* व्यस्तता के बावजूद परिवार के साथ कर रहे मेहनत
अमरावती/दि.22-नागरिकों की सुरक्षा में व्यस्त करने वाले पुलिस महकमे में खेती सहित अन्य कामों के लिए समय मिल पाना शायद ही संभव हो, लेकिन अपने व्यस्त समय में से समय निकालकर एक पुलिस अधिकारी द्वारा सेंद्रीय खेती करने का पहला उदाहरण सामने आया है. शहर पुलिस आयुक्तालय में कार्यरत डीसीपी विक्रम साली ने उनके सरकारी निवास की खुली जगह में सेंद्रीय खेती करने से वह लहलहा रही है. आंगन में फूलों की महक व सब्जियां लगाई गई है. वर्दी के पीछे छुपे किसान का यह मनोहारी रुप सही मायने में प्रेरणादायी है. पुलिस सेवा में कार्यरत युवा वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मिट्टी से अपना नाता कायम रखते हुए घर में ही सेंद्रीय सब्जी उगाने पर बल दे घर की फुलवारी को खेती बना दिया है.
डीसीपी विक्रम साली व उनकी पत्नी ऐश्वर्या एवं पिता महादेव साली मिलकर खेती करते हैं. दिनभर के काम का तनाव दूर करने के लिए खेती बेहतरीन विकल्प है. सातारा जिले के रेठारे बुुुजुर्ग निवासी विक्रम साली ने कृषि अभियांत्रिकी में पढ़ाई पूर्ण की. पिता महादेव साली सातारा में कृष्णा सहकारी शक्कर कारखाने में प्रबंधक थे. मां शोभा एएनएम के रुप में कार्यरत थी. उन्हें बचपन से ही खेती से लगाव रहा. शहर में चार्ज संभालते ही अपने सरकारी बंगले में एक से बढ़कर एक आकर्षक फूल व सब्जी के पौधे लगाए. वे अपनी खेती व बागवानी के शौक को पूरा करने के लिए अंजनगांव बारी में रविन्द्र मेटकर के पोल्ट्री फार्म में जाते हैं. उन्होंने ट्रैक्टर से भी बुआई की. उनके बड़े भाई डॉ. विक्रांत साली महाबलेश्वर में कृषि शास्त्रज्ञ के रुप में सेवा देते हैं. डीसीपी विक्रम साली के साथ पत्नी और माता-पिता रहते हैं.
डीसीपी साली ने निवास के आंगन में बेंगन, टमाटर, तुरई, मिर्ची, गोभी, लहसून, मका, पपीता, केले सहित 17 प्रकार की सब्जियां बोई है. यह सब्जियां रोज के भोजन में काम आती है. उन्होंने अपने घर के आंगन में घूमने के लिए गोबर और मिट्टी से लिपकर वॉकिंग ट्रैक बनाया है. सरकारी बंगले के नेम प्लेट पर शुरुआत में पत्नी ऐश्वर्या का नाम है.
हर स्पर्धा परीक्षा में पायी सफलता
विक्रम साली ने अकोला के पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ से स्नातक व कृषि अभियांत्रिकी की. स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की. सिंचाई उनका विषय था. नौकरी की तलाश के दौरान एमपीएससी उत्तीर्ण होने पर वर्धा में उपविभागीय कृषि अधिकारी नियुक्त हुए. वाहं मन न लगने से दोबारा परीक्षा दी और सहायक वनसंरक्षक बने. फिर ेसे दोबारा परीक्षा दी और डीवायएसपी बने. यहां पदोन्नति पाकर वह शहर पुलिस आयुक्तालय में डीसीपी के रुप में कार्यरत हैं.