भागवत कथा श्रवण से होती है मनोकामना पूर्ण
प.पू. श्रीश कृष्ण प्रभुजी (बरसाना) के मुखारविंद से कथा का श्रवण
* अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) का संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महाअनुष्ठान
अमरावती/दि.13- वृंदावन इंसान का मन है जो कृष्ण भक्ति के रस में घुल चुका है. लेकिन जीवन की भागदौड़ में हम इस वृंदावन रुपी मन में छिपे भगवान कृष्ण के रुप को निहार नहीं पाते और ईश्वर को खोजने के लिए यहां-वहां भटकने लगते हैं. जो मनुष्य भागवत कथा का श्रवण करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है, यह वचन बरसाना से पधारे प. पू. श्रीश कृष्ण प्रभुजी ने कहे.
स्थानीय इस्कॉन मंदिर में अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) का संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महाअनुष्ठान का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर प.पू. श्रीश कृष्ण प्रभुजी ने पहले दिन की कथा प्रस्तुति में कहा कि जो भगवान कहते हैं, वह धर्म होता है. लेकिन दो भगवान नहीं करते उसे अधर्म माना जाता है. हमें भगवान का नामस्मरण करते हुए उनके विचारों में खुद को एकरुप करना चाहिए. जो भक्त भगवान में घुल जाता है, उनका जीवन में उद्धार होता है. उन पर आने वाली हर कठिनाईयों में भगवान उनका रक्षक बनकर सहयोग देते हैं. इन बातों को उन्होंने विविध उदाहरणों के जरिए बताया. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को कुछ लोग मारने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उस समय भगवान के रुप में चार व्यक्ति उन्हें बचाने आये, अर्थात् जब हम ईश्वर में समरुप हो जाते हैं, तब ईश्वर भी अपने भक्तों को संकट से उभारने के लिए किसी न किसी रुप में सहायता करने आते हैं. नाम लेत भव सिंधु सुखाई, ये संसार कुआं है अंधा जिसमें एक दरवाजा है… जैसे भजनों के जरिए उन्होंने भागवत कथा श्रवण का महत्व समझाया. कथा का समापन महाआरती से किया गया. पश्चात भक्तों ने प्रसादी का लाभ लिया, इस अवसर पर अनंत शेष प्रभुजी विशेष रुप से उपस्थित थे.
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महाअनुष्ठान के दूसरे दिन यानि आज 13 मई की दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक भागवत कथा का सत्र हुआ. शाम 6 से रात 9 बजे तक रुक्मिणी प्राकट्य महोत्सव मनाया जाएगा. इस अवसर पर प. पू. श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज व मॉरिशियस से विशेष रुप से पधार रहे प. पू. श्रील सुंदर चैतन्य गोस्वामी महाराज की उपस्थिति में रुक्मिणी प्राकट्य महोत्सव होगा. जिसमें सुमधुर संकीर्तन व विशेष कथा प्रस्तुति के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत होंगे. इसके अलावा हरिनाम संकीर्तन, भजन संध्या, रुक्मिणी महारानी महाअभिषेक होगा. रात के समय 56 भोग के साथ महाआरती व प्रसाद वितरण से कार्यक्रम का समापन होगा.
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