चिखलदरा का भीमकुंड लाल मुंहवाले बंदरो से हुआ मुक्त
37 बंदरो को पकडकर वनविभाग के दल ने छोडा जंगल में
अमरावती/दि. 3 – भीमकुंड परिसर में लाल मुंहवाले बंदरो की संख्या काफी बढ गई थी. वनविभाग के कर्मचारियों ने भीमकुंड परिसर में पिंजरे लगाकर बंदरो को कैद किया. इस अभियान में कुल 37 लाल मुंह के बंदरो को पकडकर घने जंगल के निर्मनुष्य स्थल पर छोड दिया गया.
भीमकुंड परिसर में आनेवाले पर्यटको पर लाल मुंहवाले बंदरो द्वारा हमला किए जाने की घटना पिछले कुछ दिनों से बढ गई थी. भीमकुंड परिसर यह चिखलदरा का काफी सुंदर पर्यटन स्थल है. यहां पर आनेवाले पर्यटको को लाल बंदरो की परेशानी न होने की मकसद से वनविभाग की तरफ से सोमवार और मंगलवार लगातार दो दिन बंदरो को पकडने के लिए अभियान चलाया गया था. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्रसंचालक एम. आदर्श रेड्डी के मार्गदर्शन में वन्यजीव विभाग मेलघाट के वन अधिकारी यशवंत बहाले और सहायक वनरक्षक युनाने के नेतृत्व में परतवाडा और गाविलगढ के विशेष दल ने इन बंदरो को पकडा. पिंजरे में फंसे 37 बंदरो को चिखलदरा से कुछ दूरी पर घने जंगल में बुधवार को सुबह छोड दिया गया.
* अब पंचबोल पॉईंट पर चलाया जाएगा अभियान
भीमकुंड परिसर में लाल मुंहवाले बंदरो का बंदोबस्त करने के बाद अब चिखलदरा के पंचबोल पॉईंट परिसर में आतंक मचानेवाले लाल मुंहवाले बंदरो को पकडने के लिए शुक्रवार को अभियान चलाया जानेवाला है. इस कारण शुक्रवार को पंचबोल पॉईंट परिसर पर्यटको के लिए बंद रहेगा, ऐसा यशवंत बहाले ने कहा.
* सेमाडोह, कोलकास परिसर में भी बंदरो का आतंक
चिखलदरा के विविध पर्यटन स्थल पर लाल मुंहवाले बंदरो का आतंक है. पर्यटको को इनसे परेशानी होती है. मेलघाट सेमाडोह और कोलकास इन दो पर्यटन स्थलो पर भी इन बंदरो का आतंक है. विशेष यानि घाट से सेमाडोह की तरफ जाते समय बडी संख्या में लाल बंदर सडक पर वाहन के सामने आते है. कुछ पर्यटक इन बंदरो को खाने देते है. इस कारण सडको पर बंदरो का आतंक बढ गया है. इन बंदरो को कुछ भी खाने न दिया जाए अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई होगी, ऐसे फलक भी जगह-जगह लगाए गए है. फिर भी कुछ पर्यटक इस सूचना की तरफ अनदेखी करते है. इस कारण इस मार्ग से जानेवाले वाहनों के सामने लाल बंदर कूदते रहते है.