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बडे बनो, लेकिन अपनी जडों से जुडे रहो

उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत का कथन

* संगाबा अमरावती विवि के दीक्षांत समारोह में किया विद्यार्थियों से आवाहन
अमरावती/दि.25– महाविद्यालयीन स्तर की शिक्षा पूर्ण होने और पदवी प्राप्त करने के उपरांत सभी विद्यार्थी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में काम करने हेतु जुट जाते है, ताकि जीवन में सफलता प्राप्त कर सके. कई विद्यार्थी सफलता के यशोशिखर पर भी पहुंचते है और देश सहित दुनिया में नाम व प्रतिष्ठा कमाते है, लेकिन पाया जाता है कि, इनमें से अधिकांश विद्यार्थी आगे चलकर अपने महाविद्यालय, विश्वविद्यालय व प्राध्यापकों सहित अपने मूल निवास क्षेत्र से पूरी तरह कट जाते है. यह अपने आप में एक गलत मानसिकता व गलत परंपरा है. जिसे रोका जाना चाहिए और पदवी प्राप्त करनेवाले हर एक विद्यार्थी ने दीक्षांत समारोह जैसे मौके पर ही यह संकल्प लेना चाहिए कि, वे चाहे देश सहित दुनिया में कहीं भी रहे, लेकिन हमेशा अपनी जडों से जुडे रहेंगे. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने आज संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के 38 वें दीक्षांत समारोह में दिये गये दीक्षांत भाषण के दौरान किया.
39 वर्ष पहले संभाग के पांचों जिलों के महाविद्यालयों को एक साथ संलग्नित कर स्थापित किये गये संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय का 38 वां दीक्षांत समारोह आज स्थानीय मोर्शी रोड पर डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति वैद्यकीय महाविद्यालय परिसर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज सभागृह में आयोजीत किया गया था. राज्य के राज्यपाल तथा विद्यापीठ के कुलपति भगतसिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में आयोजीत होने जा रहे इस दीक्षांत समारोह में प्रमुख अतिथी के तौर पर राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत द्वारा प्रत्यक्ष उपस्थित रहते हुए दीक्षांत भाषण दिया गया. वहीं राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने इस आयोजन में ऑनलाईन तरीके से हिस्सा लिया. इस अवसर पर विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख, परीक्षा व मूल्यांकन मंडल के संचालक डॉ. हेमंत देशमुख, आयआयएमसी के संचालक डॉ. श्रीकांत पाटील सहित विद्यापीठ की व्यवस्थापन परिषद के सभी सम्मानित सदस्य एवं सभी विद्याशाखाओं के अधिष्ठाता विशेष अतिथी के तौर पर उपस्थित थे. इस अवसर पर अपने संबोधन में उच्च व तंत्र शिक्षामंत्री उदय सामंत ने कहा कि, उच्च शिक्षा के लिए विदेश जानेवाले विद्यार्थियों पर राज्य सरकार द्वारा सरकारी खजाने से काफी बडी निधी खर्च की जाती है, लेकिन विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों में से केवल 12 से 15 प्रतिशत विद्यार्थी ही अपने देश व राज्य में वापिस आते है. इस ‘ब्रेन ड्रैनेज’ का राज्य सहित देश को काफी नुकसान उठाना पडता है. क्योंकि उनकी शिक्षा और कौशल्य से उनके अपने क्षेत्र को कोई लाभ ही नहीं मिलता. ऐसे में अब हर विद्यार्थी ने यह संकल्प करना चाहिए कि, वे चाहे जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करे, या दुनिया के किसी भी हिस्से में रहकर काम करे, लेकिन अपने शहर, अपने गांव, अपनी तहसील, अपने राज्य व अपने देश सहित खुद को किसी लायक बनानेवाले अपने विद्यापीठ के लिए भी कुछ न कुछ जरूर करेंगे और अपनी ओर से हर संभव योगदान भी देंगे.
अपने दीक्षांत भाषण में उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने यह भी कहा कि, प्रति वर्ष विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में कई विद्यार्थियोें को स्वर्ण व रजत पदकों के साथ पुरस्कार व प्रशस्तीपत्र भी प्राप्त होते है. जिन्हें विद्यार्थियों ने अपने स्तर तक सीमित न रखते हुए समाज को समर्पित करना चाहिए, ताकि अन्य कक्षाओं ने रहनेवाले विद्यार्थियों को भी उनसे प्रेरणा मिल सके. इसके साथ ही कर्मयोगी संत गाडगेबाबा के सिध्दांतों व संदेश का उल्लेख करते हुए मंत्री उदय सामंत ने कहा कि, मौजूदा पीढी अपने लिए टीवी व फिल्मों को देखकर नकली आदर्श चुनती है. जबकि हमारे पास संतों व महापुरूषों के रूप में एक से बढकर एक कई महान आदर्श उपलब्ध है, लेकिन शायद हमारी शिक्षा व्यवस्था उन महापुरूषों के विचारों व सिध्दांतों को नई पीढी के सामने प्रस्तुत कर पाने में कुछ हद तक नाकाम साबित हुई है. अत: सबसे पहले हमारे महाविद्यालय व विश्वविद्यालय ने नई पीढी को महापुरूषों के विचारों व सिध्दातों से परिचित करना चाहिए, ताकि युवाओं द्वारा अपने लिए प्रेरणादायी आदर्शों का चयन किया जा सके. इसके साथ ही उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने सभी पदवी प्राप्त छात्र-छात्राओं का उनकी उपलब्धि के लिए अभिनंदन करते हुए आवाहन किया कि, वे अपने जीवन में जब अलग-अलग कार्य क्षेत्रों के तहत आगे बढे, तो महाराष्ट्र की सामाजिक संस्कृति व हिरासत को लेकर देश व दुनिया में जाये. साथ ही देश व दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते समय अपनी मूल जडों के साथ जुडे रहे.

* अनुशासित रूप से समाधानी व सदाचारी बने विद्यार्थी
– अध्यक्षीय संबोधन में महामहिम कोश्यारी का कथन
इस दीक्षांत समारोह में ऑनलाईन तरीके से शामिल होते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्य के राज्यपाल तथा विद्यापीठ के कुलपति भगतसिंह कोश्यारी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सभी पदविकांक्षियों को उपदेश देते हुए स्वाध्याय, अनुशासन व कर्म के सिध्दांत पर विशेष रूप से जोर दिया. महामहिम कोश्यारी ने अपने संबोधन में कहा कि, सभी विद्यार्थियों ने अपने जीवन में स्व अनुशासन को अंगीकार करते हुए सदाचार व समाधान के रास्ते पर चलना चाहिए. साथ ही संपूर्ण मानवजाती के कल्याण व उत्कर्ष के लिए काम करना चाहिए. राज्यपाल कोश्यारी ने यह भी कहा कि, इन दिनों यद्यपि हमारे आसपास नानाविध तरीके की नकारात्मकता और बुराईयां व्याप्त है, लेकिन हमें चाहिए कि, हमारे आसपास जो कुछ भी अच्छा है, हम केवल उस अच्छाई को अंगीकार करे व बुराईयों की अनदेखी करे. ऐसा करने से अच्छाईयां अपने आप बढेंगी और बुराईयों का खुद ही खात्म हो जायेगा. महामहिम कोश्यारी ने भी अपने संबोधन में सभी पदवीकांक्षी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दी तथा संगाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना भी की.

* अभूतपूर्व व ऐतिहासिक रहा संगाबा अमरावती विवि का 38 वां दीक्षांत समारोह
55019 को डिग्री व 210 संशोधकोें को पीएचडी प्रदान
* 506 विद्यार्थियों ने हासिल किया डिप्लोमा सर्टिफिकेट
* मेधावी छात्र-छात्राओं को 111 सुवर्ण पदक, 22 रौप्य पदक व 21 नकद पुरस्कार हुए वितरित
स्थानीय पीडीएमसी परिसर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज सभागृह में आयोजीत संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय के 38 वे दीक्षांत समारोह में 59 हजार 831 पदवीकांक्षियों को उनकी पदवी तथा 506 विद्यार्थियों को पदविका प्रदान की गई. जिसके तहत विज्ञान व तंत्रज्ञान विद्याशाखा के 26,060, वाणिज्य व व्यवस्थापन विद्याशाखा के 12,164, मानव विज्ञान विद्या शाखा के 11,836, आंतर विद्याशाखिय अभ्यास विद्याशाखा के 5,084, स्वायत्त शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय के 537 तथा स्वायत्त शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय (हव्याप्रमं) के 1,029 छात्र-छात्राओं को उनकी पदवी व पदविका प्रदान की गई.

* मेधावी छात्र-छात्राओं पर हुई पुरस्कारों की बरसात
– अकोट की अश्विनी हागे को सर्वाधिक 5 सुवर्ण, 4 रौप्य व 2 नकद पुरस्कार
– चांदूर बाजार के किरण इंगले को 6 सुवर्ण व 1 नकद पुरस्कार
– शेगांव के मिथिलेश जोशी को 5 सुवर्ण व अमरावती की अंकिता सातोणे को 5 सुवर्ण, 1 रौप्य व 1 नकद पुरस्कार
इस दीक्षांत समारोह के दौरान विविध परीक्षाओं में उल्लेखनीय यश संपादित करनेवाले मेधावी छात्र-छात्राओं को 111 सुवर्ण पदक, 22 रजत पदक व 21 नकद पुरस्कार ऐसे कुल 154 पुरस्कारों का वितरण किया गया. इस वर्ष 3 सुवर्ण पदकों व 3 नकद पुरस्कारों के लिए कोई भी विद्यार्थी पात्र नहीं हुआ. इस वर्ष अकोट स्थित श्री शिवाजी कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय की छात्रा कु. अश्विनी गजानन हागे को 5 सुवर्ण, 5 रौप्य व 2 नकद पुरस्कार. चांदूर बाजार स्थित गो. सी. टोम्पे महाविद्यालय के किरण अजाबराव इंगले को 6 सुवर्ण व 1 नकद पुरस्कार. शेगांव स्थित श्री संत गजानन महाराज अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मिथलेश शरद जोशी को 5 सुवर्ण पदक तथा आरोग्य विद्यापीठ अंतर्गत संचालित होनेवाले तथा अमरावती विद्यापीठ अंतर्गत कार्यरत डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख स्मृति वैद्यकीय महाविद्यालय की छात्रा अंकिता अनिल सातोणे को 5 सुवर्ण, 1 रजत व 1 नकद पुरस्कार प्रदान किया गया. इस वर्ष पदक व पुरस्कार प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों में 111 छात्राओं व 43 छात्रों का समावेश है.

* 210 संशोधकों को डॉक्टरेट
इस दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी तथा राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत की प्रमुख उपस्थिति में विविध विद्याशाखा निहाय 210 संशोधकों को आचार्य पदवी प्रदान की गई.

* विद्यापीठ की वेबसाईट व यूट्युब चैनल पर हुआ आयोजन का सीधा प्रसारण
आज 25 मई को अपरान्ह 3 बजे शुरू हुए विद्यापीठ के 38 वें दीक्षांत समारोह का विद्यापीठ के युट्युब चैनल पर सीधा प्रसारण किया जायेगा. साथ ही इसकी लिंक विद्यापीठ की वेबसाईट पर भी प्रसारित की जायेगी, जिसके चलते देश सहित दुनिया में विभिन्न स्थानों पर रहनेवाले संबंधित विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों सहित अमरावती विद्यापीठ से जुडे हजारों लोगों ने अपने घर पर रहते हुए इस दीक्षांत समारोह को ऑनलाईन तरीके से देखा.

* विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु समर्पित है विद्यापीठ
– कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे का प्रतिपादन
इस अवसर पर संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे ने अपने प्रास्ताविक में विद्यापीठ द्वारा अपनी स्थापना के बाद से लेकर अब तक किये गये कामों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ पूरी तरह से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु समर्पित है और विद्यार्थियों के हितों को देखते हुए विद्यापीठ में कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. जिनके चलते यह विद्यापीठ क्षेत्र का सबसे बडा ज्ञानस्त्रोत केंद्र बनकर उभरा है. विद्यापीठ में विविध शाखानिहाय पदविका, पदवी व पदव्युत्तर पाठ्यक्रम चलाये जाते है. साथ ही अध्यापन के नये तौर-तरीकों का अवलंब करते हुए विद्यार्थियों को रोजगार सक्षम भी बनाया जाता है, ताकि वे जीवन की तमाम चुनौतियों का सामना कर सके. इसके अलावा पेटेंट व संशोधन के क्षेत्र में भी विद्यापीठ की उपलब्धियों को उल्लेखनीय कहा जा सकता है. इसके अलावा विद्यापीठ द्वारा विभिन्न सम-सामाईक विषयों पर परिसंवाद व चर्चासत्र का आयोजन करते हुए विद्यार्थियों की वैचारिक प्रगल्भता को नई उंचाई देने का प्रयास किया जाता है. वहीं विद्यार्थियों के सांस्कृतिक व कलागुणों का विकास करने हेतु युवा महोत्सव के जरिये उन्हें सशक्त व्यासपीठ उपलब्ध कराया जाता है. इसके साथ ही विद्यार्थियों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के संदर्भ में जागरूक करने हेतु विभिन्न दिन विशेष एवं महापुरूषों की जयंती व पुण्यतिथी जैसे अवसरों पर विद्यापीठ द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. साथ ही राष्ट्रीय सेवा योजना पथक के जरिये विद्यार्थियों को सामाजिक कार्यों व संस्कारों के साथ जोडा जाता है.
उपरोक्त प्रतिपादन के साथ ही कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे ने कहा कि, अपने विद्यार्थियों के बौध्दिक विकास के साथ-साथ उनकी शारीरिक सदृढता की ओर भी ध्यान देते हुए विद्यापीठ द्वारा विद्यार्थियों में क्रीडा कौशल्य विकसित करने हेतु पूरा प्रयास किया जाता है और विद्यार्थियोें को तमाम तरह की क्रीडा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. जिसके चलते विभिन्न क्रीडा प्रकारों में विद्यापीठ के खिलाडी विद्यार्थियों ने शानदार खेल प्रदर्शन करते हुए पदक एवं प्रशस्तीपत्र प्राप्त किये है. यह भी एक तरह से अमरावती विद्यापीठ की शानदार उपलब्धि है. इस समय कोविड संक्रमण काल के दौरान विद्यापीठ में स्थापित की गई कोविड टेस्ट लैब का उल्लेख करते हुए कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे ने बताया कि, इस कोविड टेस्ट लैब की वजह से कोविड संक्रमण काल के दौरान जिले के स्वास्थ्य प्रशासन को काफी राहत व सहायता मिली है और कोविड संक्रमण काल की भीषण लहर के दौरान चौबीसौ घंटे काम करनेवाली इस कोविड टेस्ट लैब में अब तक साढे 4 लाख से अधिक थ्रोट स्वैब सैम्पलों की जांच हुई है. यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड और उपलब्धि है. इस कोविड टेस्ट लैब द्वारा दिन-रात काम करते हुए समय पर दी गई रिपोर्ट की वजह से हजारों कोविड संक्रमितों का इलाज सही समय पर शुरू हुआ और उनकी जान बचाई जा सकी. इस प्रास्ताविक में विद्यापीठ की तमाम उपलब्धियों के लिए विद्यापीठ के सभी पूर्व कुलगुरूओं, प्र-कुलगुरूओं, अधिसभा व्यवस्थापन व विद्वत परिषद के सदस्यों, विविध विद्याशाखाओं के अधिष्ठाताओं, जनप्रतिनिधियों, विद्यापीठ से संलग्नित महाविद्यालयों के प्राचार्यों, विभाग प्रमुखों, शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों तथा विद्यापीठ के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों सहित सभी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के प्रति कृतज्ञता पूर्वक आभार ज्ञापित करते हुए कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे ने उपस्थितों को विश्वास दिलाया कि, आगे भी संगाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा विद्यार्थियों को केंद्र बिंदू में रखते हुए काम किया जायेगा और संभाग के शैक्षणिक विकास हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि, समूचे देश में पहली बार संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ की विद्या परिषद ने सभी विद्याशाखाओं में पदवी व पदव्युत्तर स्तर पर पाठ्यक्रमों में पसंद पर आधारित श्रेयांक पध्दति यानी चॉईस बेस्ड क्रेडिट सिस्टीम को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है और आगामी शैक्षणिक सत्र से इस पध्दति को लागू कर दिया जायेगा. जिसके चलते विद्यार्थियों को अपने मूल विषय के साथ-साथ अन्य विद्या शाखा से कौशल्य आधारित विषय चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी. इस शिक्षा पध्दति से जहां एक ओर विद्यार्थियों का आत्मविश्वास उंचा उठेगा, वहीं आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को आगे ले जाने में भी यह शिक्षा पध्दति निश्चित तौर पर सहायक साबित होगी. इस समय विभिन्न महापुरूषों के विचारों पर आधारित अध्यासन केंद्र विद्यापीठ में शुरू किये जाने का प्रस्ताव सरकार की ओर भेजे जाने की जानकारी देते हुए कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे ने दीक्षांत समारोह में प्रमुख अतिथी के रूप में उपस्थित राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत से विद्यापीठ के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर संवर्ग में रिक्त रहनेवाले पदों पर तत्काल नियुक्ति करने और विद्यापीठ की बढती व्यापकता को देखते हुए कुछ अतिरिक्त पदों को मंजूरी दिये जाने का निवेदन भी किया. साथ ही उन्होंने पदवी, पदक व पारितोषिक प्राप्त करनेवाले सभी छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करते हुए उन्हें भावी जीवन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी.

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