अमरावती/दि.25– ग्रीष्मकाल में मौसम का पारा बढने से उष्माघात का प्रादूर्भाव बढता है. ऐसे में उष्माघातग्रस्त व्यक्ति की मौत होने की संभावना बढ जाती है. इसलिए तेज धूप में घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्बारा दी जा रही है. जिले में अप्रैल, मई व जून महीने में तापमान का पारा बढकर उष्माघात के मरीजों की संख्या बढती है. इसलिए उष्माघात से बचने के नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है.
ग्रीष्मकाल में तेज धूप में खेत या अन्य मेहनत के काम करने वाले मजदूरों को उष्माघात का डर रहता है. कारखाने के बॉयलर में काम करने वाले मजदूर, कांच के कारखाने में काम करने वाले कर्मचारी, अधिक तापमान वाले कमरों में कार्यरत कर्मचारी, धूप में घूमने वाले विक्रेता, सेल्समन आदि को लू लगने का डर अधिक रहता है. जिससे उष्माघात से बचने के लिए सभी मेहनत के काम सुबह 12 बजे से पहले या शाम 5 बजे के बाद करने की सलाह स्वास्थ्य विभाग द्बारा दी गई है.
* उष्माघात के लक्षण
– शरीर में पसीना आना, थकान महसूस होना, शरीर का सूखा पडना, भूख न लगना, चक्कर आना, उत्साह में कमी, सिरदर्द, बदनदर्द, ब्लड प्रेशर बढना, मानसिक बेचैनी, अस्वस्थता, सुद खोना, अधिक प्यास लगना आदि उष्माघात के लक्षण है.
* प्रतिबंधक उपाय
– तेज धूप में मेहनत का काम करना टाले, सारे मेहनत वाले काम सुबह या शाम को निपटाने, काले का गहरे रंग के कपडों का इस्तेमाल टाले, श्वेत रंग के व ढिले कपडे पहने, जलसंजिवनी का इस्तेमाल करें, भरपूर पानी पिये, खाली पेट धूप में न घूमे, घर से बाहर निकलते वक्त गॉगल, टोपी, टॉवेल, दुपट्टा, फेटा आदि का इस्तेमाल करें.
* घरेलू उपचार
उष्माघातग्रस्त मरीजों पर घरेलू उपचार के माध्यम से भी इलाज संभव है. जिसके लिए मरीजों को ठंडे कमरें में रखा जाये, मरीजों के कमरें में पंखा, कुलर की व्यवस्था की जाये, मरीज को बर्फ के पानी से नहलाये, माथे पर ठंडे पानी की पट्टीयां रखे, इसके बाद भी उष्माघातग्रस्त मरीजों की स्थिति में बदलाव नहीं होता है, तो तुरंत नजदिकी सरकारी अस्पतालों में संपर्क करने की अपील भी मनपा स्वास्थ्य विभाग द्बारा की गई है.