अमरावती

शहर के सीमावर्ती इलाकों में गांव से भी बत्तर हालात

न आने-जाने का रास्ता, न जलापूर्ति की पाईप-लाईन

* गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां भी नहीं
* लाखों रुपयों के घर में रहने वाले लोग जुझ रहे मूलभूत सुविधाओं के अभाव से
अमरावती/दि.26 – विगत कुछ वर्षों से अमरावती शहर की सीमाओं का बडी तेजी के साथ विस्तार हुआ है और रहाटगांव, अर्जुन नगर, कठोरा व नवसारी जैसे सीमावर्ती इलाकों के आगे भी रिहायशी बस्तियां बस गई है. रहाटगांव परिसर को काफी पहले ही अमरावती मनपा क्षेत्र का हिस्सा बन गया है और रहाटगांव से आगे नांदगांव पेठ तक रिहायशी बस्तियां बस गई है. इसी तरह शेगांव रोड पर देशमुख लॉन तक रिहायशी बस्तियां बसने के साथ ही रिंगरोड पर भी काफी बडे-बडे अपार्टमेंट बन गए है. ऐसे में शहर के चारों ओर जमीन के दाम आसमान छूने लगे है और 2 बीएचके फ्लैट के दाम 20 से 25 लाख रुपए के आसपास पहुंच गए है. परंतु लाखों रुपए खर्च करते हुए इन इलाकों में अपना घर लेने वाले लोगों को रास्ते, पानी व नाली जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जुझना पड रहा है. क्योंकि शहर के सीमावर्ती इलाकों में न तो पक्की सडके बनी हुई है, न ही जलापूर्ति के लिए पाईप-लाईन डाली गई है और न ही गंदे पानी की निकासी के लिए नालिया बनी है. ऐसे में इन इलाकों में किसी ग्रामीण क्षेत्र से भी बदतर स्थिति कहीं जा सकती है.
* बारिश में पैदल चलना भी मुश्किल
नवसारी रोड के भीतरी इलाके, रहाटगांव व कठोरा रोड के भीतरी इलाके तथा रिंगरोड के आसापास स्थित इलाकों सहित देशमुख लॉन के सामने स्थित बस्तियों में अब भी डांबरी रास्ते नहीं बने है. जिसके चलते इन इलाकों में बारिश के मौसम दौरान पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.
* टैंकर का प्रतिमाह 5 हजार का खर्च
शहर की सीमावर्ती इलाकों में बसी रिहायशी बस्तियों में अब तक जीवन प्राधिकरण की पाईप-लाईन नहीं डाली गई है. जिसके चलते इन इलाकों में रहने वाले लोगों को ओबरवेल का पानी पीना पडता है. वहीं कुछ इलाकों में लोगों को अपनी जरुरत पूरी करने के लिए टैंकर से पानी खरीदना पडता है. जिसके लिए हर महीने करीब 5 हजार रुपए खर्च करने पडते है.

* रास्ते पर गंदगी व गंदा पानी शहर के सीमावर्ती इलाकों में गंदे पानी की निकासी और कचरे के व्यवस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते किसी भी खुले स्थान पर कचरे के ढेर लगे दिखाई देते है. साथ ही नालियां नहीं रहने की वजह से गंदा पानी, कच्ची सडकों पर फैला हुआ दिखाई देता है, जिससे हमेशा ही आने-जाने वाले लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पडता है.

* शहर के विभिन्न इलाकों में अंतर्गत रास्तों का काम चल रहा है. जिन क्षेत्रों में डांबरीकरण के रास्ते मंजूर नहीं है, वहां पर खडीकरण किया जा रहा है और मुरुम भी डाला जा रहा है. इसके लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है.

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