अमरावती

मेलघाट में निर्मित बास की राखियां 50 देशों में

  • महिला, दिव्यांग व युवकों को मिला रोजगार

  • लवादा के संपूर्ण बांबू केंद्र की परंपरा कायम

धारणी/प्रतिनिधि दि.20 – मेलघाट संपूर्ण बांबू केंद्र के माध्यम से बांस का महत्व देश विदेश में पहुंचाने वाले स्व. सुनिल देशपांडे की स्मृति आज भी लवादा स्थित संपूर्ण बांबू केंद्र मेें कायम है. केंद्र में तैयार की गई राखियां इस साल भी देश के विविध राज्यों सहित 50 देशों में भिजवाई गई. लवादा स्थित संपूर्ण बांबू केंद्र में अनेक वर्षों से पर्यावरण पूरक वस्तुएं बास द्बारा निर्मित की जाती है. बांबू केंद्र में तकरीबन 30 प्रकार की राखियां बास द्बारा निर्मित की गई है. पर्यावरण पूरक राखियों के उत्पादन से आदिवासी महिला व दिव्यांग तथा युवकों को रोजगार प्राप्त हुआ है.
आदिवासी महिलाओं द्बारा बनाई गई बास की राखी दो वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांधी गई थी. दो वर्ष पूर्व बांधी गई राखियों को आदिवासी महिलाओं के नाम दिये गये थे. सात गांव की सैकडों महिलाओं को संपूर्ण बांबू केंद्र की ओर से राखि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इस साल 1 लाख बास की राखिया बनाई गई है. केंद्र सरकार के भारतीय संस्कृति परिषद की मदद से बास से निर्मित राखियां विदेशों में पहुंचाई गई है. 1 लाख राखियां व 50 हजार राखियां बनाने के लिए किट्स उपलब्ध करवाई गई है. 1 हजार शालाओं में किट्स का वितरण भी हो चुका है. किट्स में बास के बीज भी है. जिसे वृक्षारोपण के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा.

  •  आदिवासी महिलाओं को सतत 3 महिने काम

बारिश के दिनों में आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र से बडे प्रमाण में लोग रोजगार के लिए अन्य शहरों में तथा अन्य राज्यों में पलायन करते है. संपूर्ण बांबू केंद्र द्बारा राखी निर्मिति से 50 महिलाओं को सतत 3 महिनों तक काम मिला है. यह राखियां पूर्णत: नैसर्गिक है और इसे पर्यावरण प्रेमियों द्बारा पसंद किया जा रहा है. विशेष तौर पर इस बार नागपुर, कोल्हापुर, सोलापुर, यवतमाल, नासिक, पुणे, अमरावती सहित बडे-बडे शहरों में भी राखियों के स्टॉल लगाए गए है.

  • शहरी क्षेत्रों में बास से निर्मित राखियों को प्रतिसाद

शहरी क्षेत्रों में बास से निर्मित राखियों को उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिल रहा है. जिसका लाभ मेलघाट के आदिवासियों को रोजगार प्राप्त करने के लिए होगा.
निरुपमा देशपांडे, प्रमुख संपूर्ण बांबू केंद्र लावादा

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