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महाराष्ट्र की भाग्यश्री ने मन जीता

कोमा से बाहर आकर पैरालिम्पिक में दौडी

पैरिस/दि.3- महाराष्ट्र की भाग्यक्षी जाधव पर सभी की नजर लगी हुई थी. कारण की भाग्यश्री व्दारा थाली फेंक स्पर्धा के अंतिम फेरी म ें इस समय भारत को स्वर्ण पदक की आशा थी. भाग्यश्री ने शुरूआत अच्छी की थी. जिसके कारण अब पदक जीत सकती हैं क्या? इस पर सभी की नजर लगी हुई थी. मगर भाग्यश्री इस समय पदक नहीं जीत पाई मगर फिर भी सभी का दिल जीत लिया. क्योंकि भाग्यश्री पर जब विष प्रयोग किया गया, तब वह कोमा में चली गई थी. कोमा से बाहर आने पर उसने संघर्ष किया व सीधा पैरिस जाकर पैराओलिम्पिक मेें सहभाग लिया. उसकी हिम्मत को देखते हुए सभी ओर उसके हौसले को सलाम किया जा रहा हैं.
भाग्यश्री नांदेड की
बचपन से उसने संघर्ष किया. पिता मतिमंद रहने के कारण उसके चाचा ने उसकी परवरिश की. उसकी शादी करा दी. मगर शादी के बाद उसे जहर पिलाया गया. तब वह कोमा में चली गई थी. जिसके कारण उस पर पुरी तरह अपंगत्व आ गया. मगर उसने हार नहीं मानी. भाग्यश्री संघर्ष करते हुए पैरिस में पैरालिम्पिक तक पहुंच गई. चीन में आंतराष्ट्रीय स्पर्धा में उसने दो कास्य पदक जीता था. जिसके कारण पैरालिम्पिक में उसका चयन हुआ. भाग्यश्री की प्रेक्टिस बहुत अच्छी तरह शुरू थी. जिसके कारण उसकी ओर से स्वर्ण पदक की आस चाहने वालो में लगी थी.

 

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