अमरावतीमहाराष्ट्र

जीवन और मृत्यु के बीच सुख भोजने का अनुमान लगाना मुश्कील

हिमांशुभाई शास्त्री का कथन

* महेश भवन में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
अमरावती /दि. 30– सेवा व कथा दोनों ही एक ही सिक्के के अग्र और अर्धभाग है. जिन्हें दो पहलू कहा जा सकता है. जन्म और मृत्यु के बीच जो जीवन है. उसमें हमें कितना सुख भोजना है या भोगेंगे इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता, यह आशीर्वचन श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह आनंद महोत्सव में पुष्टिमार्ग के कथाकार, प्रवचनकार हिमांशुभाई शास्त्री (रतलाम) ने कहे.
स्थानीय बडनेरा मार्ग पर स्थित महेश भवन में मंगलवार से श्रीमद् वल्लभाचार्य कुलावंतश गो. 1008 पुरुषोत्तमलाल महाराजश्री (राजुबाबाश्री) की आज्ञा से एवं आशीर्वाद से श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है.
तीसरे दिन श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञानयज्ञ सप्ताह आनंद महोत्सव में पुष्टिमार्ग के कथाकार, प्रवचनकार हिमांशुभाई शास्त्री (रतलाम) ने कहा कि, बारहों मास एक ही ऋतु रहे, ऐसा नहीं हो सकता. हमेशा परिवर्तन होता रहता है. यदि किसी वैष्णव के मन में करुणा नहीं तो वह मिथ्या है. ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जी पीड पराई जाने रे…’ उक्त विचारों पर चलनेवाला होना चाहिए. गुरुकृपा, शास्त्रकृपा, देवकृपा हो, किंतु जब तक आत्मकृपा नहीं होती तब तक हम निर्बल नहीं हो सकते.
कथा में भगवान विष्णु के वराह, नारायण तथा कपिल अवतार का वर्णन किया गया. साथ ही प्रजापति दक्ष के यज्ञ की कथा सुनाई. इस समय अमेरिका निवासी जय व स्नेहा मुंधडा की बेटी खुशी मुंधडा द्वारा नृत्य प्रस्तुत कर महादेव की भावमुद्रा प्रस्तुत की. वह अपने भारतीय संस्कृति का विदेश में भी जतन कर रही है. इसकी सर्वत्र सराहना की गई. ध्रुव चरित्र के साथ चतुर्थ स्कंध का समापन हुआ. ठाकुरजी मुक्ति सहज देते हैं, लेकिन भक्ति सहज नहीं देते. इसके साथ ही हिरण्यकशिपु व प्रल्हाद की भक्ति नृसिंह अवतार का दर्शन करवाया. इसी के साथ ही तीसरे दिन की कथा का समापन हुआ. समापन समारोह में मुंबई निवासी अरुण साबू ने ‘श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम…’ जैसे भजन प्रस्तुत कर समां बांधा. नागपुर निवासी राधा कोठारी, राजू मुंधडा, सरला व घनश्याम चांडक ने महाराजश्री से आशीर्वाद लिया.
कथा में जयकुमार मुंधडा, स्नेहा मुंधडा, लक्ष्मी मुंधडा, गिरिधरलाल मुंधडा, लालजी मुंधडा, पुष्पा मुंधडा, निमिष बिहानी, डॉ. श्वेता बिहानी, डॉ. उमाकांत मुंधडा, डॉ. एकता मुंधडा, आयोजन संयोजक गोविंददास दम्माणी, सहसंयोजक देवकिसन लड्ढा, गोकुलेश दम्माणी, राशि दम्माणी, शकुंतला दम्माणी, छाया दम्माणी, प्रमोद दम्माणी, प्रीति दम्माणी, श्यामसुंदर दम्माणी, संगीता दम्माणी, आशा दम्माणी, उमा दम्माणी, कविता लड्ढा, विजयकुमार चांडक, अनीता चांडक, श्यामादेवी दम्माणी, प्रेमलता दम्माणी, लता मुंधडा, रामप्रकाश गिल्डा, आनंद दम्माणी, एड. आर. बी. अटल, गोविंद राठी, कन्हैया पच्चीगर, राजेंद्र पारेख, मन्नूभाई जव्हेरी, जयकिसन दम्माणी, आशीष करवा, हरीश संतोषिया, राजू संतोषिया, ग्वालदास लखोटिया, कमलकिशोर राठी, भगवानदास जाजू, अशोकभाई सराफ, सुशील दम्माणी, डॉ. आर. बी. सिकची, नंदकिशोर लोहाणा, दिलीप करवा, डॉ. हरीश राठी, सुनील मालपानी, राजेश चांडक, विजय बुच्चा, नीलेश दम्माणी, महेश गट्टाणी, सुरेश दम्माणी, विजयकुमार भट्टड, राजेश डागा, उमेश महेंद्र, रामप्रकाश गिल्डा, सतीशभाई के साथ अन्य उपस्थित थे.

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