भारत मुक्ति मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन
पुलिस प्रशासन व्दारा भीमा कोरेगांव के सबूतों में छेडखानी करने का आरोप
अमरावती- / दि.8 भीमा कोरेगांव हंगामे की जांच रिपोर्ट आयोग के सामने पेश करते समय पुलिस प्रशासन ने असली वीडियो के साथ छेडखानी कर गलत सबूत पेश किया, ऐसा आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ भारत मुक्ति मोर्चा ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जिलाधीश के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन भेजा.
सौंपे ज्ञापन में भारत मुक्ति मोर्चा ने कहा है कि, 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में लाखों की संख्या में जनसमूदाय शहीद स्मारक को मानवंदना देने के लिए पूरे महाराष्ट्र से आये थे. उस जनसमूदाय पर संभाजी भीडे उर्फ मनोहर भीडे तथा मिलिंद एकबोटे के इशारे पर दंगाखोरों ने लोगों पर पत्थराव किया, वाहनों में आग लगाई, कुछ जगह ग्रेनाइड फोडे व उसमें कई लोग घायल हुए. लोगों की प्रापर्टी को भी भारी पैमाने में नुकसान हुआ. भीमा कोरेगांव से समीप पेरणे फाटे पर भारत मुक्ति मोर्चा की ओर से अभिवादन का प्रबोधन पर कार्यक्रम आयोजित किया था. उस कार्यक्रम में देशभर से लोग आने वाले थे. इस आशय का पत्र व्यवहार पुणे के स्थानीय प्रशासन व पुलिस प्रशासन के साथ मोर्चा के पदाधिकारियों का हुआ था. पुलिस ने तगडा बंदोबस्त लगाया था. घटना की जगह पर पुलिस बंदोबस्त कम था और जो थे वे केवल देखने की भूमिका अपना रहे थे, ऐसा सीसीटीवी फूटेज से स्पष्ट हुआ है. इन सबुतों के साथ खिलवाड किया गया है. इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाए, ऐसी मांग ज्ञापन के माध्यम से की गई. साथ ही 20 अगस्त को महाराष्ट्र बंद की चेतावनी दी गई. इस समय डॉ. पंचशिला मोहोड, अमित लांजेवार, मेघा इंगोले, भारती गेडाम, यावल ढोकणे, मंदा कोल्हे, पुष्पा बागडे, छत्रपति कटकतलवारे, नलिनी कटकतलवारे, रेणुका कटकतलवारे, ताई गुडधे, किरण गजभिये, गिता माटे आदि उपस्थित थे.