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मातृ-पितृ भक्त पर सदैव रहती भगवत कृपा

‘चक्रवर्तितनुजाय सार्वभौमाय मंगलम्’

* झालरिया मठ के पीठाधीश घनश्यामाचार्य जी का प्रतिपादन
अमरावती/दि.14- अपने माता-पिता की सेवा करनेवाले, उनका कहा मानने वाले पर हमेशा भगवान की कृपा कायम रहती हैं. इसलिए मंदिर, देवालय नित्य नियम से न जा पाएं तो भी माता-पिता की हाजरी पूर्ण करनेवाले सदैव प्रसन्न और सुखी रहते है. अपने माता-पिता और वरिष्ठों का यथोचित सेवा पूजन करना चाहिए. इस आशय का आग्रह डीडवाना झालरिया मठ के मठाधीश पं. पू. घनश्यामाचार्य जी ने किया. उनका मात्र एक दिन के लिए अंबानगरी आगमन हुआ. भगवान बालाजी के परम भक्त रतनलाल जी दायमा परिवार के साईनगर स्थित निवास ‘पद्मावती निलयम’ में पूज्य श्री की गत रात अगवानी की गई. गोविंद दायमा, रमण दायमा, मुकुंद दायमा, अनिरुद्ध दायमा, श्रीरंग दायमा और परिवार के सदस्यों ने पूज्य श्री का स्वागत, अभिवादन किया.
* गोष्टीप्रसाद और सुंदर प्रवचन
दायमा जी के निवास पर आज सवेरे शहर के भाविकों हेतु सुंदर प्रवचन एवं गोष्टीप्रसाद का आयोजन किया गया. उस समय पूज्य श्री बोल रहे थे. अपने सहज सुलभ संवाद में उन्होंने सभी को बडा प्रभावित किया. उन्होंने एक सुंदर लघु कथा के माध्यम से अपनी बात को समझाया कि, लक्ष्मीपति भी प्रतिदिन किसी से मिलने के लिए जाते. वे किससे मिलने जाते और भेंट नहीं हो पाती. यह देख देवलोक और स्वयं लक्ष्मीजी भी चकित रहती. एक दिन वे लक्ष्मीपति के संग गरुड पर सवार होकर चल पडी. भगवान का वाहन एक टूटे-फूटे घर के बाहर ठहरा. दरवाजा खटखटाया. कहा कि स्वयं विष्णु मिलने आए है. तब भी भीतर से आवाज आई की अभी व्यस्त हूं. बाद में आइएगा. यह देख सुन लक्ष्मीजी को घोर आश्चर्य हुआ. तब भगनवान ने बताया कि वह व्यक्ति अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा में तल्लीन है. उन्हें नित्य जगाना, नहलाना उनके लिए भोजन बनाना, भोजन करवाना आदि से ही वह भगवान के लिए भी समय नहीं निकाल पाता. भगवान ऐसे के लिए स्वयं आते है. पूज्य श्री ने कहा कि, ऐसा ही हमें भी कुछ अलग, अनूठा और समर्पण भाव से करना चाहिए, ताकि ईश्वर स्वयं हमें खोजते आए.
पूज्य श्री ने अनेक कथाओं के जरिए अपनी बातों को समझाया, जिनमें बडा सार रहा. कृष्ण मित्र सुदामा, गोस्वामी तुलसीदास के जीवन प्रसंगों के माध्यम से पूज्य घनश्यामाचार्य जी ने बताया कि, भगवान हमारे अधीन हो सकते हैं. हम ही भगवान से काफी कुछ छिपा जाते हैं. हनुमान की शरण में जाने पर राम के जल्दी दर्शन और प्राप्ती हो जाती है.
ुइस समय सर्वश्री गोविंद दायमा (डोबा), रमण दायमा (डोबा), एड.आर.बी. अटल जी,पुष्कर सेठ डागा, पं. वसंत दवे, राजेश डागा, रामस्वरुप हेडा, एड. राजेश मूंधडा, टाले जी, पं. देवदत्त शर्मा, श्रीनिवास लढ्ढा, सुयोग लढ्ढा, कमलकिशोर खंडेलवाल जय भोले, लक्ष्मीकांत खंडेलवाल, सुरेश रतावा, राजेश हेडा, भूपेंद्र ओझा, किशोर श्रीमाली, नरेंद्र करेसिया, अमरचंद मंत्री, सत्यनारायण रतावा, व्यंकटेश रतावा, राहुल रतावा, सारडा जी, मुंधडा जी, चंदन मंत्री, डॉ. राजेंद्र कलंत्री, अनिरुद्ध दायमा, मुकुंद दायमा, श्रीरंग दायमा सहित भाविक बडे उत्साह से गुरुदेव का आशीष और गोष्टीप्रसाद ग्रहण करने उमडे थे.

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