अपने कार्य व कर्तृत्व से स्वावलंबी बनें महिलाएं
पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल का कथन
* विद्याभारती महाविद्यालय को दी सदिच्छा भेंट
अमरावती/दि.12 – महिलाओं ने खुद को किसी भी लिहाज से कमजोर या कमतर नहीं समझना चाहिए, बल्कि अपने कार्य व कर्तृत्व से अपनी योग्यता को साबित करते हुए आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन देश की पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल ने किया.
देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति रहने का बहुमान हासिल करनेवाली पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल ने विगत 9 अप्रैल को स्थानीय विद्याभारती महाविद्यालय को सदिच्छा भेंट दी. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रही थी. विद्याभारती महाविद्यालय परिसर में पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील का आगमन होते ही महाविद्यालय की छात्राओं के एनसीसी पथक ने उनका गरीमामय स्वागत किया. इस अवसर पर पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने महाविद्यालय सहित शैक्षणिक संस्था परिसर के विकास को लेकर बेहद संतोष जताया. साथ ही इस विकास हेतु महाविद्यालय प्रबंधन की सराहना भी की.
पश्चात महाविद्यालय के प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने कहा कि, महिलाओं को अपने जीवन में विभिन्न तरह की भूमिकाएं निभानी पडती है तथा कई मोर्चों पर अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पडता है. किंतु यह महिलाओं का ही माद्दा है कि, वे सभी तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए हर तरह की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन करती है. साथ ही इन दिनों कई महिलाएं अपना घर-परिवार संभालने के साथ-साथ नौकरी और व्यवसाय को भी बेहतरीन तरीके से संभाल रही है. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को उम्र के अलग-अलग दौर में पिता, पति व बच्चों पर निर्भर रहना पडता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, महिलाएं परिवार के साथ भावनात्मक जुडाव रखने के साथ-साथ खुद के स्वावलंबन की ओर भी ध्यान दें और अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करे. पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने यह भी कहा कि, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं के लिए अलग से बैंक बनाई थी और यह बैंक क्रेडिट बेस पर महिलाओं को कर्ज देती है. इससे कई महिलाओं ने अपनी क्षमता के दम पर शून्य से विश्व निर्माण किया है.
अपने संबोधन में पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने यह भी कहा कि, महात्मा गांधी ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में महिलाओं को सहभागी किया. उस समय महिलाओं ने पुलिस की लाठियों और गोलियों का भी सामना किया था, जिस पर कई लोगों ने सवाल उठाये थे. लेकिन महात्मा गांधी ने कहा कि, महिलाएं अबला नहीं बल्कि सबला है. वह लाठी प्रहार सहन कर सकती हैं. महात्मा जी का मानना था कि, महिलाएं शारीरिक दृष्टि से भले ही मामूली कमजोर हैं लेकिन मानसिक दृष्टि से सक्षम होती हैं. आत्मिक बल से वह सभी समस्याओं पर मात कर सकती हैं. इसलिए गांधीजी ने नमक सत्याग्रह में महिलाओं को सहभागी किया. इस समय महिलाओं ने अंग्रेजी बंदूकों की गोलियां भी सहजता से झेली. महात्मा गांधी ने महिला शक्ति का उपयोग राष्ट्रीय आंदोलन में किया. लेकिन आज आजादी के इतने वर्ष बाद भी कई महिलाएं घर पर बैठी हुई हैं. यह महिला शक्ति को निष्क्रिय रखने की तरह है. हालांकि देखा जाए तो आजादी के बाद महिलाओं के लिए कई कानून हुए हैं, उन्हें स्वतंत्र अस्तित्व प्रदान करने के लिए यह कानून बनाए गए. हिंदू मैरेज एक्ट, वायलंस और एंटी वायलंस कानून हुआ. इसका लाभ भी हुआ. लेकिन अभी भी कुछ स्थानों पर महिलाओं की स्थिति पिछडी है, क्योंकि उन्हें सरकारी नियमों व सुविधाओं की जानकारी नहीं रहती है. ऐसे में एनजीओ के माध्यम से महिलाओं को जानकारी देने और जागरुक करने की सख्त जरूरत है.
* गलत सामाजिक प्रथाओं का विरोध जरूरी
पूर्व महामहिम श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने इस अवसर पर कई सामाजिक कुरितियों पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, आज भी समाज में कई गलत प्रथाएं प्रचलित है. जिनका समय रहते विरोध किया जाना बेहद जरूरी है. इसके लिए खुद महिलाओं को आगे बढकर प्रयास करने होंगे, ताकि उन्हें बार-बार अग्नि परीक्षा से ना गुजरना पडे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, महिलाओं पर भी एक तरह से समाज का कर्ज होता है. जिसे उतारने के लिए उन्हें अपने आप को कार्यक्षम बनाना चाहिए. इस मौके पर 2020-21 सत्र के महाविद्यालय के वार्षिकांक ‘प्रतिभा’ को विद्यापीठ स्तरीय प्रथम पुरस्कार घोषित हुआ है. उसका अतिथियों के हाथों विमोचन हुआ.
* पूर्व महामहिम की आत्मीयता व अपनत्व से सभी गद्गद्
इस मौके पर संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. देवीसिंह शेखावत प्रमुखता से उपस्थित थे. ताईसाहब ने महिलाओं से आत्मीयता से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, विद्याभारती महाविद्यालय को छोटे रुप में देखा है लेकिन आज वटवृक्ष बन गया है. संस्था का नाम राष्ट्रीय स्तर पर है. यहां प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या अधिक है. क्योंकि यहां सुरक्षा, सम्मान के साथ ही सभी सुविधाएं मिलती हैं. ग्रंथालय सुविधा को ताईसाहब ने उत्तम बताया. जिन्हें प्रगति करनी है, उन्हें इसका लाभ लेने का आग्रह किया. स्थानीय एनसीसी उत्तम स्तर का काम करती है. राष्ट्रीय स्तर पर कई कैडेटस गई हैं. उन्होंने महाविद्यालय परिसर देखकर संतोष जताया.
* प्राचार्या डॉ. प्रज्ञा येनकर ने जताई कृतज्ञता
इस कार्यक्रम में प्रास्ताविक डॉ. एम.एम. राठौड ने किया. महाविद्यालय की ओर से प्राचार्या डॉ. प्रज्ञा एस. येनकर ने श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल व देवीसिंहजी शेखावत द्बारा आमंत्रण स्वीकार करने पर कृतज्ञता जताई. साथ ही इन पलों को खुद के लिए यादगार रहने की बात कही. उनके मुताबिक ताईसाहब के कारण स्फूर्ति, प्रोत्साहन, आत्मविश्वास बढने की बात कही. साथ ही इससे जीवन में हर चुनौती का मुकाबला करने की प्रेरणा मिलने की बात कही. कार्यक्रम की सफलतार्थ डॉ. ज्ञानेश्वरी वानखडे, डॉ. आर. जे. गजबे, डॉ. मीनल खेरडे, ए. एस. मोहकार तथा रासेयो समन्वयक डॉ. अथर इकबाल, डॉ. विजय ढवले ने महत प्रयास किये.