अमरावतीमहाराष्ट्र

आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर जामुन

शहर में उडीसा के जामुन की डिमांड

* 200 रुपये किलो के बावजूद शौकीन की पहली पसंद बना
अमरावती/दि.31– जामुन फल का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के मुंह में पानी आ जाता है. बारिश लगने के पूर्व ही जामुन का फल बाजार में आना शुरू हो जाता है. वही जामुन खाने वाले शौकीनों को जामुन के दाम से भी कोई फर्क नहीं पडता. औषधी गुणों से भरपुर जामुन सेहत के लिए भी फायदे मंद साबित होता है. एक कहावत के अनुसार आम के आम गुठलियों के दाम को सच साबित करते हुए जामुन फल के साथ ही उसकी गुठलियां भी स्वास्थ के लिए लाभाकारी मानी जाती है. यह फल एक एंटीऑक्सिडेंट फल है. इसका सेवन करने से शरीर की इम्युनिटी पॉवर बढ जाती है. इसमें आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. कहा जाता है कि जामुन खाने से हड्डीयों में मजबूती आती है. यही वजह है कि जामुन की किमत आम और अमरूद से भी अधिक होती है. इन दिनों शहर के बाजार व विभिन्न चौराहों में उडीसा के जामुन आने जाने वालों का मन ललचा रहे है. वही जामुन 200-250 रुपये के लगभग दामों में बिकने के बावजूद भी इसे खाने वाले शौकिनों को दामों से कोई फर्क नहीं पडता दिखाई दे रहा है. जामुन के शौकिन भरपुर मात्रा में इसकी खरीदारी करते नजर आ रहे है.

एक फल विक्रेता जाकिर खान ने बताया कि विगत तीन चार दिनों से बाजार में जामुन की आवक बढ गयी है. मानसून लगने के पूर्व ही यह फल बाजार में आ जाता है. उसी तरह इस बार इस फल की आवक जल्द हो चुकी है. महाराष्ट्र के जलगांव, धुलिया, नंदुरबार के अलावा जिले से सटे मध्यप्रदेश की सीमावर्ती क्षेत्रों से जामुन की खेती बडे पैमाने में होती है. इस वर्ष बेमौसम बारिश और बीच-बीच में आए तूफान की वजह से जामुन की उपज पर इसका सीधा असर पड रहा है. जिस दिन राज्य तथा मध्य प्रदेश से जामुन की आवक शुरू हो जाएगी. यही जामुन लोगों को 80-100 रुपये किलो के दाम में मिलेगा. फल विक्रेता बशीर हमद के मुताबिक अमरूद के मुकाबले अधिक कमाई है. जामुन एक औषधी फल है और इससे कई तरह की दवाईयां भी बनती है. खास बात यह है कि जामुन की खेती आम, लीची और अमरूद की तरह की जाती है.

लीची भी पहुंची बाजार में
बाजार में जामुन के साथ अब लीची भी आ गयी है. लीची विशिष्ट जलवायु में होती है. जो सभी स्थानों पर उपलब्ध नहीं है. लीची की बागवानी मुख्य रुप से उत्तरी बिहार, देहरादून की घाटी, उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्रों में तथा झारखंड प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जाती है.

सैकडे के उपर फलों के दाम
जहां इतवारा बाजार सहित अन्य चौकों पर जामुन 200 से 150 रुपये किलो दाम में मिल रहे है. वही लीची 250 रुपये प्रति किलो के भाव में बिक रही है.आलु बुखारा 480 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है. एक फल विक्रेता सै. जहिर ने बताया कि जहां लीची जहां नागपुर होते हुए अमरावती पहुंचती है. वही सर्दियों में मिलने वाला आलु बुखारा भी अब गर्मीयों में आने लगा है.

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