अमरावती

‘भाई’ राजेश अब बने ब्रह्मकुमार राजेशभाई

मनका रावण खत्म करने वाली प्रेरणादायी कहानी

अमरावती-/ दि.1 युवा अवस्था में पढाई करने की बजाय गलत लोगों के साथ रहने लगे. कुसंगती ने जकड लिया. व्यसन ने जकडकर पूरी जिंदगी तबाह करने के लिए निकल पडे, रिश्तेदार दोस्तों ने भी साथ छोड दिया, मगर अचानक एक दिन जीवन में परिवर्तन लाने वाला साबित हुआ. वादविवाद मारा-मारी करने में माहिर भाई राजेश मगर अब ब्रह्मकुमार राजेशभाई के नाम में पहचाने जाते है.
शहर के पन्नालाल नगर में रहने वाले राजेश बोंडे यह टपोरी दोस्तों का लाडला, कुछ महाविद्यालय के विद्यार्थियों की कुसंगत में शराब की लत लगी. भाईगिरी का ग्लेमर शुरुआत से ही होने के कारण शराब पेट में जाने के बाद झगडे करना शुरु किया. इसके बाद शराब की लत बढती गई. घर के लोग चिंतित हुए, दोस्त रिश्तेदार भी उसे टालने लगे, बेटे के सुधरने के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे. इसके कारण माता-पिता एक संस्था में भक्ति करने जाने लगे. अपने बेटे में निश्चित ही परिवर्तन होगा, ऐसा विश्वास व राजेश को देने लगे. माता-पिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय में जाते थे, जिसके कारण राजेश ने भी रुख्मिणीनगर स्थित सेंटर में जाने लगा. वहां वे मुख्य प्रशासिका से मिले और अपने आपबीती बताई. आगामी कुछ वर्ष में तुझे नमन करेंगे, ऐसा परिवर्तन तुझमें होगा, ऐसा आशावाद उन्होंने राजेश के मन में निर्माण किया. ब्रह्मकुमारी केंद्र के आध्यात्मिकता से कई दुर्गुण राजेश के जीवन से निकल गए. पिछले 25 वर्षों से वे इसी आध्यात्मिक प्रवाह में डूबने का आनंद ले रहे है. आज राजेशभाई कारागृह के कैदियों को जीवन जीने की कला सिखाते है. कैदियों के सामने जीवन के उद्देश्य के बारे में सत्संग करते है. जिसके कारण कुसंगति और रास्ता भटके कई युवक अच्छे मार्ग से जुडने लगे है.

नशे से जीवन बर्बाद होता है
जीवन में जीते समय कई लोग नशे का शिकार होते है, मगर कई लोग ऐसे भी है, वे कितनी भी विपरित परिस्थिति हो, बगैर डगमगाए कई खतरों को पार करते है और फिर भी व्यसन से दूर रहते है, व्यसन के कारण जीवन बर्बाद होते है, मगर आध्यात्म के व्यसन से जीवन सरल हो जाता है.
– ब्रह्मकुमार राजेशभाई बोंडे

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