अमरावती प्रतिनिधि/दि.१४ – सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक ऑफ महाराष्ट्र गत ८६ वर्षो से जनता को सेवा दे रही है, लेकिन कुछ दिन पूर्व वित्तमंत्री ने इस बैैंक के निजीकरण का बयान देने से कर्मियों ने केन्द्र सरकार के विरोध में रविवार को रूक्मिणीनगर स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सामने जमकर नारेबाजी की. इतना ही नहीं तो केन्द्र सरकार से अंतिम सांस तक लडऩे की शपथ लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाकर इस अभियान को जन अभियान बनाने का निर्णय लिया है.
बेरोजगारों की बजाए कंगणा, रिया पर फोकस
ऑल इंडिया बैंक ऑफ महाराष्ट्र एम्पलाइज फेडरेशन के अंतर्गत आनेवाली बैंक ऑफ महाराष्ट्र ऑफिसर्स एसोसिएशन ने ११ बजे बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सामने नारेबाजी करते हुए केन्द्र सरकार से सवालों के जवाब मांगे. इतना ही नहीं तो सुधीर लसनापुर की अध्यक्षता में आंदोलनकर्ताओं को शपथ दिलाई गई. लसनापुर ने कहा कि केन्द्र सरकार देश को बेचकर खाने में व्यस्त है. इसलिए बेरोजगारों का आंदोलन दबाने के लिए केवल सुशांत राजपूत, कंगणा व रिया पर फोकस किया जा रहा है. हजारों लोगों को बेरोजगार करने के बाद अब बैंक कर्मियों की बारी है. बैंकों का भी विलीनीकरण कर कर्मचारियों के साथ जनता की जमापुंजी लूटकर खाने की मंशा हैे. लेकिन ऐसा कतई होने नहीं देंगे.
स्थापना दिन पर ली शपथ
१३ सितंबर बैैंक ऑफ महाराष्ट्र का स्थापना दिन है, इसलिए अवकाश होने के बावजूद भी कर्मियों ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय का निषेध करते हुए शपथ ग्रहण की. बैंक कर्मियों की माने तो ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहर में बैंक की सेवा कई छोटे बड़े उद्योग, स्वयंरोजगार निर्माण हुए है. विकास में भी बैंक का बड़ा योगदान है. ऐसे में बैंक का निजीकरण कर जनता के साथ विश्वासघात किए जाने का आरोप लगाया. इस आंदोलन में दीपक उपाध्याय, अनिल भोंडे, किरण कांबले, श्याम वारे, महेश राजे, प्रतीक तायडे, संकेत ठाकरे, समीर खान, उमेश हिरूलकर, प्रेमानंद शिंदे,आशीष पिंजरकर, शशांक शिरालकर, रत्नाकर शिरसाठ, रोशन मेहरे, दिलीप तडस, प्रल्हाद कच्छवे, नंदकिशोर रावटकर, गणेश सरोदे समेत कर्मचारी उपस्थित थे. आंदोलन में सभी कर्मियों ने सोशल डिस्टेसिंग के साथ मास्क का इस्तेमाल कर शासन नियमों का पालन किया.