अमरावती

जुड़वाशहर में अब तक  हो चुका करोड़ो का बीसी घोटाला

शहर के असंख्य लोग हो चुके बीसी में बरबाद 

  • सिर्फ निलकेश ही नही,अबरार,योगु, पिंटू, आकाश,पुरुषोत्तम जैसे कई है

  • बिना अर्थ की पुलिस शिकायत

परतवाड़ा/अचलपुर दि २२ -:बीसी में जमा अपने रुपये मांगते समय हुए वादविवाद के चलते शहर में हुआ करोड़ो रुपयों का घोटाला सामने आया.दोनों पक्ष थाने में भी पहुंचे.शिकायत दी, पुलिस ने दोनों को समझ देकर (एन. सी.मैटर) अदालत में जाने को कहा.छोटा बाजार के बीसी किंग निलकेश जैस्वाल इस बीसी के सरगना है.व्यवसायी विजय थावानी वो पीड़ित व्यक्ति है जिन्हें बीसी में लगे अपने दस लाख रुपये निलकेश से लेना है.ये तो सिर्फ एक उदारहण मात्र कहा जा सकता.शहर के असंख्य डॉक्टर, व्यापारी और महिलाओं के रुपये भी बीसी में फंसे पड़े होने की जानकारी मिली है.कम से कम हमारी मूल रकम ही वापिस मिल जाये, अब इसके लिए मारपीट और धमकियां देने का काम किया जा रहा.इस पूरे व्यवहार की कही भी कोई लिखापढ़ी न होने से असंख्य लोग तेरी भी चुप और मेरी भी चुप स्टाइल में अपनी रकम मिलने का इंतजार कर रहे.
निलकेश जैस्वाल ने 9 मार्च को विजय थावानी और एक अन्य के खिलाफ परतवाड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई.पुलिस समझदार है..उसने एनसी मैटर दर्ज कर दोनों को अदालत जाने की समझ दी.
पिछले बीस वर्षों से जुड़वाशहर की हर गली-कूँचे में बीसी का संचालन हो रहा.लोगो को इसमें भारी मुनाफा होने का लालच दिया जाता.यही ही नही तो दूसरी और तीसरी बोली लगानेवाले को नगद बख्शीश भी मिलता है.लालच बुरी बला है, लालच में ही लोग फंसते है.फिर इसमें पुलिस क्या करे.कोई बीसी का सदस्य बनने से पहले पुलिस में उस बीसी की इनक़्वारी करने क्यो नही जाता? निलकेश जैस्वाल का कहना है कि उन्हें भी लोगो से करीब डेढ़ करोड़ की रकम बीसी की लेना है जबकि 50 लाख रुपये लोगो को देना है.लोगो ने किश्त देना बंद कर दिया, कुछ लोग बीसी की रकम उठाकर रफूचक्कर हो गए, कुछ के चेक बाउंस हुए.ये सारी बीसी ऑफ दी रिकार्ड चलाई जाती.निलकेश इसमें पहले व्यक्ति नही है जो चर्चा में आये.इससे पूर्व बारलिंगे कॉप्लेक्स में बीसी डूबी थी.जो तब बीसी का सूत्रधार था वो आज तक लापता है.इस बीसी में एक ढाबा संचालक के लाखों रुपये डूबे.बदले में उन्हें किराये पर ली हुई दुकान लिखकर दी गई.यह दुकान कोई तीसरा ही पत्रकार पचा गया.श्याम टॉकीज के पास की एक बीसी में नजदीकी रिश्तेदार ने दस लाख की चपत दे दी.धौतरखेड़ा के एक सट्टा व्यवसायी भी रकम रुकाकर बैठ गए.इससे पहले पेंशनपुरा चौक पर बीसी का जोरदार उपद्रव हो चुका.वहां तो बीसी सरगना का शानदार ऑफिस भी था.ऑफिस में एक यंग लेडी रिसेप्शनिस्ट भी बैठती थी.पेंशनपुरा के बीसी संचालक भी पिछले पांच वर्षों से लापता है.
सवाल सिर्फ निलकेश जैस्वाल की बीसी का ही नही है.इसके बहुत सारे सूत्रधार है.पूरे शहर को डुबोकर शहर छोड़कर जाने वालो की भी संख्या कम नही है.इन सभी का कोई पुलिस रिकार्ड नही है.छोटे बाजार का के योगु ने रुपये देने से डराने के लिए खुद की नस काटने का स्वांग किया और आखिर में 60 और 70 पैसे में सेटलमेंट कर आज जीवननिर्वाह कर रहा है.लक्कड़ बाजार का अबरार कही ढूंढने से भी नही मिल रहा.उसे लोग बैटरी लेकर खोज रहे लेकिन सभी बैटरियों को फेल कर यह बैटरी मैन कही और अपना समय व्यतीत कर रहा.करीब बीस बरस पहले मोटूमल सेठ भी गुरुनानक नगर से बीसी के चक्कर मे ही उल्हासनगर रवाना हो गये, वो आज भी वही जीवनयापन कर रहे.सर्किट हाउस रोड पर रहता अपना बामने का पिंटू कहा है.वो भी अर्जेंट में खिसक लिया.लोग बताते है कि भाई बैतूल-होशंगाबाद में तबियत की जिंदगी जी रहा.ये भी कई लोगो को वांछित है.बारलिंगे की बहू इन मे से कुछ को दुकान का ताबा देने से स्पष्ट इंकार भी कर रही.पेंशनपुरा में देव के हाथों से एक पुरुषों में उत्तम यानी पुरूषोत्तम अवतरित हुए थे.उन्होंने भी नगरवासियों को ऐसा चुना लगाया कि लोगबाग आज भी उनका नाम बड़ी ही श्रध्दा से लेते है.पुरुषोत्तम के पंजाब में बसे होने की खबर है.बड़ी ऐश मस्ती में उनके दिन कट रहे, ऐसा उनके करीबी बताते है.एक बड़े ही सज्जन श्रीवास्तवजी के आकाश में पैदा हुए शख्स भी बीसी का धंदा कर अपना खेत बेच चुके और आगे क्या क्या बेचेंगे इसकी अभी जानकारी मिलना बाकी है.आकाश ये तो बिलकुल आकाश ही है, जिसके नीचे अब कुछ भी जमीन बाकी नही रही.इन्होंने भी असंख्य बीसियों का संचालन किया.दूसरा नंबर हमारा होंगा, वो भी बगैर ब्याज का..इस चक्कर मे आकाश ये पाताल बन चुके.अब जस तस चुका रहे लोगो के रुपये.ये सभी लोगो किसी मंटू या मोंटू के शिकार भी बने है.
गुरुनानकनगर, गणेशनगर और लाल पुल सिंधी कैम्प के अनेक व्यापारियों को सिर्फ परतवाड़ा में खुजली मिटाने में मजा नहीं आ रहा था.सो, ये सभी कुटाने के लिए अमरावतीं और यवतमाल तक की सैर कर आये.वहां भी इनके हाथ बाबाजी का ठुल्लू ही लगा.सबसे ज्यादा डूबे सदर बाजार के सभ्य नागरिक.ये कभी किसी को यह नही बताते है कि वो अपनी रकम कहाँ और कैसे इन्वेस्ट कर रहे.पत्नी की रकम का निवेश यह उसके पति तक को मालूम नहीं होती और पति का तो भगवान ही मालिक होता है.ब्याज, 15 महीने में डबल, प्लाट खरीदूंगा, बिल्डिंग बनाऊंगा, मर्सडीज लेना है आदि ख्वाब संजोकर सभी रकम से हाथ धोए बैठे.सभी भुक्तभोगी चुपचाप है.किसने कहा और कैसे कुटाया कोई भी किसी को बताने तैयार नही.पुलिस में कोई शिकायत नहीं हो सकती.पुलिस भी समझदार है.यदि पास में चेक भी है तो उसकी एक अच्छी पुंगली बनाई जा सकती.138 में किस को किसने कितना दीवाना अथवा दिवाणी बना दिया ये भी सभी का दर्द अलग-अलग है.वकील को रकम मिल रही,मुकद्दमा जारी है.
परतवाड़ा -अचलपुर के पीड़ित लोगों को बीसी का फूलफ्रॉम भी नही पता है.वैसे बी.सी. का ओरिजनल अर्थ है बिफोर क्रिस्ट.यानी ईसा पूर्व.लेकिन, ये जो बी.सी.है उसमें इसका अर्थ होता है beesi यानी जो बीस लोगो की होती, वो बीसी. इसे महिलाओं की भाषा मे किट्टी पार्टी भी कहा जाता है.पहले इसे नो प्रॉफिट बेस पर चलाया जाता था.अब ये एक दूसरे को चुना लगाने का धंदा बन चुका.शहर भर के सारे डिफाल्टर उस व्यक्ति को ढूंढते ही रहते जो नई बीसी खोल रहा.उस बीसी में एक ही व्यक्ति अपने ही चार-पांच डमी नंबर भी लगा देता.ऊंची बोली लगाकर बीसी उठाता है और फिर जय गोपाल बोलकर चलता बनता.तुमसे जो होता वो उखाड़कर जमा कर लो.
ऐसा नही की शहर में अधिकृत बीसी नही चल रही.ये बीसी बाकायदा बिक्रीकर विभाग की परमिशन लेकर चलाई जा रही है.इसमें जो पहला ड्रा होता है उसे बाकायदा सेल्स टैक्स विभाग में डिपॉजिट कर दिया जाता.यह डिपॉजिट सूत्रधार को सबसे अंत मे, सभी मेंबर की एनओसी देने के बाद प्राप्त होता है.इसमें सभी मेंबरों को अपनी नगद जमानत भी देनी होती.अधिकृत बीसी की शिकायत भी पुलिस में दर्ज कराई जा सकती.
ऑफ द रिकार्ड बीसी में भी अनेक लोगो की जिंदगी बनी है.उन बीसी में सभी सदस्य भी नेक निकले थे इसलिए लोगो को इसका फायदा भी हुआ.महिला बचत गुट भी इसी प्रकार की अच्छी बीसी का ही एक भाग कही जा सकती.
लोगो की नीयत में पत्थरों के चलते ऑफ द रिकार्ड बीसी सिर्फ उसके मुख्य संचालक और डिफॉल्टरों का ही घर भर रही.बाकी सिर्फ घँटा बजा रहे है, तब भी और आज भी.

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