भक्तिधाम मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा तथा रुद्र महायज्ञ का आरंभ
आचार्य सुशील महाराज की मधुर वाणी में बह रही कथा
* हजारों की संख्या में भक्तगण हो रहे शामिल
अमरावती/दि.24– स्थानीय बडनेरा रोड स्थित भक्तिधाम मंदिर के प्रागंण में श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री रुद्र महायज्ञ की शुरुआत हो गई है. इस उपलक्ष्य में रविवार को सुबह 11 बजे दशहरा मैदान स्थित संकटमोचन हुनमान मंदिर से भक्तिधाम मंदिर तक शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा में मुख्य आयोजक जीव आनंद बहुउद्देशीय सेवा समिति बडनेरा के साथ सहयोगी संस्थाएं संत आसाराम बापू साधक परिवार, गायत्री परिवार, हिंदू जनजागरण समिति, हिंदू क्रांति सेना, श्री जलाराम सत्संग मंडल आदि विविध संगठनों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, श्रद्धालु बडी संख्या में शामिल हुए.
शोभायात्रा की शुरुआत होने से पूर्व संकटमोचन हनुमान मंदिर में यज्ञ आचार्य अनुराग पाठक महाराज, भागवत के वक्ता आचार्य सुशील महाराज (वृंदावन), शक्ति महाराज आदि संतों के हाथों पूजन हुआ. शोभायात्रा में पवन जाजोदिया, राम मेठानी, नंदलाल तरडेजा, हेमंत मालवीय, जयेश राजा, अनिल पंड्या, नीलम मालवीय, सुदर्शन मतानी, मानव बुद्धदेव, अनुभूति टवलारे, रेखा शेंद्रे, सतीश शेंद्रे, आनंद डाउ, मानसी साहू, वृंदा मुक्तेवार, राधा चौधरी, बरखा गुप्ते, राजू आडतिया, किरीट गडिया, हर्षद उपाध्याय, योगिता लुल्ला, शोभा आहूजा, किशोर इंगले, विनायक जाखडे, प्रेम उसरेटे, वसंत गोवारे, राम घोडाई, डॉ. वरुडकर, विजय देवानी आदि समेत बडी संख्या में भक्तगण शामिल हुए. शाम 4 बजे आचार्य सुशील महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा शुुरु करते हुए अपनी मधुर वाणी में भजनों की प्रस्तुति कर भक्तगणों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भागवत कथा के पहले दिन की पूर्णाहुति के बाद जिस तरह हरिद्धार में गंगा आरती होती है उसी तरह महाआरती की गई. आरती के पूर्व राधा रानी व श्रीकृष्ण की वेशभूषा में सुंदर नृत्य की प्रस्तुति की सभी ने प्रशंसा की.
इस अवसर पर पूर्व पार्षद तुषार भारतीय, माहेश्वरी संगठन के जिला उपाध्यक्ष कमलकिशोर मालाणी, जीव आनंद सेवा समिति के संस्थापक प्रकाश शिरवाणी, मुख्य यजमान पवन जाजोदिया, कथाकार श्याम नारायण चौबे महाराज, जलाराम सत्संग मंडल के पदाधिकारी हसमुख कारिया, स्वामी शांतिप्रकाश दरबार से रामबाबा मेठानी, गायत्री परिवार के साहेबाराव तिडके, लिलाधर मोर, हिंदू क्रांति सेना के हेमंत मालवीय, श्रीयोग वेदांत सेवा समिति के मानव बुद्धदेव आदि ने कथा वक्ता का स्वागत किया.