अमरावती

सावधान रहे व्यापारी, अन्यथा आर्थिक बोझ बढेगा

जीएसटी आर 1 नहीं तो आईटीसी क्रेडिट भी नहीं

* चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री ने सूचत किया
अमरावती/ दि.8– लगातार नए जीएसटी कानून में किये प्रावधान और अधिक कडे होते जा रहे नियम व्यापारियों को अस्वस्थ्य कर रहे है. परिस्थितियों के अनुरुप नियम के अधिन रहकर व्यापारियों को जीएसटी की पूर्तता करना जरुरी हो गया है. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विनोद कलंत्री, विदर्भ टैक्स प्रैक्टीशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष एड.जगदीश शर्मा के अनुसार जीएसटी आर-1 के तहत माल की बिक्री रजिस्टर डिलर को करने पर बिक्री तथा उसपर वसूल किये गए टैक्स के बिकत की विवरणी देनी होती है. जिसका इनपुट क्रेडिट (आईटीसी) यह 2-ए और 2-बी में दिखता है.
अब 1 जनवरी 2022 से इन नियमों में बदलाव किया गया है. नए नियम के मुताबिक अब केवल 2 बी में बिकने वाला इनपुट क्रेडिट ही मान्य किया जाएगा. इसलिए व्यापारी की यह जिम्मेदारी बढ गई है कि, जीएसटी आर-1 उस महिने के देय तारीख के भीतर भरना जरुरी हो गया है, अन्यथा खरीददार को उस महिने में क्रेडिट नहीं मिल पायेगा. यदि निर्धारित समय पर रिटर्न की पुर्तता नहीं की गई तो परिणाम यह होगा की बगैर आईटीसी क्रेडिट के लिए बिक्री का पूरा टैक्स भरना होगा.

2 बी से लेना होगा क्रेडिट
उदाहरण के तौर पर यदि दिसंबर माह में 1 करोड के माल की खरीदी की और उसपर 18 लाख की जीएसटी आप दे चुके है तथा उसी माह में आपकी बिक्री 1 करोड 5 लाख की है तो ऐसे में आपकी कर देयता 90 हजार की होगी. यदि निर्धारित तिथी के अंदर विक्रेता ने जीएसटी आर-1 नहीं भरा तो आपको जीएसटी आर-3 बी में पूरे 18 लाख 90 हजार रुपए भरना होगा. आपको 18 लाख का क्रेडिट उस महिने में ही मिलेगा. जिस माह में बिक्रीदार जीएसटी आर-1 में आपका डेटा डालेगा. आईटीसी क्रेडिट 2 ए की बाजार 2 बी से लेना होगा. इस प्रावधान की वजह से व्यापारियों की काफी बडी पूंजी अटक जाएगी. आगे के महिनों में अगर इनपुट क्रेडिट मिलता भी हेै तो उस महिने में उतना कर देयता रहनी चाहिए क्योंकि व्यापार में अनिश्चितता रहते है. यदि आगे आपका उतनी कर देयता नहीं है तो आईटीसी के्रडिट ऐसा ही पडा रहेगा, जिसका आप रिफंड भी क्लेम नहीं कर सकेंगे. जीएसटी आर 1 में दर्शाई गई कर की रकम जीएसटी आर 3 बी में कम पाई जाने पर बिना कारण बताओं नोटीस के आप से सीधी वसूली की जाएगी. क्योंकि अब इसे स्वयं निर्धारण कर माना जाएगा. नये प्रावधान के मुताबिक यदि पिछले माह का जीएसटी आर 3 बी नहीं भरा तो चालू महिने का जीएसटी आर 1 बी नहीं भर पायेंगे.

मानसिक तनाव बढा
कम्पोजिशन डिलर को अक्तूबर से दिसंबर तक रिटर्न 8 जनवरी तक भरना होगा. तीमाही रिटर्न व मासिक भुगतान (क्यूआरएमपी) इस योजना के तहत रिटर्न भरने वालों को भी जीएसटी आर 1 (आईएफएफ) हर महिने की 13 तारीख के पहले भरना होगा. इससे यह प्रतित होता है कि जीएसटी कर दाता को अब सतर्क रहना होगा. क्योंकि वो जिससे व्यवहार कर रहे है, वह यथा समय कर की विवरणी का अनुपालन करें, यह ध्यान भी उसे देना होगा, अन्यथा रकम अटकने की संभावना बढ जाएगी. व्यापारियों को सैंकडों लोगों से व्यवहार करना पडता है. व्यापारियों का उद्देश्य सकारात्मक रहते हुए भी नियमित व्यापार करने वाले से मानवीय भुल हो सकती है. सरकार ने इस बात को समझना चाहिए और व्यापारियों की ओर देखने का दृष्टिकोन बदलना चाहिए, क्योंकि कडे कानून मानसिक प्रताडित ही करते है.

लिखित देय तारीखों में सजग रहे
जीएसटी आर 1
5 करोड के उपर टर्नओवर- हर माह 11 तारीख के पहले
5 करोड से निचे टर्नओवर- हर माह 13 तारीख के पहले
जीएसटी आर 3 बी
5 करोड के उपर टर्नओवर- हर माह 20 तारीख
5 करोड से निचे टर्नओवर- हर माह 22 तारीख

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