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बैलगाड़ी की शाही सवारी, आधा दर्जन गांवों में सजी दूकानें
धारणी/दि.10 – मेलघाट में भारत की प्राचीन संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं को आज भी देखा जा सकता है. हजारों साल पहले की संस्कृति का दर्शन मेलघाट के आदिवासी समुदायों के उत्सवों में होता है. इसका बेहतरीन उदाहरण दिवाली के मौके पर मेलघाट के भोंगडु बाजारों में देखा जा सकता है. इस अवसर पर प्रस्तुत नृत्यों में भ आदिवासी परंपरा की झलक दिखाई देती है.
पेट्रोल-डीजल के दाम दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में आमतौर पर गरीबों के लिए गाड़ी चलाना संभव नहीं होता. इसके चलते मेलघाट के लोग आज भी बैलगाड़ी जैसे पारंपरिक साधनों को अपनाकर अपने परिवार के साथ भोंगडु बाजार जाते हैं. इस पारंपरिक शाही सवारी के कई फायदे हैं. जैसे प्रदूषण न होना, कम खर्च आदि. साथ ही दुर्घटना की संभावना बेहद कम होती है.
कोरोना लॉकडाउन से उब चुके लोग कोरोना संक्रमण कम होने से उत्साह के साथ उत्सव मना रहे हैं. भोंगडु बाजार भी विभिन्न प्रकार की दूकानों से सजा है. जिनमें खिलौने, महिलाओं के सौंदर्य संसाधन, बर्तन, कपड़े, फोटो स्टुडियो आदि सहित विभिन्न वस्तुओं की दूकानें हैं. जिसे खरीददारों का भी जबर्दस्त प्रतिसाद है. मेलघाट की आर्थिक राजधानी माने जाते धारणी तहसील में प्रमुख रुप से हरीसाल, सुसर्दा, चाकर्दा, बिजुधावडी, टिटंबा, बैरागड, कलमखार आदि गांवो में भोंगडु बाजार लगता है. इन बाजारों में लगभग 200 गांवों के हजारों लोग सहपरिवार आकर खरीददारी करते हैं. सभी भोंगडु बाजार में धारणी पुलिस निरीक्षक सुरेन्द्र बेलखेडे के मार्गदर्शन में पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त लगा है.