अमरावती

भगवत गीता ‘तत्वमूर्ति’ तथा ज्ञानेश्वरी ‘भावार्थमूर्ति’

संत साहित्य अभ्यासिका धनश्री लेले का प्रतिपादन

  • अमृतमंथन व्याख्यानमाला का अंतिम पुष्प

  • पार्षद तुषार भारतीय मित्र परिवार का आयोजन

अमरावती/दि.13 – ज्ञानेश्वरी यह ग्रंथ महाराष्ट्र राज्य का अक्षय वैभव है. भागवत गीता यह भगवान की तत्वमूर्ति तथा ज्ञानेश्वरी यह भगवान की भावामूर्ति है ऐसा प्रतिपादन सत्य साहित्य अभ्यासिका धनश्री लेले (गोखले) ने व्यक्त किया. वे साई नगर पार्षद तथा मनपा सभागृह भाजपा नेता तुषार भारतीय व्दारा आयोजित अमृत व्याख्यानमाला के अंतिम दिन बोल रही थी.
इस अवसर पर प्रा. विजया जोशी, व्याख्यानमाला के आयोजक तुषार भारतीय, महापौर चेतन गावंडे, नगरसेविका रेखा भुतडा मंच पर उपस्थित थी. सर्वप्रथम मान्यवरों के हस्ते दीप प्रज्जवलन किया गया. वक्ता धनश्री लेले ने आगे कहा कि ज्ञानेश्वरी में संत ज्ञानेश्वर व्दारा 9 हजार 33 पंक्तियां लिखी गई है. ज्ञानेश्वरी ग्रंथ गीता का अंलकार साबित हुआ है. भागवत गीता के 11 सार के प्रत्येक श्लोक पर ज्ञानेवर माउली ने अनेक पंक्तियां प्रस्तुत कर मनुष्य अंतरंग के भावार्थ में प्रस्तुत किया.
ज्ञानेश्वर माउली ने ज्ञानेश्वरी के माध्यम से अमृत को पिरोया इसलिए हर एक ने ज्ञानेश्वरी का लाभ लेकर अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण संदेश संत साहित्य अभ्यासक धनश्री लेले ने व्याख्यानमाला के माध्यम से श्रोताओं को दिया. कार्यक्रम का प्रास्तावित अमृत मंथन व्याख्यानमाला के आयोजक तुषार भारतीय ने रखा तथा संचालन व आभार प्रदर्शन मंदार नानोट ने किया. इस अवसर पर बडी संख्या में श्रोता उपस्थित थे.

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