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दलगत राजनीति से बेहद परे है सहकार बैंक के चुनाव

अपने अपने हितों के चलते होता है गठबंधन और विरोध

* सत्ताधारी सहकार पैनल में कांग्रेस के साथ राकांपा भी

* विरोधी परिवर्तन पैनल में भी सभी दलों के नेता शामिल

अमरावती/दि.१३- अमूमन स्थानीय निकाय सहित लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में जिन दलों के नेताओं द्वारा एक दूसरे के खिलाफ खम ठोका जाता है और जिन्हें आमतौर पर एक दूसरे का  प्रतिद्वंदी माना जाता है. ऐसे नेता सहकार क्षेत्र से जुड़ी संस्था के चुनाव में एक दूसरे के साथ गलबहियां करते नजर आते है. यह बात इससे पहले कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनाव में भी देखी जा चुकी है. वही अब ताजा उदाहरण आगामी ४ अक्तूबर को होने जा रहे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव को कहा जा सकता है. जिसमें जहां एक ओर परस्पर विरोधी विचारधारा रखनेवाले राजनीतिक दलों के नेता एक साथ व एक मंच पर दिखाई दे रहे है. वहीं समान विचारधारा रखनेवाले दलों के नेता एक दूसरे के खिलाफ चुनाव में खड़े दिखाई दे रहे है.
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव को लेकर पहले यह माना जा रहा था कि सहकार क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए कांग्रेस और राकांपा द्वारा एक दूसरे के खिलाफ खम ठोका जायेगा. किंतु फिलहाल जो द़ृश्य दिखाई दे रहा है. उसमें सहकार पैनल की ओर से कांग्रेस नेताओं के साथ साथ राकांपा के भी दो कद्दावर नेता मैदान में दिखाई दे रहे हैं. जिनमें अमरावती क्षेत्र से राकांपा के जिलाध्यक्ष सुनील वरहाडे व महिला आरक्षित क्षेत्र से वरिष्ठ राकांपा नैत्री सुरेखा ठाकरे चुनाव लड रही है. इसके साथ ही बैंक के पूर्व अध्यक्ष तथा कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष रहनेवाले और विगत १० वर्षो से जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर एक छत राज करनेवाले सहकार पैनल के कर्ताधर्ता बबलू देशमुख इस समय दो निर्वाचन क्षेत्रों से अपना भाग्य आजमा रहे है. जिसके तहत उन्होनें चांदुर बाजार सेवा सहकारी सोसायटी सहित ओबीसी निर्वाचन क्षेत्र से दावेदारी पेश की है. वहीं कांग्रेस के सहयोग से दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक बने रिपाई नेता बलवंत वानखडे भी सहकार पैनल की ओर से इस समय मैदान में है. साथ ही साथ वरूड क्षेत्र से नरेशचंद्र ठाकरे व चांदुर रेल्वे क्षेत्र से वीरेन्द्र जगताप के रूप में दो पूर्व विधायक भी मैदान में हैं, जिनमें से नरेशचंद्र ठाकरे इस चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हो चुके है. जिन्हें सहकार पैनल द्वारा अपना उम्मीदवार बताया जा रहा है. इसके साथ ही बैंक के मौजूदा संचालक मंडल में शामिल आधे से अधिक संचालक एक बार फिर सहकार पैनल की ओर से मैदान में उतर चुके है और दोबारा जीत हेतु पूरा दम लगा रहे है. जिनमें दयाराम काले, सुधाकर भारसाकडे, अनंत साबले, सुरेश साबले तथा प्रकाश कालबांडे का समावेश है.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और राकांपा के सहयोग से साकार सहकार पैनल को चुनौती देने हेतु मैदान में उतर रहे परिवर्तन पैनल में भी कांग्रेस और राकांपा के ही कई चर्चित चेहरों का समावेश है. जिनमें सबसे प्रमुख नाम राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके का है. जो परिवर्तन पैनल की ओर से बतौर प्रत्याशी ख्ाुद मैदान में है और सहकार पैनल को चुनौती दे रहे हैं. वहीं कांग्रेस राकांपा व शिवसेना आघाडी की सरकार में बतौर राज्यमंत्री शामिल प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष बच्चू कडू एक तरह से परिवर्तन पैनल की कमान संभाल रहे है और इस पैनल में प्रहार व राकांपा के साथ ही भाजपा के भी कुछ नेताओं का समावेश है और परिवर्तन पैनल की ओर से भी निर्विरोध निर्वाचित नरेशचंद्र ठाकरे को अपना प्रत्याशी बताया जा रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस चुनाव में चाहे परिवर्तन पैनल को जीत मिले, चाहे सत्ता पहले की तरह सहकार पैनल के ही पास रहे. किंतु दोनों ही स्थिति में बैंक में अलग-अलग विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के नेताओं की मिलीजुली सरकार दिखाई देगी. क्योंकि राजनीति को हद दर्जे तक प्रभावित करनेवाले सहकार क्षेत्र की अपनी राजनीति कुछ अलग ही होती है और सहकार क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण भी आम राजनीति से काफी अलग होते है. यही वजह है कि आम राजनीति में एक दूसरे के साथ अथवा खिलाफ रहनेवाले लोग सहकार क्षेत्र में कुछ अलग भूमिका में दिखाई देते है.

* २२ को होगी स्थिति स्पष्ट

 

बता दे कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के २१ सदस्यीय संचालक मंडल हेतु इस समय चुनावी मैदान में कुल १०५ प्रत्याशी मैदान में है और फिलहाल अधिकारिक तौर पर किसी भी पैनल की घोषणा नहीं हुई है. आगामी २२ सितंबर तक नामांकन वापसी की प्रक्रिया चलेगी. जिसके बाद मैदान में रहनेवाले उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट होंगे. संभावना है कि इसी दिन दो पैनलों की ओर से अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जायेगी. तब इस चुनाव को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट होगी. साथ ही यह भी पता चलेगा कि किस निर्वाचन क्षेत्र से कौन-कौन प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड रहे है तथा कौन सा प्रत्याशी किस पैनल की ओर से मैदान में है. कब तक काफी हद तक संभावना व कयासों का दौर चलता रहेगा.

* सहकार से इन नामों की चर्चा

विगत १० वर्षो तक बैंक की सत्ता संभाल चुके निवर्तमान संचालक मंडल द्वारा सहकार पैनल के रूप में बैंक का मौजूदा चुनाव लडा जाना तय है. जिसमें सहकार पैनल के पूरोधा तथा बैंक पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख खुद दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड रहे है. वही पूर्व अध्यक्ष रह चुकी उत्तरा जगताप के पति व पूर्व कांग्रेसी विधायक वीरेन्द्र जगताप भी चांदुर रेल्वे से सहकार पैनल के उम्मीदवार है. इसके अलावा धारणी से एड. मनोहर, चिखलदरा से दयाराम काले, परतवाडा से डॉ. रणजित टवलारकर, दर्यापुर से सुधाकर भारसाकडे, भातकुली हरिभाऊ मोहोड, धामणगांव रेल्वे से श्रीकांत गावंडे, तिवसा से सुरेश साबले, अंजनगांव से अनंत साबले, कर्मचारी पतसंस्था से प्रकाश कालबांडे, एन्टी संवर्ग से पुरूषोत्तम पूर्व बालासाहब अलोने, एससीएसटी संवर्ग से विधायक बलवंत वानखडे, व्यक्तिगत निर्वाचन क्षेत्र से मनीष कोरपे तथा महिला आरक्षित क्षेत्र से सुरेखा ठाकरे व मोनिका संजय मार्डीकर के उम्मीदवार होने की पूरी संभावना है. साथ ही सहकार पैनल द्वारा बैंक के चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित नरेशचंद्र ठाकरे को अपना ही प्रत्याशी बताया जा रहा है. जबकि ठाकरे पर परिवर्तन पैनल की ओर से भी दावा किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सहकार पैनल की ओर से अब तक नांदगांव खंडेश्वर व मोर्शी तहसील क्षेत्र हेतु कोई उम्मीदवार तय नहीं किया जा सका है. ऐसी जानकारी है. ऐसे में अन्य सीटों के साथ साथ इन दो सीटों को लेकर भी काफी कौतूहल देखा जा रहा है.

 

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