अमरावतीमुख्य समाचार

पेशंट हो या डॉक्टर अब आईएमए आक्रमक होगी

निर्वाचित अध्यक्ष दिनेश ठाकरे का कहना

* बहुमतोें से चुने गये हैं महाराष्ट्र अध्यक्ष
* डॉक्टर संबंधी अमरावती के 5 केसेस की चल रही सुनवाई
अमरावती/दि.20 – चिकित्सकों के सबसे बडे संगठन इंडियन मेडिकल एसो. के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. दिनेश ठाकरे ने कहा कि, संगठन अब आक्रामक होकर काम करेगा. मरीज और उनके परिजनों की गलती होगी, तो उन्हें सजा मिलेगी. डॉक्टर की भूल होने पर उन पर कार्रवाई होगी. पहले के समान अब लचीला रुख नहीं अपनाया जाएगा. डॉ. ठाकरे आज दोपहर अपने खापर्डे बगीचा स्थित पैथॉलॉजी क्लिनीक में अमरावती मंडल से विशेष बातचीत कर रहे थे. उन्होंने अपनी अब तक की गतिविधियों और आने वाले समय में कौनसे मुद्दों पर विशेष फोकस रहेगा. इसका विजन भी अमरावती मंडल से साझा किया. उन्होंने बताया कि, डॉक्टरों की व्यस्त जिंदगी होती है, वह अपना अधिकांश समय रुग्ण की सेवा में व्यतीत करता है. उनकी अपनी नीलिमा अर्डक ठाकरे भी प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित स्त्री रोग विशेषज्ञ के रुप में सेवारत हैं. उनकी बडी बेटी वैदेही कानून की विद्यार्थी है, तो छोटी बेटी श्रावणी कक्षा 12वीं के एक्झाम देगी. उनसे बातचीत के समय बधाई के फोन लगातार आ रहे थे. ऐसे ही डॉ. ठाकरे डॉक्टर्स के फेवर में काफी कुछ करने को उद्यत दिखाई दिये. डॉ. ठाकरे ने एमबीबीएस और डीपीबी के बाद कानून और पत्रकारिता की भी पढाई कर पदवी प्राप्त की है. जो उनके मुताबिक आज आईएमए के राज्याध्यक्ष के रुप में उपयोगी सिद्ध होगी. एमबीए और अंग्रेजी साहित्य में बीए की उपाधी प्राप्त डॉ. दिनेश ठाकरे ने प्रबंधन का पदविका अभ्यासक्रम भी पूर्ण किया है. राष्ट्रीय उपभोक्ता कानून संबंधी स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र आपको हासिल हैं. बहुआयामी प्रतिभा के धनी डॉ. ठाकरे की कविताओं का संग्रह भी प्रकाशित हुआ है. ऐसे बहुमुखी व्यक्तित्व से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रश्न – आपका मूल निवास और प्रारंभिक शिक्षा कहां हुई?
डॉ. ठाकरे – मैं रुप से धामणगांव तहसील अंतर्गत अशोक नगर का रहने वाला हूं. 10वीं की पढाई चांदूर रेल्वे के जिला परिषद शाला से की. अमरावती की शिवाजी विज्ञान महाविद्यालय से 12वीं के पश्चात यहां पीडीएमसी से ही एमबीबीएस और बाद में डीपीडी की डिग्री प्राप्त की. गत 21 वर्षों से पैथॉलॉजिस्ट के रुप से सेवाएं दे रहा हूं. सेवा शब्द को विशेष महत्व है.
प्रश्न – आईएमए के राज्य अध्यक्ष बनने की पार्श्वभूमि बताएं?
डॉ. ठाकरे – आईएमए में अनेक वर्षों से सक्रिय हूं. चिकित्सकों का यह सबसे बडा संगठन है. अमरावती शाखा का अध्यक्ष रहने के साथ वित्तीय स्थायी समिति का सदस्य रहा. आईएमए मुख्यालय में आपत्ति प्रबंधन समिति का राष्ट्रीय स्तर का सदस्य रहा. महाराष्ट्र आईएमए में उपाध्यक्ष के अलावा इवकॉन 2020 का संयोजक, डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा विरोधी समिति का अध्यक्ष तथा कृति दल का सहअध्यक्ष एवं सामाजिक सुरक्षा योजना का कार्यकारी सदस्य रहा हूं. सचिव के रुप में भी अमरावती शाखा में काम किया है.
प्रश्न – अगले वर्ष अध्यक्ष का दायित्व संभालेंगे. आपने कौनसे कार्यों को प्राथमिकता देने की सोची है? आपके क्या विजन है?
डॉ. ठाकरे – नियोजित अध्यक्ष को 1 वर्ष पहले चुनने की परंपरा है. इससे अध्यक्ष के रुप में क्या जिम्मेदारियां होती है. वह पता चलती है. प्राथमिकता के बारे में ऐसा है कि, जो विवाद का विषय बनती है. ऐसे ही स्वनियंत्रण पर भी जोर है. डॉक्टरों के लिए हॉस्पिशील्ड का उनका विजन है. यह ऐसा विचार है कि, अस्पताल पर कवच हो. किन बातों से यह कवच हासिल हो सकेगा, तो वह इस प्रकार है- कायदे कानून की जानकारी प्रत्येक चिकित्सक को होना चाहिए. इस बारे में अवश्य कुछ ठोस करना है. मैंने भी इसीलिए डॉक्टर बनने के बाद कानून की भी पढाई की. समाज के प्रति चिकित्सकों के उत्तरदायित्व के बारे में वे सभी साथियों को अवगत कराना चाहेंगे. डॉक्टर का पेंशट तक पहुंचना आवश्यक है, इसके लिए संवाद पर उनका जोर रहेगा. डॉक्टर पेंशट को उसकी बीमारी के विषय में बता दें अथवा रिश्तेदारों से संवाद करें, तो गलत फहमी नहीं होगी.
प्रश्न – डॉक्टर और रुग्ण के संबंध पहले जैसे नहीं रहे. क्या कारण है?
डॉ. ठाकरे – विश्वास की कमी है. इसलिए वे कहना चाहते है कि, चिकित्सकों को उनके पास आये रुग्ण का विश्वास जीतना चाहिए. विश्वास होगा तभी कारगर होगा. रुग्ण-चिकित्सक में संवाद आवश्यक है. जैसे न्याय दिखना चाहिए. वैसे ही मरीज का भी अपने चिकित्सक पर पूरा भरोसा दिखना चाहिए, ऐसे वातावरण की निर्मिति का उनका राज्यस्तर पर प्रयास होगा.
प्रश्न – डॉक्टरों पर हमेशा इल्जाम लगते हैं. अस्पतालों में तोडफोड की नौबत आ जाती है. बहुतेरे केसेस पूरे राज्य में देखने-सुनने मिलते है. इनसे आईएमए कैसे निपटेगा?
डॉ. ठाकरे – डॉक्टर्स पर लगाई गई तोहमतें सिर्फ और सिर्फ गलत फहमी के कारण होती है. कोई भी चिकित्सक अपने पेशंट का बुरा नहीं चाहेंगा. हां कुछ गलती कभी किसी से हो जाती है. उसके लिए सरकार ने 1995 में कानून बना दिया. डॉक्टर्स को भी उपभोक्ता कानून की परिधि में लाया. अभी हाल के वर्षों में पेशंट अथवा उनके नातेदार हिंसा पर आमादा हो जाने के किस्से है. यह सर्वथा गलत है. हिंसा का अधिकार किसी को भी नहीं है.
प्रश्न – कौन करता है, हिंसा? कौनसे लोग हैं जो डॉक्टरों से दुर्व्यवहार करते हैं?
डॉ. ठाकरे – ऐसे लोग है जो इर्विन जाना पसंद नहीं करते तथा निजी चिकित्सकों के उपचार का खर्च वहन नहीं कर सकते. मगर जाते निजी चिकित्सकों के पास ही. फिर अधिकांश विवाद बिल को लेकर ही उपजते हैं. इनमें भी मामले को तूल देकर अपरिपक्व राजनेता डॉक्टरों पर हाथ उठाते हैं. उन्हें थोथी प्रसिद्धि की चाह होती है. डॉक्टर को पीटा तो पब्लिक खुश होने की गलत फहमी भी होती है. डॉक्टर समाज का ऐसा घटक है, जो सॉफ्ट टारगेट होता आया है. मगर अब ऐसा नहीं चलेगा. आईएमए और कानून तो है ही. आईएमए आक्रामक भूमिका अपनाएगा. जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी. मेरे रहते आईएमए का रुख आक्रामक रहेगा, कोई भी चिकित्सक पर हाथ नहीं उठा सकेगा.
प्रश्न – डॉक्टरों की गलती की कितनी शिकायतें राज्यस्तर पर मिली है. उस पर क्या कार्रवाई हुई है?
डॉ. ठाकरे – अभी की ताजा संख्या नहीं पता. पहले 700 ऐसे मामले आईएमए के सामने आये थे. जिनमें से अधिकांश में डॉक्टर्स पर लगाये गये आरोप गलत पाये गये. सिर्फ आईएमए नहीं देखता इस बारे में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल सुनवाई और फैसला करती है. 50 प्रतिशत से अधिक केसेस में डॉक्टरों की भूल नहीं होती. ऐसे ही अनेक प्रकरणों में मरीज भी आकर खुलासा देते है कि, गुस्से में यह हो गया.
प्रश्न – अमरावती के डॉक्टरों की कितनी केसेस में सुनवाई चल रही है.
डॉ. ठाकरे – अमरावती के पहले 5 प्रकरण थे. जिनमेें से 3 प्रकरण एक ही चिकित्सक पर एक ही वकील ने दर्ज कराये थे. इस वकील का यहीं गोरख धंधा लगता है. 2 केसेस में संबंधित डॉक्टर बरी हो गये है. कुछ मामलों की सुनवाई एमएमसी के सामने चल रही है.
प्रश्न – दूसरा भगवान आज मरीजों के निशाने पर क्यों आ गया है. आये दिन किस्से देखने-सुनने मिलते हैं. यह फर्क आने का क्या कारण है?
डॉ. ठाकरे – हिंसा समाज में अनेक कारणों से होती है. जैसा मैंने पहले कहा कि, वकील अथवा ड्राईव्हर या अन्य कोई प्रोफेशन की बजाय डॉक्टर सॉफ्ट टारगेट है. डॉक्टर भी आखिर इंसान है, उनसे ही गलती हो सकती है. आज ही एक किस्सा पढा. बारामती का किस्सा है. पेशंट को लेकर लोग डॉक्टर के पास गये. वे उस समय भोजन कर रहे थे. आने में थोडा विलंब हुआ, तो पेशंट के साथ गये लोगों ने भोजन करते डॉक्टर को पीट डाला. जहां तक दूसरे भगवान होने की बात है अमरावती में डॉ. गणेश बूब, डॉ. वा. पू. राउत जैसे सेवाव्रती चिकित्सक अब नहीं दिखाई पडते. ऐसे ही समाज मन भी बदल गया है. डॉक्टर की फीस कम है, तो कुछ नहीं. जिस चिकित्सक ने अधिक फीस ली, उस पर अधिक अधिकार जताते हैं. मैं तो कहूंगा कि, सेवा का इरादा है, तो ही चिकित्सा के पेशे में आये. अन्यथा पैसा कमाने के लिए बहुत सारे प्रोफेशन है. उन्हें अपना सकते हैं.
प्रश्न – अमरावती में ढेर सारे किस्से होने पर भी किसी चिकित्सक या अस्पताल पर कार्रवाई नहीं हुई?
डॉ. ठाकरे – मैंने कहा न आधे से अधिक मामलों में चिकित्सक की गलती नहीं होती. उसी प्रकार अनेक प्रकरणों में मरीज की तरफ से भूल स्वीकार ली जाती है. क्रोधावेग में डॉक्टर पर दोष लगा दिया जाता है. उसी प्रकार आईएमए की अंदरुनी व्यवस्था है. वह चिकित्सक की गलती पाने पर उसे उजागर किये बगैर योग्य रुप से दंडित करता हैं.

Related Articles

Back to top button