अमरावतीमहाराष्ट्र

शिक्षा की गंगोत्री का महासागर बने

पूर्व शालेय शिक्षामंत्री प्रा. वसंतराव पुरके का प्रतिपादन

अमरावती/दि.15– शिक्षा यह मानव जीवन को उज्वल करनेवाली प्रक्रिया हैं. शिक्षा को सभी तक पहुंचाने का कर्तव्य प्रत्येक घटक का है. शिक्षा व्यवस्था का शासन, संस्था, शिक्षक, पालक व विद्यार्थी घटक है. इनमें से एक भी घटक डगमगाया तो संपूर्ण व्यवस्था अस्त व्यस्त हुए बगैर नहीं रहेगी और उसमें मानव जीवन की हानि होना अपरिहार्य निश्चित हैं. इसीलिए प्रारंभी शिक्षा का प्रभाव छोटा रहा तो भी शिक्षा की गंगोत्री का महासागर होना महत्वपूर्ण है. ऐसा प्रतिपादन राज्य के पूर्व शालेय शिक्षा मंत्री वसंत पुरके ने व्यक्त किया. वे स्थानीय भारतीय महाविद्यालय यहां भारतीय विद्यामंदिर संस्थापक स्व. अण्णासाहेब वैद्य की स्मृृति में आयोजित गुणवत्तापूर्ण शिक्षण वास्तव आणि अपेक्षा विषय को लेकर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे.
प्रा. वसंत पुरके ने प्रारंभ, मध्य और वर्तमान ऐसे शिक्षा के चरण दर्शाते हुए संत ज्ञानेश्वर, नामदेव तुकाराम, कबीर के अभंगों का प्रमाण देते हुए तथा ग्रेस मर्देकर और सुरेश भट की कविताओं का शैक्षणिक और सामाजिक वास्तव रखा. पूर्व शिक्षा मंत्री पुरके ने आगे कहा कि संस्था, शिक्षा परिसर और शिक्षक यह घटक मानव जीवन को आकार देनेवाले हैं. कार्यक्रम के प्रारंभ में स्व. अण्णासाहेब वैद्य की प्रतिमा का पूजन कर दीप प्रज्वलन किया गया और उसके पश्चात अतिथियों के स्वागत के बाद महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. आराधना वैद्य ने अपने प्रास्ताविक में स्व. अण्णासाहेब वैद्य के जीवन कार्यो पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में पूर्व विधान परिषद सदस्य बी.टी. देशमुख ने उपस्थितों को शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर संस्था महासचिव प्रा. बिजवे, प्रा. वैद्य उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन व आभार डॉ. नीता कांबले ने माना. कार्यक्रम में संस्था के सभी पदाधिकारी, शहर के गणमान्य नागरिक, प्राध्यापक, विद्यार्थी उपस्थित थे.

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