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भारतीय बौद्ध महासभा का कलेक्ट्रेट पर मोर्चा

बोधगया के महाविहार का नियंत्रण व व्यवस्थापन बौद्धों के कब्जे में देने की मांग

* कानून में बदलाव करने के लिए राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
अमरावती/दि.12 – बोधगया के महाविहार का नियंत्रण और व्यवस्थापन बौद्धों के कब्जे में देने बाबत कानून में बदलाव करने की मांग को लेकर आज भारतीय बौद्ध महासभा की स्थानीय इकाई की तरफ से इर्विन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक भव्य मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे में सैकडों अनुयायी शामिल हुए. जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा पहुंचने के बाद जिलाधिकारी सौरभ कटियार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा गया.
ज्ञापन में कहा गया है कि, सम्राट अशोक ने तीसरे शतक में महाबोधी महाविहार का निर्माण किया. तथागत बुद्ध को जिस बोधी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति हुई, वह बोधी वृक्ष इसी महाबोधी परिसर में है. इस कारण देश ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के बौद्ध अनुयायी भिक्खू और पर्यटक यहां भेंट देते है. लेकिन इस महाविहार का नियंत्रण और व्यवस्थापन आज भी बौद्धों के कब्जे में नहीं है. महाबोधी विहार बौद्धों के कब्जे में देने के लिए 1992 से आंदोलन हो रहे है, फिर भी महाबोधी विहार व्यवस्थापन कानून बदला नहीं गया. इस कारण 5 हिंदू धर्मियों का प्राबल्य रहने से बोधगया की महाविहार में पंडे और ब्राह्मणवादी पूजा और कर्मकांड करते रहते है. इस कारण जो रुढी परंपरा इन्हें तथागत गौतम बुद्ध ने ठुकराई, वहीं कर्मकांड यहां शुरु है. बोधगया का महाविहार व्यवस्थापन कानून तत्काल बदलने की मांग को लेकर यह आंदोलन डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पोते एड. प्रकाश आंबेडकर तथा बालासाहब आंबेडकर के मार्गदर्शन में व आश्वासन के मुताबिक तथा भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रयास से तथा समता सैनिक व विविध बौद्ध संगठना की तरफ से आज बुधवार 12 मार्च को देश के बौद्धों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने भारतीय बौद्ध महासभा व वंचित बहुजन आघाडी की तरफ से संयुक्त रुप से किया है. अमरावती में इर्विन चौक के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पुतले के पास से मोर्चे की शुरुआत हुई. मोर्चे में महिलाओं का भी बडी संख्या में समावेश था. जिलाधिकारी कार्यालय के पास मोर्चा पहुंचने के बाद प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी को अपने मांगों का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन सौंपने वालों में विजयकुमार चौरपगार, प्रकाश बोरकर, प्रा. डॉ. मुकेश सरदार, प्रा. डॉ. रमेश बडगे, गणपतराव तीडके, संजय चौरपगार, राहुल मेश्राम का समावेश था.

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