सावधान : सब्जियों के माध्यम से घर पहुंच रहा जहर
फल्ली दाने को हरा रंग देकर पिस्ता के रुप में इस्तेमाल
* वटाणा, गांजर, जामून को भी कृत्रिम रंगों से रंगा जा रहा
* किडणी व अन्य रोगों की लागन का धोका
अमरावती/दि.24 – आप यदि सब्जियों के गहरे रंग देखकर ही उनकी खरीदी कर रहे हो, तो सावधान हो जाईए. कुछ सब्जी विक्रेता सब्जियों को हमेशा ताजा दिखाने के लिए उनमें कृत्रिम रंग मिश्रित कर रहे है. सब्जियों को ताजा दिखाकर अधिक कीमत में विक्री के लिए सब्जी विक्रेताओं द्बारा लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड किया जा रहा है. वटाणा, हुरडा, गेहूं की ओम्बी, गांजर, जामून आदि फल व सब्जियों में भी कृत्रिम रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. फल्ली दाने को हरा रंग देकर इसका इस्तेमाल मिठाईयों में पिस्ता के रुप मेें किये जाने का मामला भी सामने आया है. जिस पर अन्य व औषधि प्रशासन द्बारा संबंधितों पर कार्रवाई भी की गई थी. उसके बाद भी लोगों की आंखों में धुल झोंककर उन्हें फसाने वाला रैकेट सक्रिय रहने से चिंता हो रही है. सिन्थेटीक फूड कलर के कई दुष्परिणाम है. किडणी समेत अन्य रोगों की लागन का धोका सिन्थेटिक फूड कलर से होता है. इसलिए नागरिकों से सब्जियां व फल खरीदते समय सावधानी बरतने की अपील की जा रही है.
खाद्य पदार्थों में रंगों का इस्तेमाल कानूनन अपराध है. जिसके लिए अन्य सुरक्षा कानून 2006 अनुसार दोषियों पर कडे कार्रवाई का प्रावधान है. 1 लाख रुपए का जुर्माना व 3 साल की कैद का प्रावधान इस कार्रवाई में है. इसलिए ऐसी मिलावट को लेकर तुरंत अन्य व औषधि प्रशासन से शिकायत करने का अनुरोध अन्न व औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त अभय देशपांडे ने किया.
* बडी बीमारियों का धोका
खाद्य पदार्थों में सिन्थेटिक फूड का प्रमाण अधिक रहा, तो उससे कई बडी बीमारियां होती है. किडणी पर भी उसके दुष्परिणाम दिखाई देते है, ऐसा स्वास्थ्य तज्ञों ने बताया. होटल में तैयार होने वाले श्रीखंड, पनीर टिक्का, चिकन तंदुरी जैसे खाद्य पदार्थों सहित चायनिज, मोमोज, बिर्याणी, पालक पनीर में भी सिन्थेटिक रंग डालने पर बैन है. लेकिन इसके बाद भी खाद्य पदार्थों में रंग का इस्तेमाल कर उन्हें अधिक गहरा बनाकर ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है. इसलिए यदि किसी खाद्य पदार्थ का रंग अधिक गहरा दिखता है, तो उसे ना खरीदे और यह जानकारी तुरंत अन्न व औषधि प्रशासन को देने की अपील जनता से हो रही है.
* नियम अधिक कठोर किये
मिठाई व अन्न खाद्य पदार्थों में सिन्थेटिक फूड कलर इस्तेमाल करने की अनुमति है, लेकिन उसका प्रमाण तय है. फल व सब्जियों से तैयार पदार्थों में 100 पीपीएम (पार्ट पर मिलीयन) रंग के इस्तेमाल की अनुमति है. वहीं टोमॉटो जूस, सिरप, शरबत, कोल्ड्रीग्स समेत लड्डू, पेढा, जलेबी, बर्फी में भी केवल 100 पीपीएम की मात्रा में रंग का इस्तेमाल किया जा सकता है. पहले यह प्रमाण 200 पीपीएम था, जिसे अब घटाया गया है.