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हमारी वजह से चर्चा तो शुरू हुई, वर्ना प्रोजेक्ट चला जाता, तो पता भी नहीं चलता

मेगा टेक्सटाईल पार्क को लेकर मचे हंगामे पर बोले डॉ. सुनील देशमुख

अमरावती/दि.29– प्रधानमंत्री मित्र योजना अंतर्गत अमरावती में ही मेगा टेक्सटाईल पार्क साकार हो, इस एकमात्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैंने बीते दिनों एक पत्रकार परिषद बुलाई थी. जिसमें इस विषय से संबंधित सारे तथ्यों को सामने रखा गया है. यह उसी पत्रकार परिषद का नतीजा है कि, आज अमरावती में मेगा टेक्सटाईल पार्क के विषय को लेकर बडे जोर-शोर के साथ चर्चा हो रही है. ऐसे में अब सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों को भी इस प्रकल्प के बारे में कोई अन्य विचार करने से पहले दस बार सोचना पडेगा. यह एक तरह से हमारी सफलता है. अगर हम इस विषय को पत्रवार्ता के जरिये नहीं उठाते, तो बहुत संभव है कि, यह प्रकल्प अमरावती से औरंगाबाद चला भी जाता और किसी को इसकी कानों-कान खबर भी नहीं चलती. इस आशय का प्रतिपादन पूर्व पालकमंत्री व कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख द्वारा किया गया.
बता दें कि, विगत 26 जुलाई को पूर्व पालकमंत्री व कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख ने एक पत्रवार्ता लेकर आरोप लगाया था कि, पीएम मित्र योजना अंतर्गत अमरावती में साकार होनेवाले मेगा टेक्सटाईल पार्क को मौजूदा राज्य सरकार द्वारा अमरावती की बजाय औरंगाबाद स्थलांतरित करने के बारे में प्रयास किये जा रहे है. जिसे लेकर राजनीतिक स्तर पर काफी हंगामा मच गया था और गत रोज भाजपा की ओर से एक पत्रवार्ता लेते हुए डॉ. सुनील देशमुख द्वारा लगाये गये आरोपों का खंडन किया गया. साथ ही डॉ. सुनील देशमुख को ही कई तरह के सवालों के घेरे में खडा किया गया. इस पूरे मामले को लेकर प्रतिक्रिया जानने हेतु दैनिक अमरावती मंडल ने इस समय अपने निजी कारणों के चलते अमरावती से बाहर रहनेवाले पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख से संपर्क करते हुए उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो उन्होंने उपरोक्त बात कही.
इस बातचीत के दौरान पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने पत्रवार्ता में कही गई अपनी बात को एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि, इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता कि, पीएम मित्र योजना के तहत मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए आवेदन करने की आखरी तारीख 15 मार्च 2022 थी. जिसके पश्चात 23 मार्च 2022 को केंद्रीय वस्त्रोद्योग राज्यमंत्री द्वारा लोकसभा में बताया गया था कि, इस योजना के तहत किन-किन राज्यों से कितने प्रस्ताव आये है. उस समय तक देश के कुल 28 में से 13 राज्यों द्वारा 17 प्रस्ताव भेजे जाने की जानकारी लोकसभा में दी गई थी और इस जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र से केवल अमरावती जिले का ही प्रस्ताव भेजा गया था. ऐसे में इसके बाद किस दबावतंत्र का प्रयोग करते हुए किसके जरिये औरंगाबाद का नाम प्रस्तावित किया गया, यह जांच का विषय हो सकता है. डॉ. देशमुख ने किसी का भी नाम लिये बिना कहा कि, केंद्र में मंत्री रहनेवाले मराठवाडा परिसर के किसी नेता द्वारा भी महाराष्ट्र से केवल अमरावती का ही नाम प्रस्तावित दिखने के बाद इसमें औरंगाबाद का नाम जोडने हेतु दबाव बनाये जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार रहते समय ही मई से जून माह के दौरान एमआयडीसी और केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय के बीच हुए पत्र व्यवहार एवं एमआयडीसी की ओर से 14 जून को मेगा टेक्सटाईल पार्क हेतु अमरावती व औरंगाबाद के नाम प्रस्तावित रहने संदर्भ में केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय को लिखे गये पत्र की ओर ध्यान दिलाये जाने पर डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, यह केवल दो सरकारी महकमों के बीच हुआ पत्रव्यवहार है. जिसे तत्कालीन राज्य सरकार के नीतिगत फैसलों के साथ नहीं जोडा जा सकता. इस तरह के पत्रव्यवहार अक्सर ही विभिन्न सरकारी महकमों के बीच चलते रहते है. लेकिन मूल मुद्दा यह है कि, जब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद नये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ मुलाकात हुई, तो सीएम शिंदे ने मेगा टेक्सटाईल पार्क के लिए विशेष तौर पर केवल औरंगाबाद के लिए ही केंद्रीय वित्त मंत्री से बात क्यों की और उस बातचीत के दौरान अमरावती का विषय क्यों चर्चा में नहीं आया. इसका सीधा मतलब यही निकलता है कि, मौजूदा सरकार के मुखिया एकनाथ शिंदे या तो इस विषय से संबंधीत सभी तथ्यों से अवगत नहीं है, या फिर वे इस प्रोजेक्ट को औरंगाबाद में ही साकार करवाना चाहते है.
महाराष्ट्र में दो मेगा टेक्सटाईल पार्क स्थापित करने को लेकर किये जा रहे दावे के संदर्भ में पूछे जाने पर पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, अव्वल तो इस योजना में पहले से यह तय है कि, देश में कुल सात मेगा टेक्सटाईल पार्क दिये जायेंगे और किसी भी राज्य को केवल एक ही मेगा टेक्सटाईल पार्क मिलेगा. इस समय इस स्पर्धा में कुल 13 राज्य है. जिनकी ओर से 17 प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके है. जिसका सीधा मतलब है कि, पांच राज्य इस स्पर्धा से बाहर होंगे और दस प्रस्ताव खारिज होंगे. यानी प्रतिस्पर्धा पहले ही काफी कडी है. ऐसे में यदि भाजपा नेता महाराष्ट्र में एक की बजाय दो मेगा टेक्सटाईल पार्क लेकर आते है, तो उनका अभिनंदन किया जाना चाहिए और वे खुद (डॉ. देशमुख) ऐसा होने पर सबसे पहले भाजपा नेताओं का अभिनंदन करेंगे. क्योंकि इससे अंतत: महाराष्ट्र का ही विकास होगा. इस समय डॉ. देशमुख ने विशेष जोर देकर यह भी कहा कि, औरंगाबाद में मेगा टेक्सटाईल पार्क के बनने अथवा नहीं बनने से उन्हें कोई फर्क नहीं पडता, लेकिन अगर अमरावती के हिस्से में आनेवाला प्रोजेक्ट जानबूझकर औरंगाबाद या किसी अन्य शहर को दिया जाता है, तो इसका विरोध करना लाजमी हो जाता है, क्योंकि यह अमरावती के विकास और भविष्य से जुडा मसला है. विगत 26 जुलाई को पत्रवार्ता लेते समय भी उनकी केवल इतनी ही मंशा थी कि, मेगा टेक्सटाईल पार्क अमरावती में ही साकार होना चाहिए और उन्होंने किसी भी तरह के राजनितिक आरोप-प्रत्यारोप किये बिना अपनी बात सबके सामने रखी थी. उन्हें अपेक्षा थी कि, विकास के मुद्दे को लेकर उन्हें भाजपा सहित सभी दलों का समर्थन मिलेगा. लेकिन भाजपा पदाधिकारियों ने इसमें भी राजनीति करनी शुरू कर दी है. जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं. वे आगे भी मेगा टेक्सटाईल पार्क को अमरावती में ही साकार करने को लेकर अपना संघर्ष जारी रखेंगे.
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