दोनों कारसेवा में बहन के साथ सहभागी हुई भावना जोशी
कल्याण सिंह वाली जेल में 21 दिन काटे
* पैर में फैक्चर फिर भी चलना पडा 6 किमी पैदल
* जय श्री राम के घोष से किया प्रेरित
अमरावती/दि. 1- 1990 और 1992 दोनों बार की राम मंदिर कारसेवा के लिए संघ परिवार के संगठन के पदाधिकारी जोश के साथ गए थे. उनमें अमरावती की भावना जोशी शामिल थी. उस समय वे नागपुर रहती थी. उनकी बडी बहन विशाखा जोशी के साथ वे लगभग 20-25 महिलाएं पहुंची थी. पहली बार विवादित ढांचे के पास पहुंचने पर भी सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें गुंबद पर नहीं चढने दिया गया था.
* कर लिया डीटेन
भावना जोशी ने बताया कि मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. अत: कारसेवा के लिए आए राम भक्तों पर जुल्म ढाए गए. उनके पूरे साथियों को डीटेन कर लिया गया. यह शायद 30 अक्तूबर की बात है. वे लगभग 35 पुरुष और 25 महिलाएं अस्थायी जेल में कैद कर दी गई.
* फिर नैनी जेल में रखा
डीटेन कारसेवकों को नैनी जेल में रखा गया. 10 दिनों तक यहां पुलिस प्रशासन सुविधा आदि के लिए उदासीन रहा. वहां विधर्मी वॉर्डन होने से भी शायद अधिक अत्याचार बरता जा रहा था. महिलाओं के लिए भी टॉयलेट आदि की व्यवस्था बराबर नहीं थी.
* कल्याण सिंह लाए गए
फिर एक दिन भाजपा के बडे नेता कल्याण सिंह और साथियों को अरेस्ट कर इसी जगह लाया गया. कल्याण सिंह के रहने से प्रशासन ने इस जेल पर बडा ध्यान दिया. यहां राजकीय कैदी होने से हमें थोडी बहुत सुविधा मिलने लगी. पहले तो कंकड वाले चावल खाने हम लोग मजबूर रहे. फिर माहौल बदला. ठीकठाक खाना मिलने लगा. हार्मिनियम, तबला और अन्य चीजों की व्यवस्था कर सभी कैदी साथ मिलकर भजन-कीर्तन करते. कल्याण सिंह भी इसमें शामिल होते.
* कल्याण सिंह का दावा सच
कल्याण सिंह से उस समय जेल में बंद सभी का अच्छा परिचय हो चला था. वे बारंबार दावा करते की वे शीघ्र ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं. पहले तो भरोसा नहीं होता. बहरहाल भावना और उनकी बहन विशाखा बरबडे को कल्याण सिंह ने अपने सीएम होने पर उनके पीपी फोन नंबर पर बात की थी. भावना जोशी इसका गर्व से उल्लेख करती हैं. निर्मल उज्जवल बैंक की अमरावती शाखा प्रबंधक श्रीमती जोशी ने कहा कि आज कल्याण सिंह नहीं हैं. किंतु एक नेता के रुप में वे निश्चित ही बडे सहज, सरल और अपने निर्णयों पर दृढ रहने वाले व्यक्ति थे.
* नित्य रामलला दर्शन
दूसरी बार 1992 में जब वे गई तो 1 से 6 दिसंबर तक उन्होंने नित्य रामलला के दर्शन किए. उस समय भावना जोशी प्रथम वर्ष की छात्रा थी. वहां उन्हें एक पुलिस अधिकारी मिली. जो मूल रुप से मराठी भाषी थी. भावना जोशी ने बताया कि यह महिला अधिकारी हर बार रामलला के दर्शनकरने जाने पर उन्हें और बहन विशाखा को गले लगाती थी. इस बार उनके साथ स्वाती पौनिकर, आरती पैठनकर, विशाखा हरकरे, विशाखा सुबेदार और अन्य महिला कार्यकर्ता थी. (शेष अगले अंक में)