉ. शोभा रोकडे, डॉ. दया पांडे, डॉ. संजय खडसे, डॉ. मोना चिमोटे, डॉ. प्रणव कोलते, डॉ. श्यामसुंदर निकम, डॉ. हेमंत खडके, दामोधर पवार, छाया देशमुख, प्रा. डॉ. किशोर राउत, संध्या वानखडे, प्रा. वनिता राउत, आशीष भाकरे, सुरेखा धर्माले, प्रा. अंजलि वाठ, सीमा भाकरे, प्रा. झाकीर खान, प्रा. मनाली तायडे, अजय डबले, राजलक्ष्मी केशरवाणी, सतीश वडनेरकर, अमित हरणे, रुची काकरानिया, शिवा देशमुख, प्रा. अहमद, रवि लाखोडे, कांचन उल्हे, प्रा. प्रशांत विघे, सीमा देशमुख, प्रा. शिवाजी तुप्तेकर, प्रफुल्ल कुकडे, प्रा. साधना मोहोड, सुचेता बर्वे, देवयानी कुर्वे, अभिलाष धाबे आदि उपस्थित थे.

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